Wednesday, 2 March 2022

क्या यूक्रेनियों की बहादुरी समझने से चूक गए पुतिन

यूक्रेन पर रूस के आक्रमण के पांच दिन बीत गए हैं। इस दौरान पश्चिमी मीडिया और इंटरनेट मीडिया में कुछ ऐसी तस्वीरें और वीडियो वायरल हो रहे हैं जिससे लगता है कि यूक्रेन में रूसी सैनिकों को आम लोगों के कड़े विरोध का सामना करना पड़ रहा है। सवाल उठने लगे हैं कि क्या रूसी राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन ने द्वितीय युद्ध से कोई सबक नहीं लिया, जिसमें सबसे अच्छे सोवियत सैनिक यूक्रेनी ही थे। यूक्रेन के खुफिया अधिकारियों के हवाले से पश्चिमी मीडिया में आ रहीं खबरों के मुताबिक पुतिन वास्तविकता से दूर एक अलग दुनिया में रहते हैं। यूक्रेनी अधिकारी बताते हैं कि पुतिन को लगता था कि यूक्रेन के लोग रूसी सैनिकों का स्वागत करेंगे। रूसी अधिकारी पुतिन को वही बताते हैं जो वो सुनना चाहते हैं। रूस की सशस्त्र सेनाओं के प्रमुख और पुतिन के सबसे शीर्ष सैन्य कमांडर वैलेरी गेरासियोव ने भी उन्हें आगाह किया था। यूक्रेन पर हमले के बाद यह माना जा रहा था कि दो या तीन दिनों के भीतर रूस उस पर कब्जा कर लेगा। लेकिन पांचवें दिन भी यूक्रेन लड़ रहा है। रक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि अगले दो-तीन दिन रूस के लिए बेहद अहम हैं। लेकिन विशेषज्ञ कुछ घटनाओं को इस रूप में देख रहे हैं कि रूस को उलझा कर यूक्रेन युद्ध को लंबा खींचने की कोशिश कर रहा है। पांच दिन से जारी युद्ध के बीच जो नई बात देखी गई है, उसमें जर्मनी समेत कई पश्चिमी देशों ने यूक्रेन को हथियार देने का ऐलान करना तथा यूक्रेन में नागरिकों को युद्ध के मैदान में उतारना है। इन दो घटनाओं को लेकर माना जा रहा है कि यह रूस को लंबे समय तक यूक्रेन में उलझाने के लिए कोशिश हो सकती है। हो सकता है कि यूक्रेन खुद यह कह रहा हो या फिर पश्चिमी देशों के इशारे पर कर रहा हो। रूस पर दबाव होगा कि वह कुछ दिनों में यूक्रेन पर पूरी तरह से नियंत्रण हासिल कर ले। यदि वह विफल रहता है तो उसके लिए बड़ी चुनौती पैदा हो सकती है। इस बीच यूक्रेन ने अपने नागरिकों को युद्ध के लिए तैयार करना शुरू कर दिया है। एजेंसियों के जरिये लोगों का चयन कर उन्हें हथियार मुहैया कराए जा रहे हैं। वह पेशेवर सैनिक नहीं हैं, लेकिन बड़े पैमाने पर इन गैर-पेशेवर लोगों के समूह रूसी सेना के लिए गुरिल्ला युद्ध जैसे हालात पैदा कर रहे हैं। इन पर काबू पाना कठिन हो सकता है, क्योंकि ऐसे लोग छोटे-छोटे समूहों में हमले करते हैं। इनके खिलाफ कार्रवाई करने में रूसी सेना को नागरिक ठिकानों को भी निशाना बनाना पड़ रहा है। रूस अफगानिस्तान को भूला नहीं है। उसका प्रयास होगा कि अगले कुछ दिनों में यूक्रेन पर कब्जा कर ले। अगर युद्ध लंबा खिंचता है तो रूस के लिए ठीक नहीं होगा। उसके दुष्परिणाम निकल सकते हैं।

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