Friday 4 March 2022

हर्षद मेहता के कांड से भी बड़ा घोटाला

आपको अच्छी तरह याद होगा कि 1990 के दशक में करीब 4000 करोड़ रुपए के हर्षद मेहता कांड ने शेयर मार्केट की नींव हिलाकर रख दी थी। ताजा मामला नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) से जुड़ा है। यह हर्षद मेहता कांड से भी बड़ा घोटाला साबित हो सकता है। को-लोकेशन फैसिलिटी में हेराफेरी के जरिये इसे अंजाम दिया गया है। दरअसल यह स्टॉक एक्सचेंज सर्वर के बिल्कुल पास की जगह होती है। यहीं अपना सिस्टम लगाकर कारोबार करने के लिए ब्रोर्क्स अतिरिक्त शुल्क भी चुकाते हैं। अगर इसका फायदा यह है कि सर्वर के ज्यादा पास होने के कारण ब्रोर्क्स की लैटेंसी (ऑर्डर के बाद उसे पूरा करने में लगने वाला समय) बढ़ जाता है। यानि दूसरे ब्रोर्क्स के मुकाबले उन्हें कुछ सैकेंड पहले ही डेटा मिल जाता था। ऐसे में उन्होंने सबसे पहले ऑर्डर प्लेस करके अरबों रुपए का मुनाफा कमाया। सीबीआई जांच के मुताबिक इस घोटाले में ओपीजी सिक्यूरिटीज नामक ब्रोर्क्स फर्म को फायदा पहुंचाने के लिए उसे को-लोकेशन फैसिलिटी का एक्सेस दिया गया था। सीबीआई ने एक्सचेंज के पूर्व ग्रुप ऑपरेटिंग ऑफिसर आनंद सुब्रह्मण्यम को गिरफ्तार कर लिया है। उन्हें गुरुवार रात चेन्नई में हिरासत में लिया गया। सीबीआई को अंदेशा है कि सुब्रह्मण्यम ही रहस्यमयी बाबा है। अधिकारियों ने बताया कि आनंद से इसी हफ्ते की शुरुआत में चेन्नई में कुछ दिन पूछताछ भी गई थी, लेकिन वह सवालों का जवाब देने से बचते रहे। उन्हें दिल्ली में विशेष अदालत में पेश किया गया, जहां से छह मार्च तक हिरासत में भेज दिया गया। सेबी ने 11 फरवरी को चित्रा, अन्य पर सुब्रह्मण्यम की मुख्य रणनीतिक सलाहकार, जीओसे एमडी के सलाहकार के रूप में नियुक्ति में कथित चूक का आरोप लगाया था। सेबी ने चित्रा पर तीन करोड़ व एनएसई, सुब्रह्मण्यम, रवि नारायण पर दो-दो करोड़, चीफ रेग्युलेटरी ऑफिसर व कंप्लाइंस ऑफिसर रहे वीआर नरसिम्हन पर छह लाख का जुर्माना लगाया है। एनएसई की तत्कालीन सीईओ चित्रा रामकृष्ण ने सेबी को बताया कि हिमालय के अदृश्य बाबा के निर्देश पर उन्होंने कई फैसले लिए। करीब 20 साल पहले हिमालय रेंज में गंगा तट पर तीर्थयात्रा के दौरान वह उनसे मिली थी। चित्रा ई-मेल के जरिये पूछती थीं कि किस कर्मचारी को कितनी रेटिंग देनी है, किसे प्रोमोशन देना है। एनएसई की अन्य जानकारियां भी शेयर करती थी। 2013 में चित्रा ने आल्वे को सीओओ बनाया, उन्हें शेयर बाजार का कोई अनुभव नहीं था। सालाना सैलेरी 15 लाख से बढ़ाकर सीधे 1.38 करोड़ रुपए कर दी। फिर सीओओ का पद देकर सैलेरी नौ करोड़ की गई। 2018 से जांच कर रही सीबीआई को पहली सफलता मिली जो सुब्रह्मण्यम को इस स्कैम में गिरफ्तार किया गया। अब आगे देखते हैं क्या होता है।

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