Sunday 2 January 2022

राजद्रोह के अपराध में कालीचरण गिरफ्तार

बेशक आपको किसी युगपुरुष के विचारों से मतभेद हो सकते हैं पर आप इस प्रकार की भाषा का इस्तेमाल नहीं कर सकते, वह भी राष्ट्रपिता, अहिंसा के पुजारी महात्मा गांधी के लिए जो कालीचरण ने की है। इससे बड़ी बिडंबना और क्या होगी कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के खिलाफ कोई व्यक्ति निराधार जहरीले विचारों और नफरत का प्रचार-प्रसार करे। किसी भी सोचने-समझने वाले जिम्मेदार नागरिक की नजर में यह अस्वीकार्य होगा और संबंधित क्षेत्र की सरकार और प्रशासन की यह जिम्मेदारी बनती है कि वह नफरत फैलाने वाले उस व्यक्ति पर कानून सम्मत कार्रवाई करे। इस लिहाज से छत्तीसगढ़ की पुलिस ने कालीचरण महाराज नामक व्यक्ति को गिरफ्तार करके यह संदेश देने की कोशिश की है कि कोई भी व्यक्ति कानून से ऊपर नहीं है और उसे समाज में नफरत और हिंसक विचार को फैलाने की इजाजत नहीं दी जा सकती। छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में आयोजित धर्मसंसद में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को अपशब्द कहने वाले तथा नाथूराम गोडसे को नमन करने वाले कालीचरण महाराज को रायपुर पुलिस ने शुक्रवार को मध्य प्रदेश के खजुराहो से गिरफ्तार कर लिया है। कालीचरण को वहां किराये के मकान से पकड़ा गया और फिर पुलिस उसे सीधे लेकर देर शाम रायपुर आ गई। यहां मेडिकल टेस्ट के बाद कालीचरण को कोर्ट में पेश किया गया। इसके बाद दो दिन की पुलिस रिमांड पर भेज दिया गया। इससे पहले गुरुवार को उनके खिलाफ भावनाएं भड़काने के मामले में कालीचरण पर राजद्रोह का मुकदमा कायम किया गया। कालीचरण की गिरफ्तारी के तुरन्त बाद मध्य प्रदेश में राजनीतिक हलचल शुरू हुई, जब वहां भाजपा सरकार के गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने गिरफ्तारी के तरीके पर ऐतराज जताते हुए कहा कि छत्तीसग़ढ़ पुलिस को मध्य प्रदेश के गृह विभाग या फिर राज्य के सक्षम व्यक्ति को इसकी जानकारी देनी चाहिए थी। इस पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने तीखी आपत्ति व्यक्त करते हुए कहा कि मिश्रा बताएंöकालीचरण की गिरफ्तारी से वह खुश हैं या दुखी? प्रदेश गृहमंत्री ताम्रध्वज साहू ने कालीचरण की गिरफ्तारी के नियमों के तहत बताते हुए मध्य प्रदेश के गृहमंत्री की आपत्ति को सिरे से खारिज कर दिया है। मामला कुछ यूं हैöरायपुर के रावणमाठा मैदान में 26 दिसम्बर को आयोजित धर्मसंसद में कालीचरण ने महात्मा गांधी के खिलाफ अपशब्दों का प्रयोग किया था। वहीं उन्होंने गांधी के हत्यारे नाथूराम गोडसे की तारीफ भी की थी। कई बार पुलिस के कामकाज करने का तरीका ऐसा होता है जिसमें प्रक्रिया को लेकर कुछ सवाल-जवाब की गुंजाइश हो सकती है। मगर असली मकसद किसी अपराध के आरोपी को कानून के कठघरे में खड़ा होना चाहिए। कालीचरण ने जिस तरह अपने बयान में अपने पुराग्रहों का प्रदर्शन किया, वह केवल महात्मा गांधी के खिलाफ नफरत फैलाने की कोशिश नहीं है, बल्कि इस तरह से देश की आजादी के आंदोलन के मूल्यों और संघर्ष की भावनाओं को अपमानित करना है। इससे ज्यादा अफसोसजनक और क्या हो सकता है कि जिस व्यक्ति ने गांधी जी के साथ खड़े लाखों-करोड़ों लोगों ने निस्वार्थ भाव से देश की आजादी के लिए आंदोलन में हिस्सा लिया, न जाने कितने लोगों ने बलिदान दिया, उसकी अहमियत को स्वीकार करने की बजाय उसे अपमानित किया जा रहा है।

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