Monday, 14 March 2022

राहुल और प्रियंका गांधी के नेतृत्व पर प्रश्नचिन्ह

पांच राज्यों में कांग्रेस का सफाया होने के बाद कांग्रेस की मुश्किलें और बढ़ेंगी। इन परिणामों के बाद राहुल और प्रियंका गांधी के नेतृत्व पर सवाल उठने शुरू हो गए हैं। कांग्रेस शासित पंजाब भी हाथ से फिसलने के बाद पार्टी के भविष्य को लेकर तरह-तरह की अटकलें लगाई जा रही हैं। पांच राज्यों में से चार भाजपा और एक पर आम आदमी पार्टी (आप) की बढ़त ने कांग्रेस की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। गुरुवार को शुरुआती रुझानों के बाद कांग्रेस खेमे में खामोशी दिखी। इसके बाद पंजाब में कांग्रेस के दिग्गजों को झटके लगने से बेचैनी और ब़ढ़ गई है। पिछले कई महीने से विशेषकर पंजाब और उत्तराखंड में चल रही गुटबाजी आखिरकार पार्टी को ले डूबी। यूपी, पंजाब, उत्तराखंड, मणिपुर से लेकर गोवा में बेहतर प्रदर्शन की किरण नजर आई नहीं। खासकर यूपी और पंजाब में पार्टी बुरी तरह नाकाम रही। देश की सबसे पुरानी पार्टी के चुनावी नेतृत्व पर प्रश्नचिन्ह लगना स्वाभाविक ही है। कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी लगातार यूपी न छोड़ने की बात कह रही थीं। जिस उम्मीद और रणनीति के साथ उन्होंने चुनावी ताना-बाना बुना था उसे लोगों ने नकार दिया। प्रियंका चुनावी लिटमस टेस्ट में फेल साबित हुई हैं। प्रियंका गांधी यूपी में उतनी सीट भी नहीं दिला सकीं जितनी पिछली विधानसभा में थीं। यूपी में यह कांग्रेस का अब तक का सबसे खराब प्रदर्शन रहा है। प्रियंका चुनाव में जोर-शोर से उतरीं और मेहनत भी की लेकिन सलाहकारों, रणनीतिकारों से घिरने के कारण चुनाव प्रदर्शन हवा-हवाई रह गया। प्रियंका के इर्दगिर्द जो चेहरे दिखाई दे रहे थे उनकी चमक भी कोई कमाल नहीं कर सकी। बताते हैं कि सलाहकारों और पार्टी नेताओं के बीच तालमेल की कमी ने भी कांग्रेस की फजीहत कराई है। प्रियंका गांधी ने उत्तर प्रदेश में करीब 167 रैलियां और जनसभाएं कीं। करीब 42 जगहों पर रोड शो किए। राज्य की 403 में से 340 विधानसभाओं में वर्चुअल रैलियों के माध्यम से सम्पर्क किया। पांच राज्यों के नतीजों के बाद कांग्रेस के असंतुष्ट खेमे में कांग्रेस में स्थायी अध्यक्ष की मांग फिर जोर पकड़ रही है। हालांकि पार्टी सितम्बर तक चुनाव कराने की घोषणा कर चुकी है लेकिन चुनावी नतीजे राहुल गांधी के अध्यक्ष बनने की राह में अड़ंगा डालेंगे। राहुल समर्थक नेता उनके कमान संभालने की इंतजार में हैं। वहीं एक खेमा प्रियंका गांधी वाड्रा में भविष्य देख रहा था। मगर उन्हें भी नतीजों ने निराश किया है। नतीजों के बाद राहुल और प्रियंका के नेतृत्व पर सवाल उठने स्वाभाविक हैं। असंतुष्ट नेताओं की बयानबाजी और सक्रियता बढ़नी तय है। कुछ नेताओं के पार्टी छोड़ने और कुछ को किनारे करने के बाद जिस जी-23 में खामोशी दिख रही थी उसमें अब कुछ नए सदस्यों के नाम भी जुड़ने की संभावना है। ऐसे में नतीजों ने राहुल-प्रियंका नेतृत्व के सामने खुद को साबित करने की चुनौती बढ़ा दी है। राहुल गांधी को अगर अध्यक्ष बना भी दिया जाए तो उनकी सबसे पहली और कठिन परीक्षा गुजरात में होगी, जहां साल के अंत में चुनाव होने हैं। नए अध्यक्ष के सामने एक और चुनौती पंजाब है, जहां आप के हाथों गंवाई जमीन पर लोकसभा चुनाव में बेहतर प्रदर्शन करना होगा। दिल्ली में सत्ता गंवाने वाली कांग्रेस वहीं आज तक वापसी नहीं कर पाई है। राहुल गांधी के सामने एक और चुनौती यूपी के अमेठी के तौर पर होगी, जहां पर 2019 का चुनाव हारे हैं। पार्टी का जो खेमा राहुल के बदले प्रियंका गांधी वाड्रा में भविष्य देख रहा था, उन्हे भी नतीजों ने निराश किया है। राहुल गांधी की राह में अड़ंगा डालेंगे नतीजे, लिटमस टेस्ट में प्रियंका की रिपोर्ट भी नेगेटिव आई है।

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