Saturday 27 October 2012

इस जानलेवा डेंगू मच्छर से कैसे निपटें?


 Published on 27 October, 2012
 अनिल नरेन्द्र 
करोड़ों-अरबों के मालिक फिल्म निर्माता स्वर्गीय यश चोपड़ा ने शायद ही कभी कल्पना की हो कि एक छोटा सा मच्छर उनकी जीवन लीला समाप्त कर सकता है पर इस मच्छर ने एक डंक मारकर बॉलीवुड की एक महान हस्ती को हमेशा के लिए सुला दिया। वैसे मुंबई महानगर पालिका (मनपा) पशासन की ओर से लीलावती अस्पताल को एक नोटिस भेजा गया है जिसमें यश चोपड़ा की मौत के कारणों की रिपोर्ट मांगी गई है। अस्पताल ने 24 घंटे के अंदर यश चोपड़ा की डेंगू से हुई मौत की जानकारी पशासन को नहीं दी जो उसे देनी थी। डेंगू का पकोप इतना बढ़ गया है कि राजधानी में डेंगू के मरीजों की संख्या 730 तक पहुंच गई है और तेजी से यह जानलेवा बीमारी फैल रही है। ऐसे में डेंगू बुखार और इसके बचाव को हल्के से लेना आपकी जान आफत में डाल सकती है। कोई भी व्यक्ति कहीं पर भी इस मच्छर का शिकार हो सकता है। डॉक्टरों का कहना है कि डेंगू से डरें नहीं बल्कि इसके बचाव पर अमल करें। अगर यह बुखार किसी को होता है तो बिना घबराए डॉक्टर को दिखाएं। ख्याल रखें कि डॉक्टर के पास जाने में देरी न हो। डेंगू बुखार का पहले दिन से पता चल जाता है। अगर बुखार है तो प्लेटलेट्स की जांच कराते हैं और जब तक प्लेटलेट्स 25 हजार से नीचे न जाए तब तक अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत नहीं और न ही प्लेटलेट्स चढ़ाने की जरूरत है। दिल्ली नगर निगम तो अपने स्तर पर मच्छरों को रोकने के लिए पयास कर रहा है पर सभी को इस ओर विशेष ध्यान देना होगा। कुछ सुझाए गए कदम हैं, कूलर के पानी को रोज साफ करना, साथ ही गमलों आदि बर्तन में पानी न जमा होने देना। कूलर में जमा पानी से ही डेंगू के  एडिस मच्छरों की उत्पत्ति सबसे ज्यादा होती है। अपने घरों के आस-पास गड्ढों में पानी जमा न होने दें। सोते समय मच्छरदानी अथवा ऑल आउट का क्वाइल जरूर जलाएं। बुखार होते ही डाक्टर को दिखाएं, बीच-बीच में पानी के साथ लिक्विड पदार्थ भी लेते रहें। डायबिटीज और मोटापा होने, बच्चों व ज्यादा उम्र के मरीजों, पेग्नेंट और गुर्दों के मरीजों को डेंगू का खास ध्यान रखना चाहिए। राजधानी में ऊंची इमारतों में डेंगू मच्छर के पजनन की दर अधिक पाई गई है। राजधानी में जगह-जगह हो रहे निर्माण के कारण भी मच्छरों के पजनन में इजाफा हुआ है। कॉमनवेल्थ गेम्स परियोजनाओं और लगातार हो रहे विकास कार्यों के कारण राजधानी में हमेशा निर्माण हो रहा है। इसलिए निर्माण स्थलों और सड़कों के किनारे मच्छरों का पजनन बढ़ा है। दूसरा बड़ा कारण कई मंजिला इमारतों में लगी पानी की टंकी हैं। डोमेस्टिक ब्रीडिंग चेकर्स तथा दिल्ली का स्वास्थ्य विभाग अब भवनों की छतों  तक पहुंचकर पानी की टंकियों की पड़ताल करेंगे। हृदय रोग विशेषज्ञ डा. केके अग्रवाल का कहना है कि हर डेंगू बुखार खतरनाक नहीं होता और न ही हर किसी में प्लेटलेट्स की जरूरत पड़ती है। डेंगू में अगर ब्लीडिंग शुरू हो गई तो तुरंत इसकी जरूरत है। खून की नलियों में थक्का न बन पाने से ऐसा होने लगता है। ब्लीडिंग नहीं हो रही है तो ऐसा करना जरूरी नहीं है। गौरतलब है कि डेंगू होते ही मरीजों के परिजन प्लेटलेट्स के लिए परेशान हो जाते हैं और अस्पतालों में परिजनों की मांग पर तुरन्त 25 से 40 हजार रुपए खर्च कर प्लेटलेट्स चढ़ाए जा रहे हैं। डेंगू का मच्छर तो कैंसर से भी ज्यादा खतरनाक साबित हो रहा है।

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