Wednesday 30 March 2022

योगी आदित्यनाथ से उम्मीदें

योगी आदित्यनाथ ने बीते शुक्रवार शाम को लखनऊ के इकाना स्टेडियम में भारतीय जनता पार्टी के तमाम कार्यकर्ताओं, दूसरे राज्यों के मुख्यमंत्रियों के बीच दूसरी बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली। योगी आदित्यनाथ का उत्तर प्रदेश के 22वें मुख्यमंत्री के रूप में शपथ लेना कई मायनों में ऐतिहासिक है। पिछले करीब चार दशकों में योगी आदित्यनाथ उत्तर प्रदेश के पहले ऐसे मुख्यमंत्री हैं, जो अपना पांच साल का कार्यकाल पूरा करके फिर मुख्यमंत्री बने हैं। उन्होंने दशकों पुराने नोएडा जाना मुख्यमंत्री पद के लिए मनहूस होता है, जैसे मिथक को भी तोड़ दिया। नई सरकार में नए चेहरों के रूप में पूर्व आईएएस अधिकारी असीम अरुण, पूर्व आईएएस अधिकारी अरविन्द शर्मा से लेकर दानिश आजाद अंसारी जैसे नए चेहरों को जगह मिली है। इसके साथ ही पिछली सरकार में उपमुख्यमंत्री रहे दिनेश शर्मा से लेकर सतीश महाजन, सिद्धार्थ नाथ सिंह, आशुतोष टंडन जैसे बड़े नेताओं और मंत्री रहे कुल 22 नेताओं को इस बार कैबिनेट में शामिल नहीं किया गया है। चुनाव के नतीजे आने के बाद से भाजपा नेता कह रहे हैं कि उत्तर प्रदेश की जनता ने उनके काम को देखते हुए एक बार फिर उन पर भरोसा जताया है। इन 22 नेताओं में से कई लोगों को मंत्रिमंडल में नहीं रखे जाने पर किसी को आश्चर्य नहीं हुआ। उन्होंने चुनाव में ठीक से ध्यान नहीं दिया। ज्यादातर लोगों को स्थानीय स्तर पर नाराजगी थी। बड़ी मुश्किल से मोदी और योगी के नाम पर यह जीतकर आए हैं। शिकायतें तो इनके खिलाफ पहले से थीं, लेकिन कोरोना की वजह से सब टल गई। संदेश साफ था कि या तो अच्छा प्रदर्शन करिए या फिर किनारे बैठ जाइए। जो अच्छा प्रदर्शन करेगा वो रहेगा, जो नहीं करेगा उसे जाना होगा। सिद्धार्थ नाथ सिंह का विभाग बदला गया था, इसी से उन्हें संकेत दिया गया था। स्वास्थ्य मंत्रालय से उन्हें हटाया गया। पार्टी वही कर रही है जो किसी भी राजनीतिक दल में होना चाहिए। जैसे विधायक के रूप में आपका प्रदर्शन कैसा है, चुनाव क्षेत्र के लोग आपसे कितने संतुष्ट हैं, अगर आप सरकार में हैं तो आपका प्रदर्शन कैसा रहा, आपकी छवि कैसी है? उत्तर प्रदेश की पिछली सरकार में योगी आदित्यनाथ के करीबी माने जाने वाले महेंद्र सिंह की बात करें, सिद्धार्थ नाथ सिंह की बात करें या श्रीकांत शर्मा की इन तीनों को मंत्रिमंडल से बाहर रखने की एक ही वजह है कि इन तीनों पर आर्थिक घोटाले जैसे आरोप थे। आय के लिए कृषि पर अत्याधिक निर्भरता और पूर्वी व पश्चिमी उत्तर प्रदेश के बीच आर्थिक असमानता के अलावा भी श्रम भागीदारी दर और युवा बेरोजगारी के मोर्चे पर उत्तर प्रदेश का प्रदर्शन राष्ट्रीय प्रदर्शन से कमतर है। जिस पर इस साल भी अगर सरकार की कल्याणकारी योजनाएं प्रभावी ढंग से लागू की गईं तो निश्चित रूप से योगी उत्तर प्रदेश की तस्वीर बदल सकते हैं। घोषणा पत्र के अनुरूप किसानों को सिंचाई के लिए मुफ्त बिजली उपलब्ध कराई गई, तो मौजूदा वित्त वर्ष में उत्तर प्रदेश का कर्ज बढ़कर उसके जीडीपी का एक-तिहाई हो जाएगा। ऐसे में ज्यादा राजनीतिक ताकत के साथ लौटे योगी से सूबे की अर्थव्यवस्था को बेहतर बनाने की उम्मीद भी स्वाभाविक रूप से और बढ़ गई है। चुनाव में जो एक मुद्दा ज्यादा छाया रहा वह था राज्य में कानून-व्यवस्था और महिलाओं की सुरक्षा। योगी जी से बहुत उम्मीदें हैं। उन्हें जनता की उम्मीदों पर खरा उतरना ही होगा। फिर 2024 के चुनाव में यूपी की अहम भूमिका होगी।

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