Friday 28 January 2022
कभी भी छिड़ सकती है यूक्रेन-रूस में जंग
हमले की आशंका और अनिश्चितताओं के बीच यूक्रेन अपने पूर्वी पड़ोसी रूस के अगले कदम का इंतजार कर रहा है। पश्चिम के कई देशों की खुफिया एजेंसियों ने लगातार चेतावनी दी है कि रूस अपने पड़ोसी यूक्रेन पर हमला कर सकता है। अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन ने बुधवार को कहा कि उन्हें लगता है कि उनके रूसी समकक्ष ब्लादिमीर पुतिन यूक्रेन में दखल देंगे लेकिन एक मुकम्मल जंग से बचना होगा। राष्ट्रपति बाइडन ने असल में रूसी सेना के छोटे से दखल की आशंका जताई। उनके इस बयान के बाद यूक्रेन में तनाव और जो बाइडन की आलोचना दोनों बढ़ गई हैं। उधर यूक्रेन से लगती सीमा पर इसके एक लाख से अधिक सैनिक कई हफ्तों से जमा हैं। हालांकि रूस यूक्रेन पर आक्रमण करने की किसी योजना से लगातार इंकार कर रहा है। रूस के राष्ट्रपति पुतिन ने पश्चिमी देशों के सामने कई मांगें रखी हैं। उन्होंने उन देशों से जोर देकर कहा है कि यूक्रेन को कभी नाटो का सदस्य नहीं बनने देना चाहिए और नाटो गठबंधन को पूर्वी यूरोप में अपनी सभी सैन्य गतिविधियों को छोड़ देना चाहिए। तनावों के बीच अमेरिका ने कई पूर्वी देशों को अपने हथियार यूक्रेन की मदद के लिए वहां पहुंचाने की मंजूरी दे दी है। अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने कहाöहम हमेशा से स्पष्ट कर रहे हैं कि यूक्रेन में रूस की किसी भी घुसपैठ को अमेरिका और उसकी ओर से तेज, सख्त और एकजुट जवाब मिलेगा। उधर अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने यूक्रेन स्थित अमेरिकी दूतावास में कार्यरत अमेरिकी कर्मियों के परिवारों को रूसी हमले के बढ़ते खतरों के बीच देश छोड़ने का आदेश दिया। मंत्रालय ने कीव स्थित अमेरिकी दूतावास के कर्मियों के आश्रितों को परामर्श दिया है कि उन्हें देश छोड़ना चाहिए। अमेरिका ने यूक्रेन को मदद जारी रखने का भरोसा दिया है। ब्रिटेन के इस दावे को कि रूस यूक्रेन में कठपुतली सरकार स्थापित करना चाहता है, रूस ने गलत बताया है। अमेरिका और ब्रिटेन समेत कुछ देशों ने यूक्रेन को हथियार दिए हैं। रूस चाहता है कि पूर्वी यूरोप नाटो की तैनाती वापस ली जाए। अगर नाटो की तैनाती का मामला नहीं सुलझा तो रूस क्यूबा में फिर से मिसाइलें तैनात करने पर विचार कर सकता है। 1990 के दशक में सोवियत संघ के विघटन के बाद से पूर्वी यूरोप में लगातार नाटो का विस्तार हुआ है। रूस के करीबी पोलैंड और रोमानिया में नाटो ने अत्याधुनिक सैन्य सटेअप लगा रखा है। रूस की यह मांग भी है कि 1990 के बाद मध्य और पूर्वी यूरोप के जिन देशों में नाटो की तैनाती हुई है, उसे वापस लिया जाए। अगर यूक्रेन में नाटो ने सैन्य एक्टेंशन बनाए, तो वहां से फायर की जाने वाली मिसाइलें पांच मिनट में मास्को पहुंच जाएंगी। पुतिन की चेतावनी है कि अगर ऐसा हुआ तो वह पांच मिनट के भीतर अमेरिका तक पहुंचने वाली हाइपरसोनिक मिसाइलें तैनात करेगा। रूसी हथियार कार्यक्रम से अमेरिका भी नाखुश है। अमेरिका को लगता है कि रूस नाटो के खिलाफ हथियार विकसित कर रहा है। इस सारे मामले में भारत पर असर पड़ना स्वाभाविक है। हालांकि कोई प्रक्रिया अभी नहीं आई है। पश्चिमी देश अमेरिका के नेतृत्व में चल रहे हैं तो रूस को चीन का पूरा समर्थन है। अगर यूक्रेन नाटो का हिस्सा बन जाता है और फिर ऐसे में रूस यूक्रेन पर हमला करता है तो अमेरिका शांत नहीं बैठने वाला, तब यह तीसरे विश्वयुद्ध की घंटी बजाने जैसा होगा।
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