Tuesday 30 October 2012

एफ-वन इंडियन ग्रां प्री के कुछ यादगार लम्हे


 Published on 30 October, 2012
 अनिल नरेन्द्र
रविवार को मैंने अपने जीवन की पहली फार्मूला वन ग्रां प्री मोटर रेस देखी। ग्रेटर नोएडा में विशेष रूप से बने बुद्ध इंटरनेशनल सर्पिट को भी देखने का अवसर मिला। मैं पूरे इलाके में हुई उन्नति को देखकर चौकन्ना रह गया। बुद्ध इंटरनेशनल सर्पिट बनाकर जयप्रकाश एसोसिएट्स ने एक ऐसा काम किया है जिससे हर भारतीय खेलप्रेमी का सिर गर्व से उठ गया है। अंतर्राष्ट्रीय स्तर के इस सर्पिट को बनाना, भारत में एफ-वन ग्रां प्री करवाना साधारण काम नहीं था। खेल जगत में यह सबसे बड़ा इवेंट करके एक बार फिर भारत ने साबित कर दिया कि वह दुनिया में किसी से कम नहीं है। पहले रेस के बारे में थोड़ा बता दूं। इंडियन ग्रां प्री के आयोजन स्थल बुद्ध इंटरनेशनल का ट्रैक (चक्कर) कुल 5.14 किलोमीटर लम्बा है जबकि इंडियन ग्रां प्री कुल 60 लैप वाली रेस है। लैप का मतलब है 5.14 किलोमीटर का एक घेरा या चक्कर यानि ड्राइवरों को 5.14 किलोमीटर ट्रैक के कुल 60 चक्कर लगाने होते हैं। सबसे आगे रहने वाला ड्राइवर यानि जिसने सबसे कम समय में 60 लैप पूरे किए हों, रेस का विजेता होता है। शीर्ष 10 ड्राइवरों को और टीमों को अंक हासिल होते हैं। बीआईसी भारत में एफ-वन रेस का आयोजन करता है। इसका मालिकाना हक जेपी ग्रुप के पास है जबकि दुनिया में सारी एफ-वन रेसों को आयोजित कराने का अधिकार इंटरनेशनल ऑटोमोबाइल फेडरेशन (एफआईए) का है। यह एफ-वन की सर्वोच्च संस्था है जिसके सर्वेसर्वा बर्नी एक्सलेस्टीन हैं। रविवार को रेस देखने के लिए कई फिल्मी सितारे व महान हस्तियां मौजूद थीं। इनमें अजय देवगन, सोनाक्षी सिन्हा, युवराज सिंह, सानिया मिर्जा पति शोएब मलिक प्रमुख थे। एफ-वन कारों की इतनी आवाज होती है कि दर्शकों को विशेष कानों के पलग दिए जाते हैं और आप अगर अपने कानों को बचाना चाहते हैं तो इन्हें लगाना जरूरी होता है। एफ-वन कारों की आवाज का अनुभव अनूठा होता है। मैंने कभी कहीं और इतनी आवाज इस तरह की नहीं सुनी। गाड़ियां इतनी तेजी से जाती हैं कि मैंने फोटो-वीडियो खींचनी चाही जब तक मैं अपना मोबाइल उस स्पॉट पर ले जाता तब तक गाड़ियां जा चुकी होतीं। गाड़ियां 250 किलोमीटर प्रति घंटा से ज्यादा तेज जाती हैं। 200 किलोमीटर पर तो यह टर्न लेती हैं। मेरे साथ मेरे मित्र डाक्टर मुकुल श्रीवास्तव थे। उन्होंने बताया कि हर रेस में हर ड्राइवर का कम से कम चार-पांच किलो वजन कम हो जाता है। उनके हेलमेट में पानी की पाइप भी लगी होती है क्योंकि पानी गिरता रहता है और यह कितना पानी शरीर से ग्रेविटी की वजह से निकलता होगा जिसका वजन चार-पांच किलो हो जाता है तो आप खुद ही अन्दाजा लगा लें कि कितना पानी निकलता होगा। इंडियन ग्रां प्री रेस में भाग लेने वाली प्रमुख टीमें हैं रेड बुल। रेड बुल के नाम से एनर्जी ड्रिंक बनाने वाली आस्ट्रियन कम्पनी की टीम के पास दो बार विश्व चैंपियन सेबेस्टियन वेटल और मार्प वेबर के रूप में दो बेहतरीन ड्राइवर हैं। पिछली तीन रेस में वेटल ने ट्रेक पर तहलका मचाते हुए रेड बुल टीम को खिताबी दौड़ में काफी आगे रखा है। जर्मनी के सेबेस्टियन वेटल ने इस बार भी ग्रां प्री जीती है। दूसरी टीम फरारी एफ-वन सर्पिट की सबसे पुरानी टीमों में से एक है। 290 अंकों सहित टीम चैंपियनशिप में दूसरे स्थान पर चल रही है। 1950 की उद्घाटन रेस से लेकर अब तक लगभग हर रेस में फरारी की टीम ने भाग लिया है। इनके ड्राइवर हैं फर्नांडो अलोंसो (स्पेन) और फेलिप मासा (ब्राजील)। मैक्लारेन मर्सीडीज फार्मूला वन में सबसे ज्यादा बार विश्व खिताब जीतने वाली टीम है। फरारी के बाद एफ-वन की दूसरी सबसे पुरानी टीम है। इनके ड्राइवर है लुइस हैमिल्टन (ग्रेट ब्रिटेन) और जेनसन बटन (ग्रेट ब्रिटेन)। चौथी टीम लोटस की है। रेनाल्ट की पूर्व टीम लोटस ने 15 साल बाद मलेशियन कम्पनी की मदद से वर्ष 2010 में एफ-वन सर्पिट में वापसी की। किमी राइकोनेन (फिनलैंड) और रोमेन ग्रोस जेन (फ्रांस) इनके ड्राइवर हैं। एक टीम मर्सीडीज पेट्रोनाज की है। टीम के पास एफ-वन रेस के सबसे सफलतम सात बार के विश्व चैंपियन माइकल शूमाकर (जर्मनी) के हैं। दूसरे ड्राइवर हैं जर्मनी के निको रोजबर्ग। सात बार के विश्व चैंपियन माइकल शूमाकर का निराशाजनक दौर इंडियन ग्रां प्री में भी जारी रहा। वह 55वें लैप में पिट पर गया तो फिर ट्रैक पर वापस नहीं उतरा। वह रेस पूरी भी नहीं कर सका। भारत के एकमात्र फार्मूला वन रेसर नारायण कार्तिकेयन सबसे अंतिम 21वें स्थान पर रहे पर हमें खुशी यह है कि कम से कम एक भारतीय ड्राइवर एफ-वन रेस के काबिल तो निकला। रविवार की रेस में रेड बुल के सेबेस्टियन वेटल अव्वल नम्बर पर रहे। उन्होंने शुरू से ही लीड ले ली और अंत तक इस लीड को बरकरार रखा। उन्होंने 5.125 किलोमीटर के बुद्ध इंटरनेशनल सर्पिट के 60 चक्कर लगाने में 307.249 किलोमीटर की दूरी तय करने के लिए एक घंटा 31 मिनट 10.744 सैकेंड का समय लिया। इस दौरान उनकी औसत गति 202.183 किलोमीटर प्रति घंटा रही और बैस्ट लैप समय एक मिनट 28.723 सैकेंड रहा।

No comments:

Post a Comment