Friday, 4 March 2022

रिश्वत का प्रमाण जरूरी है

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कहा कि भ्रष्टाचार-रोधी कानून के प्रावधान के तहत किसी सरकारी कर्मचारी के रिश्वत मांगने और उसे स्वीकार करने के अपराध को साबित करने के लिए सुबूत का होना जरूरी है। कोर्ट ने कहा कि भ्रष्टाचार रोकथाम (पीसी) अधिनियम की धारा-7 के तहत लोक सेवकों द्वारा रिश्वत मांगने से संबंधित अपराध के लिए गैर-कानूनी मांग और उसे स्वीकार करना अनिवार्य कारक होते हैं। यह धारा सरकारी अधिनियम के संबंध में कानूनी पारिश्रमिक के अलावा अवैध पारितोषिक लेने वाले लोक सेवकों के अपराध से संबंधित है। जस्टिस अजय रस्तोगी और अभय श्रीवास्तव की बेंच ने तेलंगाना हाई कोर्ट के उस फैसले को रद्द करते हुए कहा। हाई कोर्ट ने एक महिला लोक सेवक की सजा को बरकरार रखा था। सिकंदराबाद में एक वाणिज्यिक कर अधिकारी के रूप में कार्यरत महिला अधिकारी को भ्रष्टाचार रोकथाम अधिनियम की धारा-7 के तहत कथित अपराधों के लिए दोषी ठहराया गया था। अदालत ने अपने 17 पन्नों के फैसले में कहा कि पीसी अधिनियम की धारा-7 के तहत लोक सेवकों द्वारा रिश्वत मांगने से संबंधित अपराध के लिए गैर-कानूनी मांग और उसे स्वीकार करना अनिवार्य कारक होते हैं। भ्रष्टाचार-रोधी कानून की धारा-7 के प्रावधान के तहत सरकारी कर्मचारी द्वारा रिश्वत मांगे जाने पर और उसे स्वीकार करने के अपराध को साबित करने के लिए सुबूत का होना जरूरी है। सुप्रीम कोर्ट ने आरोपी महिला अधिकारी द्वारा तेलंगाना हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती देने वाली विशेष अनुमति याचिका पर यह फैसला सुनाया। अदालत ने कहा कि अपीलकर्ता द्वारा रिश्वत की मांग करने के आरोप को साबित करने के लिए शिकायतकर्ता का सत्य बिल्कुल विश्वसनीय नहीं थे। अदालत ने कहा कि इसलिए हम इस निष्कर्ष पर पहुंचे हैं कि अपीलकर्ता द्वारा की गई मांग साबित नहीं हुई। -अनिल नरेन्द्र

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