Saturday 22 January 2022

19 दिनों में 106 की ठंड से मौत

एक तरफ दिल्लीवासी कोरोना की मार से परेशान हैं तो दूसरी तरफ कड़ाके की ठंड ने कसर पूरी कर दी है। जानलेवा सर्दी में दिल्ली की सड़कों पर सो रहे बेघर जान गंवा रहे हैं। सर्द जनवरी ने 19 दिनों में 106 की जान ले ली है। एक बॉडी में लिंग की पहचान नहीं हो सकी। यह आंकड़े बेघरों के लिए काम करने वाली संस्था सेंटर फॉर हॉलिस्टिक डेवलपमेंट (सीएचडी) ने जारी किए हैं। सीएचडी के कार्यकारी निदेशक सुनील कुमार आलेडिया का कहना है कि यह लोग सड़क किनारे फुटपॉथ, रिक्शा, टेंट आदि में सो रहे थे। वह इसके पीछे बड़ी वजह शेल्टर होम न होने की कमी को बताते हैं। वह कहते हैं कि यह आंकड़े दिल्ली पुलिस और गृह मंत्रालय से इकट्ठा किए जाते हैं। इस वक्त जितने बेघर लोग हैं, नाइट शेल्टर की संख्या उससे आधी है। 2014 में दिल्ली शहरी आश्रय सुधार बोर्ड (डूसिब) ने बेघर नागरिकों को लेकर एक सर्वे करवाया था। इसमें 16,760 बेघर नागरिक दिल्ली की सड़कों पर सोते पाए गए। इन्हीं आंकड़ों पर बात करें तो अभी दिल्ली में 304 शेल्टर होम में चार हजार चारपाई हैं जिनमें केवल 9,240 बेघरों को सोने की जगह मिलती है। ऐसे में 7,520 को खुले में सोना पड़ता है। ऐसे ही लोगों की सर्दी में मौत होती है। आलेडिया का दावा है कि 16,760 बेघरों की संख्या 2014 के सर्वे के मुताबिक है। लेकिन असल में एक लाख बेघर सड़कों पर सोने पर मजबूर हैं। हम समय-समय पर पत्र लिखकर व सोशल मीडिया के जरिये दिल्ली सरकार, डूसिब व अन्य एजेंसियों को बेघरों के लिए सुविधा बढ़ाने की मांग करते रहते हैं लेकिन सुनवाई नहीं होती। दो दिन पहले बंगला साहिब गुरुद्वारे के पास के शेल्टर होम में एक महिला की मौत ठंड से हुई। इसकी जानकारी भी डूसिब को दी थी लेकिन कोई जवाब नहीं आया। महिला की तीन साल की बच्ची है। हाऊस टू अर्थ की एक ताजा रिपोर्ट के मुताबिक जलवायु परिवर्तन के कारण भारत में शीत लहर की अवधि में पहले की अपेक्षा 2.7 गुना वृद्धि हुई है और देश में लू की तुलना में शीत लहर से मरने वाले कई गुना अधिक होते हैं। पिछले महीने उत्तर प्रदेश के मैनपुरी में ठंड के कारण कुछ बच्चे मारे गए थे, तो अब राजस्थान में ठंड के कारण निमोनिया से ऊंटों की मौत की खबर है। पहाड़ों पर बर्फबारी से स्थिति इतनी विकट हुई है कि उत्तरी कश्मीर में कुपवाड़ा जिले के तंगधार में बर्फ में फंसे करीब 30 लोगों को सेना के बचाव दल ने हाल ही में सुरक्षित निकाला। हल्की धूप तो निकलती है लेकिन वह ठंड से राहत दिलाने के लिए पर्याप्त नहीं है। कुछ दिन पहले हुई बारिश के चलते मौसम में नमी और हिमपात वाले इलाकों से आ रही बर्फीली हवाओं के चलते उत्तर भारत के बड़े हिस्सों में कोहरे की परत और निचली सतह में बादल बने हुए हैं, जिस कारण सूरज की रोशनी भी नहीं पहुंच पा रही है। पारा गिरने से हवा की गुणवत्ता भी लगातार खराब बनी हुई है। कोरोना की तीसरी वेब, ओमीक्रोन, डेल्टा की वजह से बीमारी बढ़ती जा रही है। एक तरफ कड़ाके की ठंड और दूसरी तरफ कोरोना की मार ने लोगों का जीना हराम कर रखा है।

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