Sunday, 11 April 2021

12 माह बाद खुला दिल्ली का चिड़ियाघर

कोरोना महामारी के कारण बंद हुए दिल्ली चिड़ियाघर को करीब 380 दिन बाद बृहस्पतिवार को पर्यटकों के लिए खोल दिया गया। लंबे समय बाद वन्यजीवियों का दीदार कर बच्चों व वन्यजीव प्रेमियों के चेहरे खिले नजर आए। पहले दिन ही 1645 पर्यटकों ने ऑनलाइन टिकट के माध्यम से प्रवेश किया, जिससे प्रशासन को 1,18,560 रुपए की कमाई हुई। तकनीकी खामियों की वजह से पर्यटकों को टिकट बुक करने में परेशानी का भी सामना करना पड़ा। पहले के मुकाबले चिड़ियाघर नए रंग रूप में नजर आया। प्रवेश द्वार पर बनाई गई कलाकृतियों ने पर्यटकों का मन मोह लिया। कोरोना की वजह से गत वर्ष 18 मार्च को चिड़ियाघर को पर्यटकों के लिए बंद कर दिया गया था। इसके बाद से चिड़ियाघर प्रशासन केंद्र की ओर से मंजूरी का इंतजार कर रहा था, लेकिन इस बीच बर्ड फ्लू के कारण चिड़ियाघर के खुलने की फाइल एक बार फिर ठंडे बस्ते में चली गई थी। लगातार दो बार नमूनों की रिपोर्ट नेगेटिव आने के बाद पूरी तैयारी के साथ चिड़ियाघर को एक अप्रैल से पर्यटकों के लिए खोल दिया गया। पहले दिन ही वन्यजीवों के दीदार करने के लिए पहुंचे पर्यटकों को टिकट बुकिंग के सर्वर डाउन की वजह से परेशानी का सामना करना पड़ा। पर्यटकों का कहना था कि टिकट बुकिंग के दौरान यूपीआई सर्वर में परेशानी की वजह से दिक्कतें आ रही थीं। इस वजह से कई पर्यटकों के अकाउंट से पैसा कटने के बाद भी टिकट बुक नहीं हो रही थी। चिड़ियाघर के निदेशक रमेश कुमार पांडे ने कहा कि पहला दिन होने के कारण थोड़ी परेशानी हुई है। शिकायतों पर गौर किया जा रहा है और ऑनलाइन व्यवस्था में आ रही परेशानियों को जल्द सुधारा जाएगा। उन्होंने बताया कि पर्यटकों की सुविधा के लिए 10 से अधिक स्थानों पर क्यूआर कोड लगाए गए थे, जिससे पर्यटक आसानी से टिकट बुक कर सकें। पहली पाली में सुबह आठ से 12 बजे तक और दूसरी पाली में दोपहर एक से पांच बजे तक प्रवेश की अनुमति थी। प्रत्येक पाली में अधिकतम 1500 लोगों की बुकिंग रखी गई। इस प्रकार एक दिन में कुल 3000 पर्यटकों की संख्या सीमित की गई। चिड़ियाघर खुलने के बाद ही सबसे अधिक भीड़ मकसूद कांड से मशहूर हुए विजय बाघ के बाड़े के बाहर देखने को मिली। यहां खासतौर पर पहुंचे बच्चों के चेहरे खिले नजर आए। इसके अलावा हाथी, शेर, भालू, बंदर, मगरमच्छ और तेंदुए को देखने के लिए जमघट लगा रहा। वर्ष 2014 में विजय बाघ के बाड़े में मकसूद नाम का व्यक्ति गिर गया था, जिसे बाघ ने अपना शिकार बना लिया था। चूंकि विजय किसी जंगल में नहीं रहा इसीलिए उसे समझ नहीं आया कि मकसूद उसके बाड़े में कर क्या रहा है। हालांकि चिड़ियाघर कर्मियों ने मकसूद को बचाने के लिए कई कदम उठाए पर उसे बचा नहीं सके। -अनिल नरेन्द्र

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