Tuesday, 29 March 2022

अखिलेश ने विधायकी को क्यों चुना?

सपा मुखिया अखिलेश यादव ने लोकसभा की सदस्यता से इस्तीफा देकर यह तो साफ कर दिया है कि उनका अब पूरा ध्यान यूपी की सियासत पर होगा। उन्हें सरकार बनाने का भले ही मौका न मिला हो पर वह सदन में भाजपा सरकार को मजबूत विपक्ष की भूमिका का एहसास जरूर कराएंगे। इस इस्तीफे को वर्ष 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव से जोड़कर भी देखा जा रहा है। अखिलेश यादव, आजम खान, माता प्रसाद पांडेय और शिवपाल यादव वरिष्ठ विधायक हैं। इनमें नेता विरोधी दल अखिलेश होंगे। अखिलेश करहल सीट से पहली बार विधायक चुने गए हैं। सीट को बचाकर उन्होंने संदेश देने की कोशिश की है कि पारिवारिक व परंपरागत सीट से उनका सियासी लगाव है और बना रहेगा। आजम खान इस चुनाव में रामपुर से 10वीं बार विधायक चुने गए हैं और जेल में हैं। विधानसभा में उनकी भूमिका जेल से आने के बाद ही शुरू हो पाएगी। अखिलेश जब सांसद थे तो उनका ज्यादा वक्त दिल्ली में गुजर रहा था। इस्तीफे के सहारे वह यह संदेश भी देना चाहते हैं कि विधानसभा चुनाव में मिली हार के बाद भी वह यूपी की सियासत पर ध्यान देंगे। सपा का आजमगढ़ की विधानसभा सीटों पर अच्छा प्रदर्शन रहा है। ऐसे में अखिलेश को भरोसा है कि उपचुनाव में यह सीट फिर से सपा के खाते में आ जाएगी। अखिलेश आबादी के लिहाज से देश के सबसे बड़े राज्य में पांच साल तक मुख्यमंत्री रहे हैं। उनका पूरा खानदान राजनीति में है। पिता मुलायम सिंह यादव तो देश के राजनीतिक महारथियों में शुमार किए जाते हैं। अखिलेश को हालांकि यूपी विधानसभा चुनाव परिणाम से समझ आ चुका है कि पार्टी के हित में उनका यूपी में रहना जरूरी है बजाय दिल्ली में रहने के। अब वह यूपी विधानसभा में रहकर योगी सरकार की नीतियों पर कड़ी नजर रख पाएंगे और हर उस मौके को अपनी पार्टी के हित में भुनाएंगे जहां योगी सरकार थोड़ी-सी भी कमजोर दिखेगी।

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