Wednesday, 5 January 2022
पहली बार कश्मीर में सक्रिय आतंकियों में कमी आई है
यूनेस्को ने श्रीनगर को रचनात्मक शहरों के नेटवर्क की सूची में रखा है। इस साल श्रीनगर में कई सफल कार्यक्रम हुए जिसमें देश और विदेश की दिग्गज हस्तियां शामिल हुईं। पिछले साल कश्मीर में आतंकी वारदातें बिल्कुल नहीं हुई थीं। हालांकि इस तिमाही में आतंकी वारदातें अचानक बढ़ गईं। ज्यादातर आतंकी हमले स्कूली अल्पसंख्यकों को टारगेट करके, जम्मू-कश्मीर के बाहर से आने वाले रेहड़ी-पटरी वालों को निशाना बनाने के लिए और निहत्थे पुलिस कर्मियों या उनके करीबियों को निशाना बनाने के लिए हुए। यह बढ़ते हमले बता रहे हैं कि प्रदेश में हालात अभी सामान्य नहीं हैं। आए दिन सुरक्षा बलों और नागरिकों पर हमले हो रहे हैं। पिछले तीन महीनों में यह हमले ज्यादा बढ़े हैं। हालांकि हमारे सुरक्षा बलों को भी बीते साल खासी सफलताएं मिलीं। पिछले तीन महीनों में बेशक यह हमले ज्यादा बढ़े हों पर दो दिन पहले दक्षिण कश्मीर के अनंतनाग और कुलगांव जिले में दो मुठभेड़ों में छह आतंकियों को मार गिराया गया। इनमें कश्मीर टाइगर्स फोर्स का स्वयंभू कमांडर और दो पाकिस्तानी आतंकी भी थे। चौंकाने वाली बात यह है कि इन लोगों के पास से जो हथियार मिले वह अमेरिका के बने हैं। इससे यह तो साफ हो गया है कि पाकिस्तान न सिर्फ आतंकियों को भारत में घुसाता रहा है, बल्कि उन्हें हथियारों की आपूर्ति भी की जा रही है। घाटी में ड्रोन के जरिये हथियार पहुंचाने के मामले भी सामने आते रहे। गौरतलब है कि इस साल अगस्त में अफगानिस्तान से लौटी अमेरिकी सेना अपने ज्यादातर हथियार वहीं छोड़ गई थी। फिर यह हथियार पाकिस्तान के बाजारों में बिकने लगे। ऐसे में इस बात की आशंकाओं से भी इंकार नहीं किया जा सकता कि अमेरिकी हथियार इसी जरिये से आतंकियों तक पहुंचाए जा रहे हैं। सुखद पहलू यह भी है कि आतंकवाद की शुरुआत के बाद से पहली बार कश्मीर घाटी में सक्रिय आतंकियों की संख्या 200 के नीचे आ गई है और युवाओं की आतंकी समूहों में भर्ती पर भी लगाम लगी है। अनंतनाग जिले के काजीकुंड में पुलिस महानिरीक्षक विजय कुमार और सेना की 15वीं कोर के लेफ्टिनेंट जनरल डीपी पांडे ने कहा कि राज्य में सक्रिय आतंकियों की संख्या 180 रह गई है। इनमें स्थानीय आतंकियों की संख्या 100 से कम है। कुमार ने बताया कि इस वर्ष 128 स्थानीय युवाओं के विभिन्न आतंकी समूहों में शामिल होने की सूचना है। इनमें से सुरक्षा बलों ने 73 को मार गिराया है। 16 पकड़े गए हैं। लेफ्टिनेंट जनरल पांडे ने कहा कि पिछले दो वर्ष के मुकाबले 2021 में आतंकी समूहों में युवाओं की भर्ती में कमी आई है। पिछले साल यह 180 थी। लोग अब हिंसा के नुकसान को समझने लगे हैं। वह समझने लगे हैं कि सीमा पार क्या चल रहा है। अभी भी दो सौ के करीब आतंकियों के मौजूद होने की बात कही जा रही है, जिसमें 90 आतंकी विदेशी हैं। यह हालात बता रहे हैं कि आतंकियों के जाल को तोड़ पाना आसान नहीं है। बेशक हमारे सुरक्षा बलों को पिछले कुछ समय में उल्लेखनीय सफलताएं मिली हैं पर अभी हम चैन की सांस नहीं ले सकते।
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