Thursday, 3 March 2022

पूर्वांचल हर चुनाव में चौंकाता है

यूपी चुनाव अपने निर्णायक मोड़ पर पहुंच गया है। 5 चरणों में अब तक 292 सीटों पर मतदान पूरा हो चुका है। अब दो चरणों में पूर्वांचल की 111 सीटों पर वोटिंग बाकी है। अगर बीते ट्रेंड को देखें तो यह इलाका सियासी दलों को हर बार चौंकाता है। 2007 में बसपा की लहर चली तो 2012 में साइकिल की। 2017 में भाजपा ने यह किला भेदा और सरकार बनाई। 2017 में विधानसभा चुनाव और 2019 के लोकसभा चुनाव में कई इलाकों में मोदी लहर तब बेअसर रही थी। यही भाजपा की सबसे बड़ी चिंता है। मसलन 2017 में आजमगढ़ की 10 में से सिर्प एक सीट भाजपा के हक में आई। 2017 में पूरा जोर लगाने के बाद भी भाजपा को मऊ और बलिया में बड़ी सफलता नहीं मिली थी। इस इलाके में निषाद, राजभर, मौर्य और कुशवाहा वोटर बड़ी तादाद में हैं जो बड़ी ताकत रखते है। जौनपुर जिले की 9 में से 4 सीटें भाजपा के हाथ लगी थीं। तीन सपा और एक बसपा ने जीती थी। 2019 के आम चुनाव की बात करें तो आजमगढ़ में सपा पमुख अखिलेश यादव जीते थे। गाजीपुर से रेल मंत्री रहे मनोज सिन्हा को अफजल अंसारी ने शिकस्त दी थी। जौनपुर, लालगंज और घोसी सीट बसपा ने फतह की थी। 2017 के चुनाव में सपा और बसपा के गढ़ रहे इस इलाके में भाजपा ने सोशल इंजीनियरिंग के दम पर फतह की थी। इन दोनों चरणों में भाजपा एम-वाई फैक्टर के भरोसे है। एम यानी मोदी वाई यानी योगी। छठे चरण में सीएम योगी के गढ़ गोरखपुर और आसपास के जिलों की 57 सीटों पर वोटिंग होगी। सातवें चरण में पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी और उसके आसपास के जिलों की 54 सीटों पर वोटिंग है। 111 में एक दर्जन सीटें ऐसी हैं, जहां व्यक्ति विशेष या परिवार विशेष का सिक्का चलता है।

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