Thursday, 3 March 2022
पुतिन इसलिए परमाणु हमले की धमकियों पर उतरे...
न्यूयार्प टाइम्स ने रक्षा विशेषज्ञों के हवाले से लिखा है-रूस को उम्मीद नहीं थी कि यूकेन की सेना उसे पमुख शहरों में घुसने से रोक देगी। अब बीतता हुआ हरेक दिन तीन बड़ी परेशानियां खड़ी कर रहा है। पहली-युद्ध में रोज सवा लाख करोड़ रुपए खर्च करने पड़ रहे हैं, जो लंबे समय तक संभव नहीं। दूसरी-यूकेन के नागरिक रूसी सेना के सामने खड़े हो गए हैं। नागरिकों को निशाना बनाते हुए रूसी सेना आगे बढ़ती है तो पुतिन की नैतिक हार तय है। तीसरी-समय बीतने के साथ यूकेन को पड़ोसी देशों से हथियारों की मदद बढ़ रही है। द इकानामिस्ट ने यूरोपीय विशेषज्ञों के हवाले से लिखा है- पुतिन अभी सिर्प डरा रहे है ताकि नाटो या पड़ोसी देश यूकेन के हक में दखलअंदाजी न करें। लेकिन नाटो और अमेरिका को लगता है कि अगर रूसी सेना को यूकेन ने कुछ दिनों तक और रोककर रखा तो पुतिन परमाणु हथियारों का सीमित इस्तेमाल कर सकते हैं। ऐसा हुआ तो यह तीसरे विश्व युद्ध की शुरुआत होगी। पूरी दुनिया एक तरफ होगी और रूस अकेला, क्योंकि ऐसी स्थिति में चीन भी अलग रहना चाहेगा। पुतिन पर दबाव क्यों बढ़ रहा है? क्योंकि सैन्य रणनीति अभी तक सफल नहीं रही। पुतिन का ताजा बयान बताता है कि उनकी सेना टाइमलाइन से पिछड़ चुकी है। इसलिए वे बार-बार सेना का उत्साह बढ़ाकर कह रहे हैं कि कार्रवाई समयानुसार ही चल रही है। दरअसल, रूस को होने जा रहा आर्थिक नुकसान समय के साथ बढ़ता ही जाएगा, इसलिए पुतिन जल्द से जल्द यूकेन की सत्ता पलटकर वहां अपने समर्थक नेता को बिठाना चाहते हैं। द गार्जियन के अनुसार यूकेन के नुकसान की भरपाई यूरोपीय देश कर लेंगे, लेकिन रूस की भरपाई मुश्किल है। ऐसे में रूस जो पहले सैन्य तरीके से हल चाहता था, अब बातचीत की टेबल पर आ चुका है।
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