Sunday, 2 January 2022
महंगाई पर तुरन्त रोक लगाओ
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने कहा है कि मजबूत और सतत् पुनरुद्धार निजी निवेश तथा निजी खपत में तेजी पर निर्भर है। लेकिन दुर्भाग्य से यह दोनों अब भी महामारी-पूर्व स्तर से नीचे हैं। रिजर्व बैंक ने यह बात बुधवार को जारी दूसरी वित्तीय रिपोर्ट में कही। गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा है कि लागत बढ़ने से उत्पन्न मुद्रास्फीति को लेकर चिंता बनी हुई है। उन्होंने खाद्य और ऊर्जा कीमतों को काबू में लाने के लिए आपूर्ति के मोर्चे पर ठोस उपाय करने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही से अर्थव्यवस्था धीरे-धीरे गति पकड़ रही है और मजबूत बनी हुई है। लेकिन बढ़ती मुद्रास्फीति दबाव के साथ कोरोना विषाणु का नया बहुरूप ओमीक्रोन एक बड़ी चुनौती बनकर उभरा है। गवर्नर ने कहा कि नीति और नियामकीय समर्थन के साथ महामारी के दौरान वित्तीय संस्थान मजबूत बन रहे हैं और वित्तीय बाजारों में स्थिरता रही है। उन्होंने भरोसा जताया कि पूंजी और नकदी की बेहतर स्थिति के साथ बैंकों का मजबूत बही-खाता भविष्य के झटकों से निपटने में मदद करेगा। दास ने बैंकों के दबाव परीक्षण का हवाला देते हुए आगाह किया कि एनपीए (गैर-निष्पादित परिसम्पत्ति) सितम्बर 2022 में उद्धृत कर 8.1-9.5 प्रतिशत तक जा सकती है जो सितम्बर 2021 में 6.9 प्रतिशत थी। रिपोर्ट में कहा गया है कि बैंक भविष्य में किसी भी तरह के झटकों से निपटने के लिए तैयार हैं। हालांकि एनपीए बढ़ने को लेकर आगाह भी किया गया है। रिपोर्ट की प्रस्तावना में लिखा गया है कि इस साल विनाशकारी (अप्रैल-मई में) कोरोना महामारी की दूसरी लहर के बाद वृद्धि परिदृश्य धीरे-धीरे बेहतर हुआ है। लेकिन वैश्विक घटनाओं और हाल में सामने आए विषाणु के नए बहुरूप ओमीक्रोन की वजह से अर्थव्यवस्था के समक्ष चुनौती पैदा हुई है।
-अनिल नरेन्द्र
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