Sunday, 27 March 2022

महंगाई का मार्च

पांच राज्यों में चुनाव के कारण 137 दिन स्थिर रहीं पेट्रोल-डीजल की कीमतें लगातार दूसरे दिन भी 80 पैसे प्रतिलीटर बढ़ा दी गईं। यानि दो दिन में 1.60 रुपए प्रति लीटर की वृद्धि। कूड ऑयल 115 डॉलर प्रति बैरल के पार हो चुका है। चार नवम्बर को यह 81.6 डॉलर प्रति बैरल था। तेल कंपनियां 13 रुपए प्रति लीटर तक दाम बढ़ा सकती हैं। पेट्रोल पर एक्साइज ड्यूटी अभी प्री कोविड से आठ और डीजल पर छह रुपए ज्यादा है। देश की सबसे बड़ी तेल कंपनी इंडियन ऑयल ने 166 दिन बाद घरेलू गैस सिलेंडर 50 रुपए तक महंगा कर दिया है। मध्य प्रदेश, यूपी, बिहार, झारखंड और छत्तीसगढ़ के 11 शहरों में सिलेंडर एक हजार रुपए के पार हो गया है। दिल्ली में रेट 949.50 रुपए है। एक मार्च 2021 को 819 रुपए था। यानि सालभर में ही करीब 140 रुपए महंगा हो गया है। रूस-यूकेन युद्ध से कूड करीब 40 प्रतिशत महंगा हो चुका है। यह 185 डॉलर तक भी जा सकता है। ऐसे में जरूरी चीजों की कीमतें और बढ़ने की आशंका है। मार्च महीने में महंगाई के मार्च का यह हाल है कि पेट्रो पदार्थों के साथ ही दूध, कॉफी, मैगी और सीएनजी भी महंगी हुई हैं। अमूल, मदर डेयरी और पराग ने दूध दो रुपए प्रति लीटर महंगा कर दिया है। वहीं मध्य प्रदेश में सांची मिल्क ने पांच रुपए की वृद्धि की। मैगी भी दो से तीन रुपए महंगी हुई। छोटे पैक पर दो रुपए और बड़े पैक पर तीन रुपए की बढ़ोतरी हो गई है। नेस्कैफे क्लासिक व कॉफी और ताजमहल चाय की कीमतों में भी तीन से सात प्रतिशत बढ़ाई गई हैं। दिल्ली में सीएनजी 50 पैसे प्रति किलो तक महंगी हो गई है। पिछले कुछ समय से रोजमर्रा की जरूरतों के सामान की कीमतें आम लोगों की पहुंच से दूर होती जा रही हैं। खाने-पीने की चीजों तक के दाम लंबे समय से जिस स्तर पर हैं, उससे बहुत सारे लोगों के सामने अलग-अलग स्तर पर मुश्किलें खड़ी हो रही हैं। विचित्र बात यह है कि अगर कभी अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट आती है, तो शायद ही खुले बाजार में पेट्रोल-डीजल के दामों में कमी की जाती है। सवाल यह है कि अगर बड़े वाहनों, व्यावसायिक परिसरों, हवाई अड्डों और औद्योगिक इस्तेमाल में खपत के लिए ऊंची कीमत पर डीजल खरीदना पड़े तो क्या इसका असर इनसे संबंधित व्यावसायों पर नहीं पड़ेगा? क्या थोक में महंगे तेल की वजह से माल ढुलाई, यात्री किराया नहीं बढ़ेगा? दरअसल बीते दिनों में पेट्रोल-डीजल के दाम स्थिर रहे थे। माना जा रहा था कि इसके पीछे विधानसभा चुनाव बड़ी वजह रहे, जिससे महंगाई का असर वोटों पर पड़ सकता था। अब पांच राज्यों में चूंकि चुनाव खत्म हो गए हैं, इसलिए कीमतें बेलगाम बढ़ रही हैं। सरकार को चाहिए कि कम से कम रोजमर्रा की चीजों की कीमतों पर तो नियंत्रण करे। गरीब आदमी, रोज कमाने-खाने वाला किस हालत में जी रहा है यह भी तो जानें।

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