Tuesday, 1 March 2022
नाटो क्या है और रूस को उस पर भरोसा क्यों नहीं?
यूकेन पर रूस के आक्रमण ने नाटो के सामने अपने 73 साल के इतिहास में सबसे बड़ी चुनौती पेश की है। नाटो क्षेत्र की पूर्वी सीमा के ठीक बगल में युद्ध हो रहा है और नाटो के कई सदस्य देशों को लग रहा है कि रूस आगे उन पर हमला कर सकता है। सैन्य गठबंधन नाटो, जिसमें अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस व जर्मनी जैसे शक्तिशाली देश शामिल हैं। पूर्वी यूकेन में अधिक सैनिक बेशक तैनात कर रहा है हालांकि अमेरिका और ब्रिटेन ये स्पष्ट कर चुके हैं कि उनका यूकेन में अपने सैनिक भेजने का कोई इरादा नहीं है। नॉर्थ एटलांटिक ट्रीटी ऑर्गेनाइजेशन यानि नाटो 1949 में बना एक सैन्य संगठन है जिसमें शुरुआत में 12 देश थे जिनमें अमेरिका, कनाडा, ब्रिटेन और फ्रांस शामिल थे। इस संगठन का मूल सिद्धांत यह है कि यदि किसी एक सदस्य देश पर हमला होता है तो बाकी देश उसकी मदद के लिए आगे आएंगे। यह यूरोपीय देशों का एक सैन्य संगठन है और इसमें भौगोलिक स्थिति के हिसाब से सामरिक शक्ति को बढ़ाने के लिए सदस्य जोड़े जाते हैं। अपनी भौगोलिक स्थिति और कूटनीतिक कारणों से भारत नाटो का सदस्य नहीं है। दरअसल में नाटो में कोई एशियाई सदस्य नहीं है। इसका मूल मकसद दूसरे विश्व युद्ध के बाद रूस के यूरोप में विस्तार को रोकना था। 1955 में सोवियत रूस ने नाटो के जवाब में पूर्वी यूरोप के साम्यवादी देशों के साथ मिलकर अपना अलग सैन्य संगठन खड़ा किया था जिसे वॉरसा पैक्ट नाम दिया गया था। लेकिन 1991 में सोवियत यूनियन के विघटन के बाद वॉरसा पैक्ट का हिस्सा रहे कई देशों ने दल बदल लिया और वह नाटो में शामिल हो गए। नाटो गठबंधन के अब 30 देश सदस्य हैं। यूकेन एक पूर्व सोवियत रिपब्लिक है जो एक तरफ रूस से और दूसरी तरफ यूरोपीय संघ से सटा है। यूकेन में रूसी मूल के लोगों की बड़ी आबादी है और उसके रूस के साथ सामाजिक और सांस्कृतिक रिश्ते रहे हैं। रणनीतिक रूप से रूस इसे अपना हिस्सा मानता है और हाल ही में रूस के राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन ने कहा था कि यूकेन वास्तव में रूस का हिस्सा ंहै। हालांकि हाल के सालों में यूकेन का झुकाव पश्चिम की तरफ अधिक रहा है। उसका यूरोपीय संघ और नाटो का हिस्सा होने का इरादा उसके संविधान में लिखा है। फिलहाल यूकेन नाटो का एक सहयोगी देश है, इसका मतलब यह है कि इस बात को लेकर सहमति है कि भविष्य में कभी भी यूकेन को नाटो में शामिल किया जा सकता है। हालांकि अमेरिका और उसके सहयोगी देश यूकेन को नाटो में शामिल होने से रोकने के खिलाफ हैं। उनका तर्प है कि यूकेन एक स्वतंत्र राष्ट्र है जो अपनी सुरक्षा को लेकर निर्णय ले सकता है और गठबंधन बना सकता है। रूसी राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन ने यूकेन के दो इलाकों को स्वतंत्र क्षेत्र की मान्यता दे दी है। राष्ट्रपति पुतिन का दावा है कि पश्चिमी देश नाटो का इस्तेमाल रूस के इलाके में घुसने के लिए कर रहे हैं। वो चाहते हैं कि नाटो पूर्वी यूरोप में अपनी सैन्य गतिविधियां रोक दे। वो तर्प देते रहे हैं कि अमेरिका ने 1990 में किया वो वादा तोड़ दिया है जिसमें भरोसा दिया गया था कि नाटो पूर्व की तरफ नहीं बढ़ेगा। वहीं अमेरिका का कहना है कि उसने कभी भी ऐसा कोई वादा नहीं किया था। नाटो का कहना है कि उसके कुछ सदस्य देशों की सीमाएं ही रूस से लगी हैं और यह एक सुरक्षात्मक गठबंधन है। नाटो ने इप्टोनिया, लातविया, लिथुआनिया और पोलैंड में चार बटालियन की बराबर बैटल ग्रुप है जबकि रोमानिया में बहुराष्ट्रीय ब्रिगेड है। नाटो ने बाल्टिक देशों और पूर्वी यूरोप में हवाई निगरानी भी बढ़ाई है ताकि सदस्य देशों के वायु क्षेत्र में घुसने से रूसी विमानों को रोका जा सके। रूस का कहना है कि वो चाहता है कि यह बल क्षेत्र से निकाले जाएं। पोलैंड और बाल्टिक देशों में पहले से ही उसके लड़ाकू समूह मौजूद हैं।
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