Wednesday 10 October 2012

वाड्रा सम्पत्ति विवाद में फंसती यूपीए सरकार और कांग्रेस पार्टी


 Published on 10 October, 2012
 अनिल नरेन्द्र
 राबर्ट वाड्रा बनाम अरविन्द केजरीवाल लड़ाई तेज होती जा रही है। डीएलएफ के साथ कथित सौदों में आरोपों को लेकर विवादों में घिरे वाड्रा ने अपनी चुप्पी तोड़ते हुए कहा कि वह सभी तरह की नकारात्मक बातों से निपट सकने में सक्षम हैं। अपने फेसबुक अकाउंट में राबर्ट वाड्रा ने पोस्ट किया, `मैंगो पीपुल इन बनाना रिपब्लिक।' इसके बाद इंडिया अगेंस्ट करप्शन (आईएसी) ने अपने तेवर और कड़े कर लिए हैं। केजरीवाल के साथी कुमार विश्वास ने मांग की है कि भारत को बनाना रिपब्लिक कहकर वाड्रा ने देश का अपमान किया है और इस पर वह माफी मांगें। उधर वाड्रा के खिलाफ आरोप लगाने वाले अरविन्द केजरीवाल ने कहा कि अगर उनके आरोप गलत साबित हुए तो वह मानहानि के मामले का सामना करने को तैयार हैं। केजरीवाल ने मंगलवार को ट्विट किया कि वह जल्द इस मामले में और जानकारी देंगे। आरोपों की बात करें तो भारतीय जनता पार्टी के उपाध्यक्ष शांता कुमार ने अरविन्द केजरीवाल को लिखे पत्र में श्रीमती सोनिया गांधी की पुत्री प्रियंका गांधी की शिमला में सम्पत्ति होने के बारे में पता लगाने का अनुरोध किया है। हालांकि इस पत्र के जवाब में आईएसी ने  कहा है कि हिमाचल प्रदेश में इस समय उनकी पार्टी की सरकार है। इसलिए श्री शांता कुमार जी के लिए प्रियंका गांधी की सम्पत्ति के बारे में पता करना ज्यादा आसान होगा। पत्र में यह भी लिखा है कि इस बात का भी खुलासा होना चाहिए कि जमीन खरीदने की इजाजत किस सरकार ने दी? उल्लेखनीय है कि हिमाचल में कोई गैर हिमाचली जमीन बिना इजाजत लिए नहीं खरीद सकता। उधर एक वरिष्ठ आईएएस अधिकारी ने अपना नाम नहीं छापने की शर्त पर एक अखबार को बताया है कि राबर्ट वाड्रा ने तीन साल में राजस्थान के बीकानेर में 311 एकड़ जमीन खरीदी है। इसके अलावा जैसलमेर में भी उन्होंने कई बीघे जमीन खरीदी है। बीकानेर संभाग के रजिस्ट्रार विभाग के अधिकारियों के मुताबिक वाड्रा ने 2009 से इस साल की शुरुआत तक यहां कई जगह जमीनें खरीदी हैं। ये जमीनें वाड्रा की अलग-अलग कम्पनियों के नाम पर हैं। राज्य सरकार को इस खरीद-फरोख्त की पूरी जानकारी थी और इसमें अनाधिकृत तौर पर मदद भी की गई। इसके लिए बीकानेर के अधिकारी भी बदले गए। ये जमीनें रियल अर्थएस्टेट्स प्राइवेट लिमिटेड, स्काई लाइट रिएलिटी और स्काई लाइट हॉस्पिटेलिटी प्राइवेट लि. के नाम पर खरीदी गईं। मनमोहन सिंह सरकार इस मामले की कोई जांच नहीं करेगी। वित्त मंत्री पी. चिदम्बरम ने नई दिल्ली में आर्थिक सम्पादकों के सम्मेलन में एक सवाल के जवाब में कहा कि श्री वाड्रा और डीएलएफ के बीच हुए सौदे निजी कारोबारी सौदे हैं और इसमें सरकारी स्तर पर भ्रष्टाचार की बात भी नहीं है। इसलिए सरकारी स्तर पर जांच कराने का प्रश्न ही नहीं उठता है। उन्होंने कहा कि देश की कोई भी निजी कम्पनी किसी भी व्यक्ति के साथ सौदा करती है और यह निजी निवेश होता है। श्री राबर्ट वाड्रा पर लग रहे आरोप हमें नहीं लगता कि इतनी आसानी से दब सकेंगे। जितना यह सरकार चाह रही है। मुझे याद है कि मैंने यू-ट्यूब में बहुत समय पहले एक फिल्म देखी थी जिसमें वाड्रा एक साधारण व्यक्ति से अरबपति कैसे बने, दिखाया गया। यह फिल्म किसी विदेशी ने बनाई थी। राबर्ट वाड्रा एक साधारण व्यक्ति से उद्योगपति बन सकते हैं, इस पर किसी को ऐतराज नहीं हो सकता पर सवाल यहां यह है कि क्या उन्होंने ऐसा करने में अपनी रिश्तेदारी का नाजायज लाभ उठाया है? मुझे लगता है कि केजरीवाल के पास और भी जानकारियां हैं जो वह आने वाले दिनों में सार्वजनिक करेंगे। यह भी सोचने का विषय है कि राबर्ट वाड्रा कांग्रेस पार्टी के न तो कोई नेता हैं और न ही पार्टी कार्यकर्ता। फिर भी उनका बचाव मंत्री और कांग्रेसी नेता क्यों कर रहे हैं? कांग्रेस के रणनीतिकार भी मान रहे हैं कि राबर्ट वाड्रा अरविन्द केजरीवाल के जाल में फंस गए हैं। अब तय किया गया है कि मंत्रियों और वरिष्ठ नेताओं को इस मामले में अतिसक्रियता दिखाने से  बचना चाहिए। कांग्रेस के एक वरिष्ठ सूत्र के मुताबिक शुक्रवार शाम केजरीवाल के आरोपों पर एक साथ कई मंत्रियों और नेताओं ने वाड्रा के बचाव में उतरने की पार्टी या सरकार की ओर से कोई योजना नहीं बनाई गई थी। उन्होंने केजरीवाल की प्रेस कांफ्रेंस के तुरन्त बाद खासकर कानून मंत्री सलमान खुर्शीद, पर्यावरण मंत्री जयंती नटराजन और पार्टी प्रवक्ता मनीष तिवारी की प्रतिक्रिया को उनका निजी उत्साह बताया। उनका मानना है कि ऐसी तीव्र प्रतिक्रिया कर पार्टी और सरकार एक तरह से केजरीवाल के बिछाए जाल में फंस गई है।


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