Saturday, 22 January 2022
पंजाब में मुख्यमंत्री पद के दावेदार
पंजाब में चुनावी दंगल पूरी तरह सज गया है। राज्य के तीन प्रमुख दलों के मुख्यमंत्री पद के चेहरे लगभग तय दिखाई दे रहे हैं। ऐसे में सबसे बड़ा सवाल यह उठता है कि कांग्रेस, अकाली दल और आम आदमी पार्टी (आप) क्या इन तीन चेहरों के दम पर पंजाब का दंगल जीत पाएंगे? क्या इन चेहरों को जनता पसंद करेगी? आप ने भगवंत मान को अपना मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार बनाया है। वहीं कांग्रेस आलाकमान ने चरणजीत सिंह चन्नी के नाम को आगे करने का संकेत दिया है। अकाली दल में सुखबीर सिंह बादल सबसे बड़े नेता हैं। भाजपा शायद कैप्टन अमरिन्दर सिंह को आगे करे? चन्नी की ताकत का सबसे बड़ा फैक्टर उनका दलित होना है। उन्हें दलित होने का फायदा मिलेगा। दलित वोटर 32 प्रतिशत हैं। बेबाकी से अपनी बात बोल देना चाहे वह पार्टी लाइन के खिलाफ ही क्यों न हो यह उनकी खासियत है। सौ दिन के कार्यकाल में उन्होंने दिखाया कि उनमें निर्णय लेने की ताकत है। हाल में उन्होंने सिख किसानों की हमदर्दी अर्जित की है। वहीं पार्टी को एकजुट करने में वह कितने सफल रहते हैं देखना होगा। कांग्रेस के अंदर ही नवजोत सिंह सिद्धू उन्हें चुनौती दे रहे हैं। कम समय मिलने के कारण वह दलितों को लेकर कोई बड़ा ऐलान नहीं कर पाए। नशे पर वह सख्त कदम नहीं उठाना चाहते। अब बात करते हैं पंजाब के कॉमेडियन भगवंत मान की। बेशक मशहूर कॉमेडियन होने के चलते पंजाब में काफी लोकप्रिय हैं। भ्रष्टाचार से संबंधित कोई आरोप उन पर नहीं है। आम आदमी पार्टी में भी उनके नाम पर कोई विवाद नहीं है। उनकी कमजोरी है कि वह लोगों के मन में एक गंभीर नेता की छवि नहीं बना सके और न ही एक गंभीर राजनेता के रूप की। उन पर विपक्षी दल नशा करने का बड़ा आरोप लगा रहे हैं। प्रशासन का कोई अनुभव नहीं। वह 12वीं तक ही पढ़े हैं। सुखबीर Eिसह बादल एक बड़े सिख नेता के रूप में पंजाब की सियासत पर उनकी अच्छी पकड़ है। सबसे ज्यादा सीट वाले मालवा क्षेत्र में उनका खासा दबदबा है। प्रशासन का खासा अनुभव है, राज्य के उपमुख्यमंत्री भी रहे हैं। तीनों कृषि कानूनों के खिलाफ भाजपा का वर्षों पुराना साथ छोड़ने से किसानों का भरोसा उन पर बढ़ा है। दूसरी तरफ उनके शासनकाल में उन पर भ्रष्टाचार का आरोप लगा। ड्रग माफिया मजीठिया से संबंध का आरोप भी लगता रहा है। भाजपा से अलग होने पर हिन्दू मतदाताओं में उनकी पकड़ कमजोर होना है। उन्होंने विरासत आगे बढ़ाई है। भाजपा से अलग होने का हौसला वाला फैसला लिया। अंग्रेजी-हिन्दी भाषा पर अच्छी पकड़। सुखबीर सिंह बादल ने कैलिफोर्निया से एमबीए की है। भाजपा से अलग होने के बाद उनकी पार्टी की पकड़ कमजोर हुई है। कुल मिलाकर इन तीन मुख्यमंत्री पद के दावेदारों के इर्दगिद पंजाब की सियासत घूम रही है। देखें, ऊंट किस करवट बैठता है।
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