Thursday, 10 March 2022
भारतीय रेलवे ने रचा इतिहास
दक्षिण मध्य रेलवे के लोको पायलट जीएम प्रसाद को शुक्रवार का दिन जीवनभर याद रहेगा। वह ट्रेन के इंजन में रेलमंत्री अश्विनी वैष्णव और रेलवे के वरिष्ठ अधिकारियों को बिठाकर 100 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार पर हैदराबाद से मुंबई रेलवे मार्ग पर तेजी से बढ़े जा रहे थे। मगर जिस पटरी पर यह ट्रेन चल रही थी, उसी पर गल्लागुड़ा सेक्शन के पास एक दूसरी ट्रेन का इंजन खड़ा था। पर लोको पायलट को ब्रेक नहीं लगाने के निर्देश थे। दूसरी ट्रेन के इंजन से 300 मीटर पहले ही कवच प्रणाली ने इस ट्रेन में ऑटोमैटिक ब्रेक लगा दी। यह देखकर लोको पायलट की जान में जान आई। उनके मुंह से निकला, ट्रेन की टक्कर नहीं हई, यानि कवच सफल रहा। यह परिदृश्य दोपहर को हैदराबाद-मुंबई मार्ग पर सिकंदराबाद से करीब 60 किलोमीटर दूर गल्लागुड़ा और चट्टिगुड़ा के बीच दो ट्रेनों की आमने-सामने से टक्कर को बचाने के परीक्षण का है। यह परीक्षण समाप्त होने के बाद रेलमंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि ट्रेन रुकने पर लोको पायलट जीएम प्रसाद के चेहरे की खुशी देखने लायक थी। उन्होंने प्रसाद को स्टेज पर बुलाकर पूछा कि कवच से आपके जीवन में क्या परिवर्तन आएगा? इस पर प्रसाद ने कहा कि वह बेहद घबराए हुए थे। उनका काम सुरक्षित तरीके से ट्रेन चलाना है। ट्रेन की टक्कर से बचाने के लिए हर पल चौकन्ना रहना होता है। कवच ने खुद ब्रेक लगाकर ट्रेन को रोक दिया, यह प्रणाली निश्चित रूप से यात्रियों की जान बचाएगी। लोको पायलट के लिए आसानी होगी। टेलीकॉम इंजीनियर प्रिया ने रेलमंत्री से कहा कि यह प्रणाली 60 हजार से अधिक लोको पायलट के लिए यह एक नायाब तोहफा है। अश्विनी वैष्णव ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आत्मनिर्भर भारत के अभियान के तहत कवच तकनीक का देश में विकास किया गया है। यह तकनीक ट्रेन की टक्कर होने की घटनाएं रोकेगी। इस प्रणाली के तहत रेलवे क्रॉसिंग पर ऑटोमैटिक हॉर्न बजेगा व ट्रेन की स्पीड कम हो जाएगी। इंजन के भीतर ही दो से तीन किलोमीटर सिग्नल को देखा जा सकेगा। इस तकनीक में किसी भी खतरे का अंदेशा होने पर ट्रेन में अपने आप ब्रेक लग जाती है। इस तकनीक का मकसद यह है कि ट्रेनों की स्पीड चाहे कितनी भी हो, लेकिन कवच के चलते ट्रेनें टकराएंगी नहीं। रेलवे ने इतिहास रच दिया है। हम सब संबंधित अधिकारियों और भारतीय रेलवे की सराहना करते हैं।
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