Saturday, 13 October 2012

पिछड़े ओबामा को दूसरी डिबेट में हावी होना जरूरी होगा


 Published on 13 October, 2012
 अनिल नरेन्द्र
अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव का  प्रचार चरम सीमा पर धीरे-धीरे पहुंच रहा है। चुनाव की तारीख जैसे-जैसे नजदीक आती जा रही है बराक ओबामा का चुनावी समीकरण गड़बड़ाता जा रहा है। डेमोकेटिक पार्टी के सम्मेलन के बाद और पहली डिबेट से पहले मजबूत दिख रहे ओबामा पर अब प्रतिद्वंद्वी मिट रोमनी हावी होते जा रहे हैं। डिबेट के बाद आए 16 सर्वेक्षणों के नतीजों में रोमनी को बढ़त मिली है। पहली डिबेट में शानदार प्रदर्शन के बाद मिट रोमनी अमेरिकियों की पहली पसंद बनते जा रहे हैं और ओबामा के निराशाजनक प्रदर्शन ने उनके जादू को बेअसर कर दिया है। गौरतलब है कि अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव छह नवम्बर को होना है यानि अब मुश्किल से चुनाव में 23 दिन ही शेष बचे हैं। एक पूर्वानुमान के मुताबिक निर्वाचन मंडल में रोमनी की जीत की उम्मीद 28.8 फीसदी है जो 29 अगस्त के बाद सबसे अधिक है। उधर ओबामा का चुनाव अभियान शांत नहीं बैठा है। खोए जनाधार को वापस लाने एवं ओबामा की जीत सुनिश्चित करने के लिए अगली डिबेट की तैयारी जोरों से चल रही है। पिछले सप्ताह डेनेवर में रिपब्लिकन प्रतिद्वंद्वी मिट रोमनी के साथ पहली बहस में फीका प्रदर्शन करने के बावजूद अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा दूसरी बहस को लेकर उत्साहित हैं। दूसरी बहस 16 अक्तूबर को न्यूयार्प में होगी। ओबामा के निकट सहयोगी का कहना है कि राष्ट्रपति ने पहली बहस से सबक लिया है। ओबामा के चुनाव अभियान के प्रवक्ता जेन पसाकी ने कहा कि पहली बहस से पता चल गया कि रोमनी किस प्रकार के वक्ता हैं। इससे यह भी पता चला कि रोमनी बहस में किस प्रकार गलत तथ्यों का प्रयोग करते हैं। ओबामा अगली बहस में इन बातों का ध्यान रखेंगे। अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में पैसों का भी बड़ा खेल होता है। बराक ओबामा इस रेस में आगे लगते हैं। पिछले महीने उनकी ओर से 18.10 करोड़ डॉलर (करीब नौ अरब रुपए) चन्दा एकत्रित किया गया। अब तक अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव अभियान को लेकर 94.70 करोड़ डॉलर (करीब 49 अरब रुपए) की राशि एकत्र की जा चुकी है जो कि रिकार्ड तोड़ने के लिए जरूरी एक अरब डॉलर (करीब 52 अरब रुपए) की राशि के करीब है। ओबामा के प्रचार अभियान से जुड़े लोगों को उम्मीद है कि राष्ट्रपति एक अरब डॉलर के जादुई आंकड़े को पार कर जाएंगे। ऐसा पहली बार होगा जब कोई उम्मीदवार एक अरब डॉलर से अधिक चन्दा प्राप्त करेगा। अमेरिकी चुनाव में इस बार आर्थिक मसले इस कदर हावी हैं कि समान सेक्स वालों की शादी अबॉर्शन राइट्स और इमिग्रेशन जैसे सामाजिक मुद्दों का जिक्र  इस बार कुछ कम ही हुआ है। धीमी आर्थिक रिकवरी वाली अमेरिकी इकॉनिमी में बेरोजगारी की दर 8 फीसदी है। आर्थिक मोर्चे पर निराश और हताश अमेरिकी जनता के आगे ओबामा को अपना बचाव करना होगा, क्योंकि वह अमीर लोगों पर टैक्स में बढ़ोतरी, टैक्स में लूप होल बन्द करने, बजट में कमी करने जैसे अपने वादे पूरे नहीं कर पाए। ओबामा केयर के नाम से मशहूर हेल्थ केयर प्रोग्राम भी ज्यादातर अमेरिकियों को पसंद नहीं आया। इसके उलट रोमनी बिल्कुल रिपब्लिकन्स की परिपार्टी पर चलते हुए खर्च में कटौती करने और टैक्स घटाने जैसे रिफॉर्म की हिमायत करते आए हैं। उन्हें बिजनेस करने का भी खूब अनुभव है, जिसे वह अपनी खासियत बताते हैं। ओबामा केयर के विरोधी रोमनी को इस मामले में सतर्पता बरतनी होगी, क्योंकि मैसाच्यूट्स के गर्वनर रहते हुए उन्होंने भी कुछ हेल्थ रिफॉर्म किए थे, जिन्हें रोमनी केयर कहा गया था। कांटे की टक्कर चल रही है। दूसरी डिबेट के बाद फिर तस्वीर बदल सकती है क्योंकि मुकाबला करीबी है।

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