Wednesday 24 October 2012

नौकरशाह अब नेताओं के दबाव में नहीं आएंगे


 Published on 24 October, 2012
 अनिल नरेन्द्र
 हरियाणा के नौकरशाह वरिष्ठ आईएएस अशोक खेमका को जिस तरह से प्रताड़ित किया जा रहा है उससे नौकरशाह नाराज हैं। ब्यूरोकेसी इस देश में अति प्रभावशाली है और इसको नजरअंदाज करना राजनीतिक दलों और सरकारों को कभी-कभी भारी पड़ सकता है। राजनेता अकसर अपने उलटे-सीधे काम इन्हीं ब्यूरोकेटों के माध्यम से करते हैं और किसी भी नेता या मंत्री की सारी पोल पट्टी उनके सचिवों को रहती है। पिछले कई दिनों से जो घोटालों का पर्दाफाश हो रहा है उसमें घोटालों की बारीकियां, तथ्य तो यह नौकरशाह ही लीक कर रहे हैं। अशोक खेमका ने दिखा दिया कि अगर नौकरशाही राजनेताओं से कोआपरेट न करे तो सरकारें कितनी मुश्किल में आ सकती हैं और जब किसी भी घोटाले का पर्दाफाश हो जाता है तो यह नेता लोग सिर्प और सिर्प अपना  बचाव करते हैं,  नौकरशाह को उसके हाल पर छोड़ देते हैं। हमने 2जी स्पेक्ट्रम घोटाले में देखा, कामनवेल्थ गेम्स में भी देखा कि किस तरह राजनेताओं की महत्वाकांक्षाओं को पूरा करने के लिए नौकरशाहों को महीनों तिहाड़ जेल की हवा खानी पड़ी। नौकरशाह बिरादरी को सबसे पहले सत्ता परिवर्तन होने के संकेत पता चल जाते हैं। चुनाव से पहले इन्हें पता चल जाता है कि फलानी सरकार दोबारा सत्ता में नहीं आ रही तो यह सरकार के हर आदेश को मानने से कतराने लगते हैं और अपने विवेक से काम करना आरम्भ कर देते हैं। केंद्र में संप्रग सरकार के बारे में भी देश की नौकरशाह बिरादरी को अब सरकार के जाने का आभास होने लगा है। तभी तो तमाम आईएएस, आईपीएस और आईएफएस के संघों ने फैसला किया है कि वह अब नेताओं के दबाव में नहीं आएंगे। चाहे बात सत्ता पक्ष और विपक्ष के ही नेता की क्यों न हो। यह निर्णय अखिल भारतीय सेवा के अफसरों के तीनों संघों ने लिया है। तीनों संघों की को-आर्डिनेशन कमेटी की शनिवार को भोपाल में हुई इस महत्वपूर्ण बैठक में प्रस्ताव पारित किया गया कि राजनीतिक मंसूबों में इस्तेमाल होने से वह बचेंगे। बैठक में आईएएस एसोसिएशन ने कहा कि देश में तेजी से बदल रहे राजनीतिक घटनाक्रम से लगता है कि जन प्रतिनिधियों का दखल प्रशासनिक काम में और बढ़ेगा। आईएएस अफसर किसी एक पार्टी के बनकर पहले भी काम नहीं करते थे, लेकिन अब इस तरफ ज्यादा ध्यान देना होगा। यदि सत्ता पक्ष से जुड़े नेता भी अफसरों के साथ सही व्यवहार नहीं करते तो तीनों संगठन मिलकर उसका विरोध करेंगे। इस प्रस्ताव पर आईएएस, आईएफएस और आईपीएस तीनों एसोसिएशनों ने सहमति दे दी। आईएएस एसोसिएशन के अध्यक्ष अरुण शर्मा ने इतना जरूर कहा कि सर्विस मामलों पर चर्चा हुई। यह फैसला दिया गया कि हर तीन माह में इसी तरह की को-आर्डिनेशन मीटिंग होगी। कुछ एजेंडा है जिसे अभी नहीं बता सकते।


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