Tuesday 29 March 2022

तो क्या लोकसभा चुनाव के साथ होंगे नगर निगम चुनाव?

दिल्ली में एकीकृत नगर निगम चुनाव जल्द होने की उम्मीद नहीं है। विधेयक में वार्डों की अधिकतम संख्या 250 करने का प्रावधान है। इससे नए सिरे से वार्ड बनाने होंगे। इस प्रक्रिया में एक वर्ष तक का समय लग सकता है। दूसरी ओर केंद्र सरकार ने विधेयक में कहा है कि नगर निगम बनने के बाद जो जनगणना होगी, उसके आधार पर दिल्ली के वार्डों की संख्या तय होगी। विशेषज्ञों के अनुसार केंद्र सरकार ने विधेयक में प्रावधान किया है कि वार्ड का परिसीमन नई जनगणना के आधार पर होगा। अभी 2021 की जनगणना पूरी नहीं हुई है। एक अनुमान के अनुसार जनगणना की रिपोर्ट आने में दो साल का वक्त लग सकता है। इस सूरत में दो साल पहले नए सिरे से वार्ड नहीं बनाए जा सकते। असल में माना जा रहा है कि 2011 की जनगणना के आधार पर वार्डों का परिसीमन करना न्यायसंगत नहीं होगा। वार्डों में वर्ष 2011 की जनगणना से अधिक मतदाताओं की संख्या हो चुकी है। इस कारण जनसंख्या एवं मतदाताओं के मामले में वार्डों की स्थिति एक समान नहीं हो सकेगी। उधर दिल्ली राज्य निर्वाचन आयोग के अधिकारियों ने बताया कि जनगणना रिपोर्ट मिलने के बाद नए सिरे से वार्ड बनाने में कम से कम एक वर्ष का समय लगेगा। वर्ष 2016 में वार्डों का परिसीमन करने में पूरा एक वर्ष लग गया था। वार्ड बनाने में जनगणना विभाग से आंकड़े लेने पड़ते हैं। इसके बाद वार्ड बनाने की प्रक्रिया शुरू हो जाती है। वार्डों के क्षेत्र का प्रारूप बनाने के बाद राजनीतिक दलों के अलावा आम जनता से आपत्ति एवं सुझाव प्राप्त किए जाते हैं। यह प्रक्रिया पूरी होने के बाद वार्डों के क्षेत्रों को अंतिम रूप दिया जाता है। संविधान विशेषज्ञ और दिल्ली विधानसभा के पूर्व सचिव एसके शर्मा ने कहा कि अगर वार्डों की मौजूद संख्या 272 से घटाई जाती है तो इसके लिए परिसीमन प्रक्रिया की आवश्यकता होगी और उसमें बहुत लंबा समय लगेगा। बता दें कि दिल्ली के नगर निगमों (तीनों) का कार्यकाल 22 मई को खत्म हो रहा है। निगम भंग होने के साथ ही इनकी कमान स्पेशल ऑफिसर के हाथ में सौंप दी जाएगी। जो सीधे दिल्ली के उपराज्यपाल को रिपोर्ट करेंगे। पेश बिल के बारे में कहा गया है कि उन्हें नगर निगम की कार्यप्रणाली में हस्तक्षेप करने का पूरा अधिकार होगा। इस बिल से सरकार दिल्ली में मेयर-इन-काउंसिल प्रणाली लागू करने में मौन है। इस बिल में इस तरह की कोई चर्चा नहीं की गई। हालांकि कहा गया है कि इसकी जानकारी गजट नोटिफिकेशन में दी जाएगी। बिल में डायरेक्ट लोकल बॉडीज की व्यवस्था को जारी रखने की बात जरूर कही गई है।

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