Saturday, 29 January 2022
बिखरती जा रही है राहुल की युवा ब्रिगेड
चुनावी हार और दरकते जनाधार के बीच अब तक के सबसे मुश्किल दौर से गुजर रही कांग्रेस की वह युवा ब्रिगेड एक के बाद एक बिखरती चली जा रही है जो कभी राहुल गांधी के खास और पार्टी का भविष्य मानी जाती थी। राहुल गांधी ने जिन नेताओं को हारने के बाद भी पार्टी में आगे बढ़ाया। उन्होंने ही ज्यादा दगा दिया। पूर्व केंद्रीय मंत्री और झारखंड के प्रभारी आरपीएन सिंह भी इन्हीं में से एक हैं, जो लोकसभा के लगातार दो चुनाव हार गए थे। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राहुल और कांग्रेस महासचिव एवं यूपी की प्रभारी प्रियंका गांधी वाड्रा को लंबे समय से यूपी ओर झारखंड के नेता आरपीएन सिंह के पार्टी छोड़कर भाजपा में शामिल होने की सूचनाएं दे रहे थे। बार-बार कहा जा था कि पार्टी विरोधी गतिविधियों के आरोप में आरपीएन सिंह के खिलाफ कार्रवाई की जाए जिससे पार्टी में अनुशासन भी आए। आरपीएन सिंह एक साल से शिकायत कर रहे थे कि उनकी पार्टी में उपेक्षा की जा रही है। झारखंड के नेता शिकायत कर रहे थे कि आरपीएन सिंह का व्यवहार बदला-बदला है। आरपीएन सिंह से पहले नितिन प्रसाद ने भाजपा का दामन थामा था और वह फिलहाल राज्य सरकार में मंत्री हैं। राहुल गांधी के करीबी माने जाने वो प्रमुख युवा नेताओं के पार्टी छोड़ने का सिलसिला मार्च 2020 में उस समय हुआ जब ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कांग्रेस को अलविदा कहा और भाजपा का दामन थाम लिया। नतीजा यह हुआ कि मध्य प्रदेश में 15 साल बाद बनी कांग्रेस की सरकार 15 महीने में ही सत्ता से बाहर हो गई। सिंधिया के कांग्रेस छोड़ने के कुछ महीने बाद ही एक समय ऐसा आया कि सचिन पायलट कांग्रेस से जुदा होने के मुहाने पर खड़े हो गए। हालांकि आलाकमान के दखल और बातचीत के बीद वह पार्टी में रह गए। केंद्र में संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन सरकार के समय सिंधिया, पायलट, प्रसाद, आरपीएन सिंह और मिलिंद देवड़ा के चन्द युवा नेता थे जिन्हें राहुल गांधी की युवा ब्रिगेड की संज्ञा दी जाती थी। आज इनमें से पायलट और देवड़ा ही कांग्रेस में रह गए हैं। पिछले साल ही महिला कांग्रेस की अध्यक्ष सुष्मिता देव ने कांग्रेस को छोड़कर तृणमूल कांग्रेस का दामन थाम लिया। कांग्रेस के कुछ नेताओं का मानना है कि पार्टी से अलग होने वाले युवा नेता अपने राजनीतिक फायदे को ध्यान में रखकर ऐसे कदम उठा रहे हैं। पार्टी के एक वरिष्ठ नेता का कहना था कि वैचारिक प्रतिबद्धता की परीक्षा मुश्किल घड़ी में होती है। आज जो नेता कांग्रेस से अलग हो रहे हैं उन्हें पार्टी ने बहुत कुछ दिया। अब वो अपने फायदे के लिए पार्टी के हित को नुकसान पहुंचा कर ऐसे कदम उठा रहे हैं। उधर भारतीय युवा कांग्रेस अध्यक्ष श्रीनिवास वीवी ने राहुल गांधी का एक वीडियो साझा करते हुए पार्टी छोड़ने वाले नेताओं पर निशाना साधा। इस वीडियो में राहुल गांधी ने कहा कि जो नहीं डरते हैं उनको कांग्रेस में लाया जाए और जो डर रहे हैं उनको बाहर का रास्ता दिखाया जाए। श्रीनिवास ने ट्वीट कियाöजो डरपोक हैं, उन्हें दरवाजा पहले ही दिखा दिया गया था। बहुसंख्यक कांग्रेस नेताओं की शिकायत यह भी है कि पार्टी में निर्णय लेने वाले राहुल गांधी न मिलते हैं और न संवाद करते हैं। एक पूर्व मुख्यमंत्री ने पार्टी के एक वरिष्ठ नेता से कहा कि उसे राहुल गांधी से छह महीने से मिलने का समय नहीं मिला। पार्टी के वरिष्ठ नेता कहते हैं कि निरंतर संवाद के अभाव में राहुल गांधी के प्रति उनके पिता राजीव गांधी सरीखे आत्मीय रिश्ते नहीं बन पाए। उन्होंने कहा कि यह ही वजह है कि अब कांग्रेस छोड़ने वाले नेता एक बार भी यह नहीं सोचते कि राहुल गांधी को बुरा लगेगा और कांग्रेस को नुकसान होगा। यह दुख की बात है कि कांग्रेस की यह दुर्दशा हो रही है और इसके लिए पार्टी नेतृत्व सबसे ज्यादा जिम्मेदार है।
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