Tuesday, 8 March 2022
न्यूक्लियर वॉर का बढ़ता खतरा
यूकेन में स्थित यूरोप के सबसे बड़े परमाणु ऊर्जा संयंत्र पर शुक्रवार को रूस ने कब्जा कर लिया। हमले के दौरान जैपोरिझिया संयंत्र की एक इमारत में बृहस्पतिवार रात आग लग गई। ऐसे में परमाणु रेडिएशन के रिसाव के डर से यूरोपीय महाद्वीप समेत पूरी दुनिया कई घंटे सांसत में रही। हालांकि आग को शुक्रवार सुबह बुझा दिया गया। यूकेनी अधिकारियों ने बताया है कि संयंत्र अब सामान्य रूप से काम कर रहा है। रूसी मंत्रालय ने इसकी पुष्टि की है। जैपोरिझिया परमाणु संयंत्र को रूसी कब्जे से बचाने के लिए यूकेनी सैनिकों और स्थानीय लोगों ने पूरा जोर लगाया लेकिन कामयाब नहीं हो पाए। इस संयंत्र से यूकेन की बिजली जरूरतों के 20 प्रतिशत हिस्से की आपूर्ति होती है। वहीं रूस ने आरोप लगाया कि आग यूकेन ने खुद लगाई। रूस ने इसे दानवी कृत्य बताया। बाद में अधिकारियों ने बताया कि जैपोरिझिया परिसर में लगी आग दरअसल परीक्षण केंद्र की इमारत में लगी थी न कि संयंत्र में। संयंत्र में धमाके से चेर्नोबल-फुगुशिया जैसे हादसों का डर है। पुतिन ने बीते हफ्ते ही चेतावनी दी थी कि रूस की योजना में किसी ने हस्तक्षेप करने की कोशिश की, तो उसे ऐसे परिणाम भुगतने पड़ेंगे, जो इतिहास में कभी नहीं देखे गए। हाल ही में रूसी विदेश मंत्री ने एक इंटरव्यू में कहा कि अगर तीसरा विश्वयुद्ध होता है तो उसमें परमाणु हथियारों का इस्तेमाल होगा, जो ज्यादा विध्वंसकारी होगा। भले ही उन्होंने यह कहकर अपने बयान को हल्का करने की कोशिश की कि परमाणु हमले की आशंका पश्चिम ने जताई है, रूस ने नहीं। इससे इसका आभास तो होता ही है कि रूस परमाणु धमकियां देकर अपनी सैन्य कार्रवाई जारी रखना चाहता है। कहा गया है कि अगर जैपोरिझिया परमाणु संयंत्र में विस्फोट होता है तो वह चेर्नोबल हादसे से 10 गुना ज्यादा विनाशकारी साबित हो सकता था। गनीमत रही कि आग जिस इमारत में लगी थी, उसमें ट्रेनिंग दी जाती थी। कोई संवेदनशील मशीनरी वहां नहीं थी। इस बात से थोड़ी राहत की सांस जरूर ली जा सकती है, लेकिन याद रखना होगा कि वहां हालात जस से तस ही नहीं, बल्कि बदत्तर हो रहे हैं। यूकेन में चार न्यूक्लियर पॉवर प्लांट हैं। रूसी हमले जारी हैं और इस पूरी घटना का उनके रुख पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा है। इसके बावजूद मौजूदा परिदृश्य में रूस की धमकी को हल्के में नहीं ले सकते, क्योंकि 1994 में हुए समझौते के तहत यूकेन ने अपने सभी परमाणु हथियार रूस को सौंपते हुए परमाणु अप्रसार संधि (एनपीटी) पर दस्तखत भी किए थे। जबकि स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट के मुताबिक दुनिया में सबसे अधिक परमाणु हथियार रूस के पास हैं, इसलिए रूसी आक्रमकता के बीच उसकी परमाणु धमकियों को गंभीरता से लेना होगा।
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