Published on 31 October, 2012
ऐसे वक्त जब अमेरिका सियासी तूफान से गुजर रहा है, कोई मौसमी तूफान आ खड़ा हो तो चिंतित होना लाजिमी है। अमेरिका के राष्ट्रपति चुनाव को मुश्किल से सात-आठ दिन बचे हैं। व्हाइट हाउस की दौड़ के लिए छह नवम्बर को मतदान होना है। इस समय दोनों राष्ट्रपति उम्मीदवारों के बीच कांटे की टक्कर चल रही है और अंतिम सप्ताह में सारे देश का ध्यान सियासत के इस अत्यंत महत्वपूर्ण आखिरी दौर से हटकर समुद्री तूफान हरीकेन सैंडी से बचाव में लग गया है। एक तरफ रिपब्लिकन उम्मीदवार मिट रोमनी सर्वेक्षणों में राष्ट्रीय स्तर पर मामूली बढ़त बनाए हुए हैं तो वहीं राष्ट्रपति और डेमोकेटिक पार्टी उम्मीदवार बराक ओबामा इलैक्ट्रोल वोट में मामूली बढ़त बनाए हुए हैं। ऐसे में सर्वेक्षण पर नजर रखने वाले कोई भी भविष्यवाणी करने से कतरा रहे हैं। अलकायदा को कमजोर करने, स्वास्थ्य सुधार और अर्थव्यवस्था में छाई मायूसी को दूर करने की दिशा में ओबामा के प्रयासों की प्रशंसा करते हुए एक बड़े अमेरिकी अखबार द न्यूयॉर्प टाइम्स ने उनके समर्थन की घोषणा की है। अखबार ने अपने सम्पादकीय में यह बात कही है। अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव की टक्कर इतने कांटे की है कि कोई भी पार्टी दावे से नहीं कह रही कि वह जीत रहे हैं। उल्लेखनीय है कि अमेरिका के राष्ट्रपति चुनाव में स्विंग स्टेट हमेशा निर्णायक भूमिका निभाते आए हैं। अब तक इन राज्यों में ज्यादा इलैक्ट्रोल वोट हासिल करने वाला ही चुनाव जीतता आया है। अमेरिका के कुल 50 प्रांतों में से 13 स्विंग स्टेट माने जाते हैं। स्विंग स्टेट उन प्रांतों को कहा जाता है जहां मतदाता किसके पक्ष में वोट करेगा, यह तय नहीं होता। न्यूयॉर्प टाइम्स के अनुसार इस तरह के राज्यों में तकरीबन 95 इलैक्ट्रोल वोट्स हैं। इन राज्यों पर उम्मीदवार दूसरे राज्यों से ज्यादा ध्यान देते हैं। रोमनी और ओबामा दोनों ने भी इन राज्यों में ज्यादा प्रचार किया है। असल में डेमोकेट्स और रिपब्लिकंस में जारी जंग के इतर दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था अमेरिका को एक भीषण तूफान से जूझना पड़ रहा है, जिसका नाम हरीकेन सैंडी है। कैरेबियाई द्वीप में 66 जान लेने वाला सैंडी करीब 75 मील प्रति घंटे की रफ्तार से अमेरिका में सबसे सघन आबादी वाले पूर्वी तटीय राज्यों में बड़ी तबाही की आशंका लेकर तेजी से बढ़ रहा है। अमेरिका में बीते दशकों में आए तूफानों के मुकाबले हरीकेन सैंडी सबसे ज्यादा विनाशकारी माना जा रहा है। नेशनल हरीकेन सेंटर के मुताबिक, हरीकेन सैंडी करीब 75 मील प्रति घंटे की रफ्तार से आगे बढ़ रहा है। डर है कि तूफानी हवाएं बिजली की तारों को गिरा सकती है। साथ ही समुद्र का बढ़ता जल स्तर जनरेटरों और दूसरे उपकरणों को नुकसान पहुंचा सकता है। मौसम वैज्ञानिकों का कहना है कि यह तूफान तेज हवाएं और बारिश के अलावा बर्पबारी ला सकता है। हरीकेन सैंडी की वजह से 11 फुट ऊंची लहरें उठेंगी। ये न्यूयार्प, बोस्टन और न्यूजर्सी में काफी तबाही मचाएगा। इससे 18 अरब डॉलर (लगभग 10 खरब रुपए) की सम्पत्ति का नुकसान होने की आशंका जताई जा रही है। इस बीच पता नहीं राष्ट्रपति चुनाव का क्या होगा? हम भगवान से प्रार्थना और उम्मीद करते हैं कि अमेरिका को इस प्राकृतिक कहर से जितना जल्दी सम्भव हो सके बचाए और जानमाल का नुकसान कम से कम हो।
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