Published on 14 October, 2012
मुझे नहीं लगता कि सोनिया गांधी के दामाद का मामला आसानी से दबने वाला है। कांग्रेसियों ने अगर यह सोचा था कि अन्य घोटालों की तरह यह मामला भी दबा दिया जाए तो वह गलतफहमी में थे। इसका सबसे बड़ा कारण शायद यह है कि यह मामला किसी छोटे-मोटे कांग्रेसी मंत्री का नहीं बल्कि कांग्रेस के प्रथम परिवार से संबंध रखता है और सीधा कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से जुड़ता है। फिर अदालतें भी हैं। कांग्रेस अपने प्रभाव से मीडिया को दबा सकती है पर अदालतों को नहीं। रॉबर्ट वाड्रा की सम्पत्ति व डीएलएफ से जुड़े आरोपों की जांच के लिए इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ पीठ में रिट याचिका दाखिल की गई है। वाड्रा पर अरविन्द केजरीवाल व प्रशांत भूषण के आरोपों की जांच को लेकर कोर्ट ने केंद्र सरकार को आपत्ति दाखिल करने के लिए तीन हफ्ते का समय दिया है। अगली सुनवाई 21 नवम्बर को होगी और उसी दिन इस याचिका को स्वीकार करने के मसले पर भी सुनवाई होगी। वरिष्ठ न्यायमूर्ति उमानन्द सिंह व न्यायमूर्ति वीरेन्द्र कुमार दीक्षित की खंडपीठ ने गुरुवार को यह आदेश डॉ. नूतन ठाकुर की याचिका पर दिया। याची ने कोर्ट से आग्रह किया है कि पीएमओ के प्रमुख सचिव को रॉबर्ट वाड्रा के खिलाफ लगाए गए आरोपों की जांच करने के निर्देश दिए जाएं। याची का तर्प था कि केजरीवाल और भूषण के वाड्रा पर लगाए परिसम्पत्तियों व डीएलएफ संबंधी आरोप खासे गम्भीर हैं। कई केंद्रीय मंत्रियों ने अपने बयानों में वाड्रा को लगातार बचाने का प्रयास किया है। ऐसे में मामले की जांच पीएमओ को करवानी चाहिए ताकि असलियत सामने आ सके। उधर हिन्दी दैनिक नेशनल दुनिया में एक रिपोर्ट में नए सनसनीखेज आरोप रॉबर्ट वाड्रा पर लगाए गए हैं। रिपोर्ट के अनुसार कांग्रेस के किसान खेत मजदूर किसान सेल के जिला अध्यक्ष एवं मेवात विकास मंच के प्रभारी जाहिद हुसैन ने गुरुवार को प्रेस वार्ता कर जिले के शकरपुरी गांव में 229 कनाल 7 मरला यानि करीब 29 एकड़ जमीन के सौदे पर कई सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि कांग्रेस की अध्यक्ष सोनिया गांधी के दामाद व रियल अर्थ स्टेट प्राइवेट लिमिटेड के डायरेक्टर रॉबर्ट वाड्रा ने 29 एकड़ जमीन अपनी कम्पनी के नाम से खरीदी है। यह जमीन नूह के कांग्रेस विधायक और कांग्रेस के पूर्व सांसद खुर्शीद अहमद के पुत्र आफताब अहमद और उनके परिवार से खरीदी गई है। उन्होंने विधायक पर आरोप लगाया कि कांग्रेस का टिकट पाने के लिए रॉबर्ट वाड्रा को करोड़ों की जमीन कौड़ियों के दाम में बेच दी। उनका कहना है कि उस समय जमीन का सर्पिल रेट 16 लाख रुपए एकड़ था तो यह जमीन सस्ते दामों में क्यों बेची गई? सर्पिल रेट के हिसाब से इस जमीन की कीमत 4 करोड़ रुपए से भी अधिक बैठती है। जाहिद ने आरोप लगाया कि आखिरकार ऐसी क्या जरूरत थी कि सर्पिल रेट से भी काफी कम रेट पर जमीन वाड्रा को बेची गई। फायदा आफताब अहमद ने नूह से कांग्रेस की टिकट लेकर उठाया है। रजिस्ट्री पर रॉबर्ट वाड्रा का फोटो तक लगा हुआ है लेकिन उनकी जगह सन्दीप संबंधी और विजय कुमार संबंधी ने बतौर खरीदार हस्ताक्षर किए हैं। अगर यह आरोप सही है तो इसका मतलब यह है कि रॉबर्ट वाड्रा की टिकट वितरण मामले में भी फुल चलती थी और ऐसे तो दर्जनों केस और भी होंगे।
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