Friday, 5 October 2012

फिर फिसली श्रीप्रकाश की जुबान, इस बार बुरे फंसे


 Published on 5 October, 2012
 अनिल नरेन्द्र
 केंद्र सरकार में कोयला मंत्री श्रीप्रकाश जायसवाल अपने विवादास्पद बयानों के लिए मशहूर हो चुके हैं। कोल आवंटन घोटाले में विरोधियों का चौतरफा विरोध झेल रहे जायसवाल की जुबान फिर फिसल गई और एक नए बवंडर में फंस गए हैं। अपने जन्म दिन के मौके पर रविवार को कानपुर के एक कवि सम्मेलन में जायसवाल कह गए कि जैसे-जैसे समय बीतता है पत्नी पुरानी हो जाती है, फिर वह मजा नहीं रहता। मंत्री की टिप्पणी महिलाओं को बहुत नागवार गुजरी। आहत महिलाओं ने मंगलवार को सड़कों पर उतर कर जायसवाल के पोस्टर पर कालिख पोत दी और मुर्दाबाद के नारे लगाए। श्रीप्रकाश का पुतला पूंकने के बाद ऐलान किया गया कि उन्हें मंत्रिमंडल से बाहर न किया गया तो देशव्यापी आंदोलन छेड़ा जाएगा। उनका बयान महिला समाज पर हमला है। महिला संगठनों ने इस पर तीखी प्रतिक्रिया जताते हुए कहा कि इतने बड़े पद पर बैठे जायसवाल के मुंह से ऐसी बातें शोभा नहीं देतीं। ये विवाह जैसी संस्था और विवाहिताओं पर भद्दा कटाक्ष है। आकांक्षा नारी सेवा समिति ने कहा कि मंत्री जी बताएं,  `मजा' से उनका आशय काया है? गौरतलब है कि किदवई नगर स्थित केके गर्ल्स कॉलेज में कवि सम्मेलन में श्रीप्रकाश जायसवाल बोले, `चाहता था कि एक-दो घंटे का समय पास हो जाए, पास हो गया और इसका नतीजा भी अच्छा रहा कि भारत जीत गया (टी-20 मैच) और लोग उत्साहित हैं। नई-नई जीत और नई-नई शादी दोनों का अलग-अलग महत्व होता है। जैसे-जैसे समय बीतता है, जीत पुरानी होती जाएगी। जैसे-जैसे समय बीतता है पत्नी पुरानी हो जाती है, क्यों अम्बर जीöफिर वो मजा नहीं रहता है।' यह सुनकर एकबारगी तो वहां मौजूद श्रोता और कवि-शायर भी सन्नाटे में आ गए। कानाफूसी तो उसी वक्त से शुरू हो गई कि मंत्री जी यह क्या कह गए? एक महिला की टिप्पणी थी `मजा' इसका मतलब तो मंत्री जी समझा दें, ऐसी ओछी, खराब बातें करना किसी नेता को शोभा नहीं देता। ऐसे शब्द बोलकर उन्होंने अपनी इज्जत कम कर दी है। जब नेताओं की सोच ऐसी होगी तो समाज की दिशा-दशा कहां जाएगी... इसका तो ईश्वर ही मालिक है...। सम्मानित कार्यक्रम में सभी बड़े लोग मौजूद थे, किसी ने उनका विरोध नहीं किया, क्या सभी का दिमाग एक जैसा ही चलता है। पूर्व सांसद सुभाषिनी अली ने कहा कि ऐसा गैर जिम्मेदार आदमी केंद्रीय मंत्रिमंडल का सदस्य नहीं होना चाहिए। जीवन में पत्नी की क्या भूमिका होती है। बयान देने से पहले इस पर विचार ही नहीं किया। मैं तो कहती हूं कि मिसेज जायसवाल से भी पूछना चाहिए वह कैसा महसूस कर रही हैं। जैसे राजनेताओं की आदत होती है उसी तरह श्रीप्रकाश ने सारा दोष मीडिया पर थोप दिया और कहा कि उनकी बातों को तोड़-मरोड़ कर आउट ऑफ कांटेक्स्ट पेश किया है। उनका कहना है कि उनकी बात भारत-पाक की जीत के सन्दर्भ में कही गई थी जबकि इसे सन्दर्भ से हटाकर देखा गया। उन्होंने कहा कि वह महिलाओं के अपमान के बारे में सोच भी नहीं सकते। उनकी बात को काट-छांट कर दिखाया गया। अगर फिर भी किसी को ठेस पहुंची है तो वह माफी मांगते हैं।

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