Friday, 11 March 2022

पीएम की अपील रंग लाई

यूकेन के शहर सूमी में फंसे 694 छात्रों को सुरक्षित जगह पर पहुंचाए जाने की खबर वाकई बड़ी राहत देने वाली है, क्योंकि वहां हालात बद से बदतर होते जा रहे हैं। उन्हें मंगलवार को बसों में बिठाकर बॉर्डर एरिया की ओर रवाना कर दिया गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रूसी राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन व यूकेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की से बातचीत के अगले दिन युद्धग्रस्त सूमी से सभी 694 भारतीय छात्रों को सुरक्षित निकाल लिया गया। केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने बतायाöमंगलवार सुबह सुरक्षित मानवीय गलियारों के खुलने के तुरन्त बाद सभी भारतीय छात्रों को बसों से पोल्तावा शहर के लिए रवाना कर दिया गया। यूकेन की डिप्टी पीएम आइरिना वेटेसामुक ने कहाöरूसी सेना ने रेडक्रॉस को पत्र लिखकर युद्धविराम पर सहमति जताई। इसके बाद स्थानीय समयानुसार सुबह नौ बजे से रात नौ बजे तक गोले नहीं दागे गए। रूस ने भी कहाöउसने सूमी के अलावा कीव, चेर्निहाइव, खारकीव और मारियोपोल में गोलाबारी रोक दी है। इस गलियारे के जरिए मानवीय मदद का सामान भी युद्धग्रस्त सूमी में लाया जाएगा। वेटेसामुक ने दोहराया कि लोगों को रूस और बेलारूस के रास्ते निकालने का प्रस्ताव कतई मंजूर नहीं किया जाएगा। दो दिनों तक तो सुमी में जमकर गोलाबारी और भारी तबाही हुई है। पुतिन ने छात्रों की निकासी को लेकर पीएम मोदी को आश्वस्त किया था। संयुक्त राष्ट्र की जानकारी के मुताबिक पूरे यूकेन से 20 लाख लोग जा चुके हैं। सूमी में फंसे हजारों लोग खाना, पानी और दवाओं की कमी से जूझ रहे हैं। इन हालातों में 694 भारतीय छात्रों ने वीडियो के जरिए बताया था कि वह अब बैदल की तरफ बढ़ेंगे। हालांकि भारत सरकार ने उनसे वहीं रुकने की अपील करते हुए जल्द मदद पहुंचाने का दावा किया। इस बारे में सोमवार को पीएम मोदी ने यूकेन और रूस के राष्ट्रपति से भी बात की थी। यह सब दिखाता है कि युद्ध अंतत कितनी बड़ी मानवीय त्रासदी है। इन बच्चों ने युद्धग्रस्त इलाकों से निकलने पर राहत की सांस ली है।

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