Thursday 10 March 2022

चुनाव लड़ने वाले 80… की जमानत जब्त हो जाती है

दो महीने तक चलने वाले सियासी संग्राम में वैसे तो हर दल और नेता अपनी जीत का दावा कर रहा है। पर जब चुनाव परिणाम आते हैं तो नजारा कुछ और ही होता है। 1989 से लेकर उत्तर प्रदेश में जितने भी विधानसभा चुनाव हुए हैं उसके आंकड़ों पर नजर डालें तो इनमें 80 प्रतिशत उम्मीदवारों की जमानत जब्त हुई है। यानि चुनावों में करीब 20 प्रतिशत ही अपनी जमानत बचा पाते हैं। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि 2022 के विधानसभा चुनावों में क्या होता है। जानकारों का मानना है कि इस विधानसभा चुनाव में मुख्य रूप से ज्यादातर सीटों पर दो दलों के बीच जीत-हार की लड़ाई है। ऐसे में इस बार ऐसे प्रत्याशियों की संख्या और अधिक हो सकती है। विधानसभा चुनाव 2022 में कुल 4441 प्रत्याशी मैदान में हैं। वहीं 2017 में 4853 प्रत्याशी चुनाव मैदान में थे। इस बार सिर्फ चार सीटें ही ऐसी हैं, जहां 35 से अधिक प्रत्याशी मैदान में हैं। इस बार प्रत्याशियों की संख्या पिछले कई बार के मुकाबले काफी कम हैं। विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए हर प्रत्याशी को पांच हजार रुपए की जमानत राशि जमा करनी होती है। यह जमानत राशि प्रत्याशी को तभी वापस मिलती है जब प्रत्याशी को अपनी विधानसभा सीट में पड़े कुल वैध मतों का छठा हिस्सा मिला हो। ऐसा न होने पर प्रत्याशी को जमानत की राशि नहीं दी जाती है। 1989 के बाद से उत्तर प्रदेश में जितने भी विधानसभा चुनाव हुए उसमें सबसे अधिक 1993 में प्रत्याशियों की जमानत जब्त हुई थी। 1993 में करीब 88.45 प्रतिशत प्रत्याशी अपनी जमानत नहीं बचा पाए थे। 1996 में 4429 प्रत्याशी चुनाव मैदान में थे, जिनमें 3244 प्रत्याशियों की जमानत जब्त हुई थी। 2002 में 5533 कुल प्रत्याशी थे, जिनमें से 4422 अपनी जमानत बचाने में असफल रहे थे। इसी तरह 2007 में 6086 प्रत्याशी चुनाव मैदान में थे, जिनमें से 5034 प्रत्याशी जमानत नहीं बचा पाए थे। वहीं 2012 में कुल 6839 प्रत्याशियों में से 5760 प्रत्याशियों की जमानत जब्त हुई थी। 2017 में भी कुछ ऐसा ही हुआ। तब चुनाव मैदान में 4853 प्रत्याशी मैदान में थे। इनमें से 3736 प्रत्याशियों को जमानत की राशि वापस नहीं मिल पाई थी। इन सबके बावजूद चुनाव लड़ने का शौक चरम पर है। जमानत राशि बढ़ाने पर चुनाव आयोग को विचार करना चाहिए। -अनिल नरेन्द्र

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