Tuesday, 11 January 2022
प्रधानमंत्री की सुरक्षा बहुत कड़ी और कई घेरों वाली होती है
भारत के प्रधानमंत्री की सुरक्षा को लेकर आजकल सियासी घमासान छिड़ा हुआ है। पंजाब सरकार कठघरे में खड़ी है। बता दें कि प्रधानमंत्री की सुरक्षा बहुत कड़ी और कई घेरों वाली है। इसका प्रमुख दारोमदार एसपीजी पर होता है। अन्य एजेंसियों का सहयोग मिलता है। इनमें एनएसजी कमांडो, पुलिस, अर्धसैनिक बल की टुकड़ी और केंद्र व राज्य की खुफिया एजेंसियों को भी शामिल किया जाता है। प्रधानमंत्री के काफिले में दो बख्तरबंद बीएमडब्ल्यू 7 सीरीज सेडान, छह बीएमडब्ल्यू एक्स 5 और एक मर्सिडीज बेंज एम्बुलेंस के साथ एक दर्जन से अधिक वाहन मौजूद होते हैं। इन सबके अलावा एक टाटा सफारी जैमर भी काफिले के साथ चलती है। प्रधानमंत्री के काफिले में सबसे आगे और पीछे पुलिस के सुरक्षाकर्मियों की गाड़ियां होती हैं। बाईं और दाईं ओर दो और वाहन होते हैं और बीच में प्रधानमंत्री का बुलैटप्रूफ वाहन होता है। रूट का प्रोटोकॉल भी तय है। हमेशा कम से कम दो रूट तय होते हैं। किसी को रूट की पहले जानकारी नहीं होती। अंतिम समय पर एसपीजी रूट तय करती है। किसी भी समय एसपीजी रूट बदल सकती है। एसपीजी और राज्य पुलिस में कोऑर्डिनेशन रहता है। राज्य पुलिस से रूट क्लियरेंस मांगी जाती है। पूरा रूट पहले ही साफ किया जाता है। प्रधानमंत्री कहीं भी जाते हैं, एसपीजी के सटीक निशानेबाजों को हर कदम पर तैनात किया जाता है। यह शूटर एक सैकेंड के अंदर आतंकियों को मार गिराने में सक्षम होते हैं। इन जवानों को अमेरिका की सीक्रेट सर्विस की गाइडलाइंस के मुताबिक ट्रेनिंग दी जाती है। हमलावरों को गुमराह करने के लिए काफिले में प्रधानमंत्री के वाहन के समान दो डमी कारें शामिल होती हैं। जैमर वाहन के ऊपर कई एंटीना होते हैं, जो सड़कों के दोनों ओर रखे गए बमों को 100 मीटर की दूरी पर डिफ्यूज करने में सक्षम होते हैं। इन सभी कारों पर एनएसजी के सटीक निशानेबाजों का कब्जा होता है। सुरक्षा के उद्देश्य से प्रधानमंत्री के साथ लगभग 100 लोगों का एक दल होता है। जब प्रधानमंत्री चलते हैं तब भी वह वर्दी के साथ सिविल ड्रेस में एनएसजी के कमांडो से घिरे होते हैं। इसलिए प्रधानमंत्री तक किसी भी आतंकी का पहुंचना लगभग असंभव है जब तक कि वीवीआईपी खुद न सुरक्षा घेरे से बाहर निकलें।
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