Sunday, 30 January 2022
मामला गैर-सरकारी संगठनों को विदेश से पैसा आने का
करीब छह हजार गैर-सरकारी संगठनों को विदेश से आर्थिक सहायता के लिए मिले एफसीआरए लाइसेंस को जारी रखने की फरियाद वाली जनहित याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को गौर करने से इंकार कर दिया। न्यायमूर्ति एएम खानविलकर, न्यायमूर्ति सीटी रवि कुमार और न्यायमूर्ति दिनेश माहेश्वरी की पीठ ने याचिकाकर्ता संगठन ग्लोबल पीस इनिशिएटिव की याचिका पर अंतरिम राहत देने से इंकार कर दिया। याचिका के पक्ष में पैरवी करते हुए वरिष्ठ वकील संजय हेगड़े ने फरियाद की थी कि इन संगठनों को दो हफ्ते के भीतर आवेदन करने की स्थिति में इनके एफसीआरए लाइसेंस की मियाद बढ़ा दी जाए। गौरतलब है कि विदेशी कोष प्राप्त करने के लिए किसी भी संगठन और एनजीओ के लिए एफसीआरए पंजीकरण करना अनिवार्य है। पीठ ने इस मामले में सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता के कथन पर भरोसा किया। मेहता ने कहा था कि तय समय सीमा के भीतर नवीनीकरण के लिए जिन 11,594 संगठनों ने आवेदन किया था, विदेशी अंशदान (विनियम) अधिनियम के तहत उनके एफसीआरए लाइसेंस की मियाद बढ़ाई जा चुकी है। पीठ ने याचिकाकर्ता को सलाह दी कि अगर उनके पास इस बाबत कोई सुझाव हैं तो वह संबंधित प्राधिकारी को दे सकते हैं। मेहता ने याचिकाकर्ता संगठन की कानूनी हैसियत पर भी सवाल उठाया और कहा कि जिस संगठन का दफ्तर विदेश में है, उसे चिंता नहीं करनी चाहिए। हेगड़े ने मेहता की बात का प्रतिवाद करते हुए पीठ से कहा कि उनके पास वह जानकारी है जो सार्वजनिक रूप से उपलब्ध है और इसके अनुसार अभी भी 6000 संगठनों के लाइसेंस सरकार ने रोक रखे हैं। पीठ ने हेगड़े को बताया कि सॉलिसिटर जनरल के मुताबिक जिन संगठनों ने आवेदन किया, उनका पंजीकरण बढ़ा दिया गया है। पीठ ने कहा कि अगर उन 6000 एनजीओ ने पंजीकरण के लिए आवेदन नहीं करने का विकल्प चुना है, तो इसका मतलब है कि वह वर्तमान व्यवस्था में बने रहना नहीं चाहते हैं। पीठ ने कहा कि याचिकाकर्ता उन अधिकारियों के समक्ष अभ्यावेदन दे सकते हैं, जिनके द्वारा उन पर विचार किया जा सकता है।
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