Friday, 28 January 2022

पिता की सम्पत्ति पर बेटी का हक

सुप्रीम कोर्ट ने पिछले गुरुवार को हिन्दू महिला को सम्पत्ति में उत्तराधिकार पर अहम फैसला सुनाया। शीर्ष अदालत ने कहा कि बिना वसीयत के मरने वाले हिन्दू पुरुष की बेटी को पिता की स्वअर्जित और उत्तराधिकार में मिले हिस्से की सम्पत्ति विरासत में पाने की अधिकार है। बेटी को सम्पत्ति के उत्तराधिकार में अन्य सहयोगियों (दिवंगत पिता के भाइयों के बेटों या बेटियों) पर वरीयता होगी। हिन्दू महिला और हिन्दू विधवा की सम्पत्ति के उत्तराधिकार के बारे में यह फैसला जस्टिस एस. अब्दुल नजीर और जस्टिस कृष्ण मुरारी की पीठ ने मद्रास हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ दाखिल अपील का निपटारा करते हुए सुनाया। 51 पेज के फैसले में कोर्ट ने कहा कि 1956 का हिन्दू उत्तराधिकार कानून आने के बाद महिला को सम्पत्ति में पूर्ण अधिकार मिला है। कोर्ट ने वसीयत के बगैर मरने वाली संतानहीन महिला की सम्पत्ति के उत्तराधिकार पर कहा कि ऐसी महिला की सम्पत्ति उसी मूल स्रोत को वापस चली जाएगी, जहां से उत्तराधिकार में उसने सम्पत्ति प्राप्त की थी। अगर महिला ने माता-पिता से उत्तराधिकार में सम्पत्ति प्राप्त की थी तो सम्पत्ति पिता के उत्तराधिकारियों को चली जाएगी और अगर उसने पति अथवा ससुर से उत्तराधिकार में सम्पत्ति प्राप्त की थी तो पति के उत्तराधिकारियों को सम्पत्ति जाएगी। हालांकि पति या बच्चे जीवित होने पर महिला की सम्पत्ति पति और बच्चों को जाएगी, इसमें वह सम्पत्ति भी शामिल होगी जो उसने माता-पिता से उत्तराधिकार में प्राप्त की थी। कोर्ट ने कहा कि इस मामले में हिन्दू उत्तराधिकार कानून 1956 के प्रावधान लागू होंगे और बेटी पिता की सम्पत्ति पर उत्तराधिकार की अधिकारी है। सुप्रीम कोर्ट ने याचिका स्वीकार करते हुए हाई कोर्ट का फैसला रद्द कर दिया।

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