Saturday, 17 April 2021
निरंजनी के बाद आनंद अखाड़े ने किया कुंभ समाप्त
उत्तराखंड के हरिद्वार में हो रहे कुंभ मेले पर कोरोना महामारी का असर होना स्वाभाविक ही था। मेले में लाखों की संख्या में श्रद्धालुओं और साधुओं के कोरोना पॉजिटिव मिलने के बाद अब अखाड़ों ने इस आध्यात्मिक एवं सांस्कृतिक आयोजन से दूरी बनाना शुरू कर दिया है। कुंभ मेले में कोरोना महामारी के खतरे को देखते हुए प्रमुख 13 अखाड़ों में से निरंजनी अखाड़ों ने यहां से जाने के पीछे मेले में कोरोना की बिगड़ती हालत को कारण बताया है। कोरोना संक्रमण के बढ़ते प्रसार के चलते निरंजनी पंचायती अखाड़े ने अपने साधु-संतों के लिए 17 अप्रैल से कुंभ के समापन की घोषणा की। अखाड़े के सचिव महंत रविन्द्रपुरी ने कहा कि साधु-संत और श्रद्धालु कोरोना की चपेट में आने लगे हैं। ऐसे में निरंजनी अखाड़े की छावनियां 17 अप्रैल को खाली हो गई। निरंजनी अखाड़े के महंत अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष नरेंद्र गिरी समेत 40 संत कोरोना संक्रमित हो चुके हैं। महंत रविन्द्रपुरी ने कहा कि जिन संतों को 27 अप्रैल का स्नान करना होगा, वह पैदल अलग-अलग चले जाएंगे। कोरोना का संक्रमण जितनी तेजी से फैल रहा है, उतना ही घातक भी हो चला है। चित्रकूट से हरिद्वार कुंभ मेले में शामिल होने आए महामंडलेश्वर कपिल देवदास की कोरोना संक्रमण के चलते मौत हो गई। निर्वाणी मणि बैरागी अखाड़े के महामंडलेश्वर कपिल देवदास (65) सोमवती अमावस्या के शाही स्नान से पहले हरिद्वार आए थे। 12 अप्रैल की सोमवती अमावस्या के स्नान के बाद वह अपने अखाड़े में लौट गए थे। कुछ देर बाद उन्होंने सांस लेने में तकलीफ और बुखार की शिकायत की। उन्हें देहरादून स्थित कैलाश अस्पताल में भर्ती कराया गया था। यहां उनकी कोरोना जांच पॉजिटिव आई। चिकित्सकों के अनुसार वह किडनी रोग से ग्रसित थे। संक्रमण के कारण हालत बिगड़ गई और उनकी जान चली गई। कोविड में कुंभ स्नान से महामारी का खतरा मंडराने लगा है। 12 से 14 अप्रैल तक तीन स्नान पर गंगा में 49,31,343 संतों और श्रद्धालुओं ने डुबकी लगाई है। 40 संतों समेत कई श्रद्धालु बीमार भी हैं। रूड़की विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक एवं विशेषज्ञों का दावा है कि गंगा का पानी बहाव के साथ वायरस बांट सकता है। विशेषज्ञों का मानना है कि संक्रमितों के गंगा स्नान और लाखों की भीड़ का असर महामारी के रूप में सामने आ सकता है। संक्रमण के फैलाव से रूड़की विश्वविद्यालय के बाहर रिसोर्स डिपार्टमेंट के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. संदीप शुक्ला के मुताबिक सूखी सतह और धातु की तुलना में पानी में अधिक सक्रिय रहता है। गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय के माइक्रोबायोलॉजी विभागाध्यक्ष प्रो. रमेश चन्द्र दूबे का कहना है कि कुंभ ने कोविड का खतरा कई गुना बढ़ा दिया है। संक्रमण का असर 10 से 15 दिनों में दिखने लगेगा। क्या अब उत्तराखंड सरकार को कुंभ मेला खत्म करने की घोषणा कर देनी चाहिए? जो भी स्नान करना चाहिए वह बेशक अकेले-अकेले जाकर स्नान कर ले पर लाखों की भीड़ को समाप्त करना चाहिए। 12 से 14 अप्रैल तक 49 लाख से अधिक श्रद्धालुओं व साधु-संतों ने तीन स्नान कर चुके हैं। अब बाकी स्नानों को समाप्त करना ही बेहतर होगा।
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