Monday, 14 March 2022

फिर फंसे संकट में इमरान खान

पाकिस्तान के प्रमुख अखबार डॉन की रिपोर्ट के मुताबिक वजीर-ए-आजम इमरान खान आजकल दबाव में हैं। जैसे-जैसे राजनीतिक घटनाक्रम तेजी से बदल रहा है और विपक्ष और हुकूमत के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव को अंतिम रूप देता हुआ दिख रहा है। यह बात भी साफ हो रही है कि पीटीआई सरकार अपने अब तक के सबसे गंभीर संकट से मुकाबिल है। पीटीआई सरकार संघीय स्तर पर तो ह्रास महसूस कर ही रही है, पंजाब सूबे में भी इसके आगे एक बड़ी चुनौती आ खड़ी हुई है। सोमवार को असंतुष्ट जहांगीर खान तारीन गुट को उस समय बड़ी कामयाबी मिली, जब इमरान खान के करीबी सहयोगी और पंजाब के पूर्व वरिष्ठ मंत्री अब्दुल अलीम खान उसके साथ हो गए। असंतुष्ट खेमे के साथ बैठक के बाद पत्रकारों से बात करते हुए अलीम खान ने पीटीआई हुकूमत से अपने मोहभंग को छिपाने की कोई कोशिश नहीं की। जहांगीर खान तारीन गुट के बढ़ते संख्याबल को देखते हुए ऐसा प्रतीत होता है कि अगर उसने पंजाब की उस्मान बुजवार सरकार से समर्थन वापस ले लिया, तो यह गंभीर संकट में पड़ सकती है। केंद्र और पंजाब सरकार के खिलाफ एक साथ माहौल का गरमाना कोई संयोग नहीं है। विपक्ष विधानसभाओं में संख्याबल और रावलपिंडी से इस्लामाबाद तक पीपीपी के लंबे मार्च के जरिये सरकार पर अधिकतम दबाव बनाना चाहता है। प्रधानमंत्री इमरान खान ने चैलसी में जो भड़काऊ भाषण दिया, उसे इन बढ़ते दबाव का ही नतीजा माना जा रहा है। वजीर-ए-आजम ने अपने विरोधियों के खिलाफ जिस तल्ख जुबान का इस्तेमाल किया, वह इस ऊंचे ओहदे पर बैठे व्यक्ति के लिए कतई मुनासिब न था। फिर यूक्रेन पर हमले के हवाले से उन्होंने एक ऐसे वक्त पर यूरोपीय संघ और अमेरिका की आलोचना कर डाली, जब पश्चिम और रूस के बीच संतुलन साधने की दरकार है। एक प्रधानमंत्री का यूं अराजनयिक हमला करना पाकिस्तान के लिए समस्याएं खड़ी कर सकता है। वजीर-ए-आजम को समझना चाहिए कि उनके द्वारा बोले जाने वाले हर वाक्य को मुल्क की नीति के तौर पर देखा जा सकता है, इसलिए अपनी भावनाओं का इजहार करते हुए उन्हें खास एहतियाद बरतनी चाहिए। -अनिल नरेन्द्र

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