Wednesday, 5 January 2022

पम्मी की अकूत सम्पत्ति के पीछे क्या राज है?

भाजपा और समाजवादी पार्टी के बीच सियासी वार की वजह बने कारोबारी पीयूष जैन द्वारा इतना सोना वह भी विदेशी और इतनी नकदी, कैसे, कितने दिन में कहां-कहां से कानपुर और कन्नौज में जुटाई गई? एजेंसियों को इन सवालों के जवाब तलाशने में काफी मेहनत करनी पड़ेगी। जवाब मिलने पर कुछ एजेंसियों के संबद्ध कर्मी भी घेरे में आ सकते हैं। फिलहाल डीआरआई, जीएसटी इंटेलिजेंस और आयकर विभाग जांच कर रहे हैं। जरूरत के हिसाब से ईडी भी आगे चलकर जांच कर सकता है। सूत्रों के अनुसार 23 किलोग्राम विदेशी सोना भी अरबों रुपए के कैश की तरह हैरान कर रहा है। इतना धन जुटाने में कितना समय और क्या कुछ तरकीबें जैन ने लगाईं? यह जानने के लिए कस्टडी में पूछताछ शुरू होने वाली है। उत्तर प्रदेश के इस इत्र कारोबारी और सपा के विधान परिषद सदस्य (एमएलसी) पुष्पराज जैन उर्फ पम्मी को कर चोरी के मामले में आयकर विभाग ने सोमवार को हिरासत में ले लिया है। यह महज टैक्स चोरी का ही मामला नहीं लगता है। इसके तार अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर और देश में भी भूमिगत गतिविधियों में लगे लोगों तक भी जुड़े हो सकते हैं। 23 किलोग्राम सोने के बारे में कहा जा रहा है कि उस पर यूएई की मुहर है। इस विदेशी निशान को मिटाने की कोशिश भी की गई लगती है। जैन के इन मामलों को आगे खंगालने के लिए कई एजेंसियों द्वारा मिलकर काम करने की जरूरत पड़ी है। जैन ने कथित तौर पर एजेंसियों को बताया है कि वह कच्चा इत्र दुबई भेजता था और बदले में सोना मंगाता था। यदि उसने सही में यह कहा है, तो बदले में सोना मंगाना भी गैर-कानूनी है। क्या उसने इसकी इजाजत किसी भारतीय एजेंसी से किसी स्तर पर ली थी? सीबीआई में रहे एक वरिष्ठ रिटायर्ड अफसर के अनुसार दूसरा अहम सवाल यह है कि सोना कितनी बार में, किस रास्ते से लाकर देश में किस स्थान पर उतारा गया? सोना लाने वाले कौन लोग थे? क्या सोना कुख्यात स्मगलर्स द्वारा लाया गया? क्या दुबई से इस तरह की स्मलिंग बराबर हो रही है? अगर सही है तो हमारी संबद्ध एजेंसियां क्या कर रही हैं? कस्टम टैक्स बचाकर किसी चीज को लाना भी गैर-कानूनी है। इन सब सवालों के जवाब तलाश लिए जाने के बाद जैन को न केवल टैक्स चोरी का हर्जाना ही भरना पड़ सकता है बल्कि उसे कई आपराधिक धाराओं का भी सामना करना पड़ सकता है। एजेंसियों के लोग भी घेरे में आ सकते हैं। फिलहाल पूरे मामले की गहराई से लंबी जांच की जरूरत है।

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