Wednesday 3 October 2012

सेट टॉप बॉक्स पर सरकार और केबल ऑपरेटर आमने-सामने


 Published on 3 October, 2012
 अनिल नरेन्द्र
सरकार द्वारा टीवी कार्यक्रमों को देखने के लिए सेट टॉप बॉक्स लगाना जरूरी क्यों है, इस पर भारी विवाद छिड़ा हुआ है। जनता को यह समझ नहीं आ रहा कि जब केबल ऑपरेटर अच्छी सर्विस दे रहे थे तो सरकार ने यह नया पंगा क्यों डाला है? सरकार की दलील है कि एसटीबी लगाने के  बाद टीवी पर बिल्कुल साफ-सुथरी पिक्चर आएगी, साफ प्रसारण आएगा और मनचाहे चैनल देखने का विकल्प होगा। यह सब तो केबल ऑपरेटर भी दे रहे थे। चैनल का प्रसारण टीवी चैनल की रिकॉर्डिंग पर तो निर्भर करता है। कुछ चैनल एचडी में है उनका प्रसारण एचडी का होगा (अगर आपके टीवी में एचडी है)। सेट टॉप बॉक्स से इसमें शायद ही कोई इप्रूवमेंट हो। सरकार यदि सबको बताकर एसटीबी लगाने के लिए उपभोक्ताओं को जागरुक कर रही है पर यह नहीं बता रही कि इसके साथ-साथ कई अप्रत्यक्ष खर्च और क्या-क्या बढ़ेंगे। सेट टॉप बॉक्स के जरिए दिनभर टीवी चलेगा तो 20 वॉट बिजली लगातार खर्च होगी। राजधानी में बिजली की जो दर है उसमें कम से कम 100 रुपए महीने का खर्च बढ़ना स्वाभाविक है। इसी तरह घर में एक कनेक्शन पर सरकार 20 रुपए प्रति कनेक्शन के हिसाब से मनोरंजन कर लेगी। यदि घर में दो या तीन टीवी सेट हैं तो जाहिर उतना अधिक खर्च बढ़ेगा। यह भी नहीं बता रही कि कल को यदि तकनीक बदलेगी तो यह सेट टॉप बॉक्स बेकार हो जाएंगे। फिर यह एसटीबी अक्सर हैंग हो जाते हैं जिससे प्रसारण बन्द हो जाता है। सरकार यह तो बता रही है कि हर सेट टॉप बॉक्स की कीमत 800 रुपये होगी पर बाकी खर्चों के बारे में खामोश है। सेट टॉप बॉक्स के जरिए डिजिटल प्रसारण के सरकार के फैसले पर केबल ऑपरेटरों और सरकार में टकराव की स्थिति अलग पैदा हो गई है। सरकार लोगों को एसएमएस भेजकर जल्द से जल्द एसटीबी लगवा लेने की सलाह दे रही है तो केबल ऑपरेटरों का कहना है कि अभी 60 फीसदी घरों में एसटीबी लगाना बाकी रह गया है। यदि 31 अक्तूबर के बाद एनलॉग प्रसारण बन्द करा देगी तो आधी से ज्यादा दिल्ली के दर्शक टीवी देखने से महरूम रह जाएंगे जबकि सरकार बता रही है कि 70 फीसदी घरों में एसटीबी लग चुका है। मालूम हो कि देश-विदेश के करीब 800 चैनल रजिस्टर्ड हैं, उनमें से 180 चैनल पेड हैं जबकि बाकी फ्री-टू-एयर हैं। सरकार कह रही है कि उपभोक्ताओं को 180 रुपए में 145 चैनल, 200 रुपए में 151 चैनल और 250 रुपए में 165 चैनल उपलब्ध होंगे। केबल ऑपरेटर फेडरेशन ऑफ इंडिया की अध्यक्ष रूप शर्मा ने बताया कि सरकार यह नहीं बता रही है कि इसमें से कितने चैनल फ्री टू एयर हैं और कितने पेड हैं। चैनल ग्रुप में मिलेंगे तो दर्शक अपना पंसंदीदा चैनल चुनेगा कैसे? यदि किसी दर्शक के तीन चैनल तीन अलग-अलग समूहों में होंगे तो क्या उसे तीनों ग्रुपों को लेना होगा? शर्मा ने कहा कि ऐसा नहीं कि केबल ऑपरेटर डिजिटलाइजेशन के खिलाफ हैं लेकिन जब केबल ऑपरेटर उपभोक्ता को सही बात नहीं बता पाते तो वे एसटीबी लगाने को तैयार नहीं होते। इसलिए सरकार को एनलॉग बन्द कर पूरी तरह से डिजिटल पर आने से पहले कुछ और महीनों का वक्त देना चाहिए।

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