Friday, 21 January 2022
दागियों को क्यों टिकट दिया गया?
दागी प्रत्याशियों के बारे में जानकारी छिपाने वाले दलों का पंजीकरण रद्द करने की मांग करने वाली याचिका में भाजपा नेता अश्विनी उपाध्याय ने सुप्रीम कोर्ट में कहा है कि राजनीतिक दल शीर्ष अदालत के 2018 और 2020 के फैसलों का पालन नहीं कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग को यह सुनिश्चित करने के लिए निर्देश दिया जाए कि हर पार्टी यह बताए कि उसने आपराधिक इतिहास वाले व्यक्ति को क्यों प्रत्याशी बनाया है? याचिका में कैराना से सपा प्रत्याशी नाहिद हसन का जिक्र है। नाहिद हसन गैंगस्टर एक्ट के तहत हिरासत में है। 11 महीने पहले गैंगस्टर एक्ट लगाया गया था। नाहिद यूपी के पहले चरण में नामांकन दाखिल करने वाले पहले उम्मीदवार हैं। उनके खिलाफ और भी कई आपराधिक मामले हैं और आरोप है कि कैराना से हिन्दू पलायन के पीछे मास्टरमाइंड भी वही है। विशेष विधायक-सांसद कोर्ट द्वारा उन्हें भगोड़ा घोषित किया गया था। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने फरवरी 2020 के फैसले में निर्देश दिया था कि राजनीतिक दलों को अपनी आधिकारिक वेबसाइट के साथ-साथ समाचार पत्रों और सोशल मीडिया पर आपराधिक पृष्ठभूमि वाले उम्मीदवारों का विवरण अपलोड करना चाहिए। अदालत ने इस संबंध में वर्ष 2018 के अपने इस फैसले को दोहराया था और आदेश दिया था कि उम्मीदवारों के आपराधिक इतिहास के विवरण में अपराध की प्रकृति, आरोप तय किए गए हैं या नहीं जैसी जानकारी शामिल होनी चाहिए। शीर्ष अदालत ने अपने आदेश में यह भी कहा था कि पार्टियों को कारण बताना चाहिए कि आपराधिक छवि वाले उम्मीदवार को चुनाव में क्यों उतारा जा रहा है? चुनाव जीतने की क्षमता मात्र उम्मीदवार को मैदान में उतारने का कारण नहीं होनी चाहिए। नेशनल इलेक्शन वॉच और एसोसिएशन फॉर डेमोकेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) ने लोकसभा के 539 सांसदों के शपथ पत्रों का विश्लेषण किया है, जिसमें 233 (43 प्रतिशत) ने अपने खिलाफ आपराधिक मामले घोषित किए हैं। सवाल यह है कि क्या सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों को यह राजनीतिक दल अमल भी लाएंगे? मुश्किल लगता है क्योंकि इनकी नजर में सीट निकालना सबसे महत्वपूर्ण काम है।
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