Published on 20 October, 2012
सुप्रीम कोर्ट ने विवादास्पद सेतु समुद्रम परियोजना पर दृष्टिकोण स्पष्ट करने के लिए सोमवार को केंद्र सरकार को छह सप्ताह का वक्त दिया है। इस परियोजना का उद्देश्य राम सेतु को काटते हुए भारत के दक्षिण छोर पर नौवाहन का एक नया मार्ग तैयार करना है। यह स्कीम डीएमके पार्टी व सरकार ने तैयार की थी जबकि सदियों से यह माना जा रहा है कि यह सेतु रामायण काल में राम की वानर सेना ने रावण की राजधानी लंका तक पहुंचने के लिए तैयार किया था। इस परियोजना के तहत समुद्र क्षेत्र में 167 किलोमीटर लम्बा, 30 मीटर चौड़ा और 12 मीटर गहरा नौवाहन रास्ता तैयार करना है। राम सेतु करोड़ों-अरबों लोगों की आस्था से जुड़ा है। दर्जनों याचिकाओं में सुप्रीम कोर्ट से अनुरोध किया गया है कि सेतु समुद्रम परियोजना पर यदि मौजूदा योजना के तहत अमल किया गया तो समुद्र में खुदाई के दौरान पौराणिक महत्व का राम सेतु नष्ट हो सकता है जो करोड़ों-अरबों रामभक्तों को कभी भी स्वीकार नहीं होगा। राम सेतु को किसी तरह का नुकसान पहुंचाए बगैर ही किसी अन्य वैकल्पिक मार्ग को अपनाकर परियोजना पूरी करने की सम्भावना तलाशने के शीर्ष अदालत के आग्रह पर प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने उच्च स्तरीय समिति गठित की थी। प्रमुख पर्यावरणविद् आरके पचौरी की अध्यक्षता में गठित इस समिति ने विभिन्न मौसमों के दौरान तमाम पहलुओं को ध्यान में रखते हुए अपनी रिपोर्ट में वैकल्पिक मार्ग की व्यावहारिकता पर सवाल उठाए थे। न्यायमूर्ति एमएल दत्तू और न्यायमूर्ति चन्द्रमौली कुमार प्रसाद की खंडपीठ ने सोमवार को केंद्र सरकार को अपना दृष्टिकोण स्पष्ट करने के लिए तीन दिसम्बर तक का समय दिया है। डीएमके सरकार का हिन्दू धर्म के प्रति दृष्टिकोण किसी से छिपा नहीं। पैसे की खातिर वह करोड़ों-अरबों लोगों की आस्था से भी खिलवाड़ करने को तैयार है पर खुशी की बात यह है कि मौजूदा अन्नाद्रमुक सरकार ने पिछली सरकार के उलट कहा है कि वह सेतु समुद्रम परियोजना को पूरी तरह निरस्त कर राम सेतु को राष्ट्रीय स्मारक बनाना चाहती है। राज्य की जयललिता सरकार ने अधिवक्ता गुरु कुमार के जरिए दाखिल शपथ पत्र में शीर्ष अदालत से आग्रह किया है कि अदालत इस पर जल्द फैसला ले। राज्य सरकार के इस रुख से केंद्र सरकार की परेशानी बढ़ गई है। यही वजह है कि उसने इसे फिलहाल टाल दिया है। सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने कहा कि इन मामले में विशेषज्ञ समिति की रिपोर्ट पर फैसला नहीं लिया जा सका है। इसके लिए उसे और वक्त चाहिए। इस पर जस्टिस दत्तू की खंडपीठ ने सरकार को इस मामले में दिसम्बर तक का वक्त दे दिया। सुप्रीम कोर्ट ने धार्मिक विश्वास और आस्थाओं को देखते हुए 22 जुलाई 2008 को 2400 करोड़ रुपए की इस परियोजना पर स्टे लगा दिया था। सेतु समुद्रम का विरोध कर रहे याचिकाकर्ताओं ने समुद्री नहर के लिए एक वैकल्पिक रास्ता अलाइनेंट नम्बर 4ए सुझाया था जिस पर कोर्ट ने सरकार से कहा था कि वह इसकी उपयोगिता का अध्ययन करे। हम जयललिता के स्टैंड का तहे दिल से स्वागत करते हैं। राम सेतु राष्ट्रीय स्मारक बनाया जाए। जय श्रीराम।
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