Saturday 27 October 2012

वाड्रा डील को बहाल करना टेड़ी खीर साबित हो रही है


 Published on 27 October, 2012
 अनिल नरेन्द्र
रॉबर्ट वाड्रा डीएलएफ डील के तहत गुड़गांव के शिकोहपुर गांव की 3.5 एकड़ जमीन का इंतकाल रद्द करके तत्कालीन महानिदेशक चकबंदी डा. अशोक खेमका ने हरियाणा सरकार को बुरी तरह फंसा दिया है। इंतकाल रद्द करने की बजाय गुड़गांव के उपायुक्त पीसी मीणा ने रजिस्ट्री को सही बताते हुए हरियाणा सरकार को पत्र लिखकर इस बारे में निर्देश मांगे हैं। गुड़गांव के डीसी ने मुख्य सचिव और अतिरिक्त मुख्य सचिव को लिखे पत्र में कहा है कि चूंकि पदेशभर में सहायक चकबंदी अधिकारी ही इंतकाल कर रहे हैं और ऐसे हजारों इंतकाल हो रखे हैं। इसलिए वाड्रा द्वारा डीएलएफ को बेची जमीन का 20 सितंबर को किया इंतकाल भी सही है। अकेले शिकोहपुर गांव में इसी तरह के 150 इंतकाल सहायक चकबंदी अधिकारी ने किए हैं। उन्हें यह अधिकार भी सरकार ने दिया हुआ है। इसलिए उनका मार्गदर्शन करें। उपायुक्त मीणा ने कहा कि महानिदेशक चकबंदी द्वारा 15 अक्तूबर को जारी इंतकाल रद्द करने के आदेश मिल गए हैं लेकिन उसका पालन नहीं किया गया है। चूंकि पदेश में इसी तरह के इंतकाल सभी सहायक चकबंदी अधिकारी कर रहे हैं इसलिए डीएलएफ का इंतकाल अगर रद्द कर दिया तो हजारों कानूनी विवाद खड़े हो जाएंगे। दरअसल वाड्रा-डीएलएफ डील की जमीन का इंतकाल रद्द करने के आदेश के बाद चर्चा में आए हरियाणा कैडर के सीनियर आईएएस डा. अशोक खेमका अपने तबादले से एक दिन पहले रजिस्ट्री के ऐसे नए नियम बना गए हैं जो अब राज्य सरकार के लिए गले की फांस बन गए हैं। 10 अक्तूबर को बनाए गए इन नियमों पर अमल से न सिर्प रीयल एस्टेट का कारोबार करने वाली कंपनियों की संपत्ति का पता लग सकेगा बल्कि काले धन से या बेनामी सम्पत्ति खरीदने वालों पर भी नकेल कसी जा सकेगी। ये रूल्स उन्होंने सभी जिला उपायुक्तों को भेज दिए हैं और आम जनता को बताने के लिए इन्हें हरियाणा सरकार को अधिसूचित करने के लिए भेज दिया है। इंस्पेक्टर जनरल ऑफ रजिस्ट्रेशन की हैसियत से डा. अशोक खेमका ने रजिस्ट्रेशन एक्ट 1908 की धारा 69 (1) के तहत मिली शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए पहली बार हरियाणा में द हरियाणा रजिस्ट्रेशन रूल्स 2012 बनाए हैं। अशोक खेमका ने स्वीकार किया है कि उन्होंने यह रजिस्ट्रेशन रूल्स अधिसूचित कर दिए हैं। अफसरों को इनका पालन करने के लिए मेरी अधिसूचना काफी है, जबकि आम जनता के लिए सरकार द्वारा सरकारी गजट से अधिसूचना जारी करनी होती है। अशोक खेमका ने अब यह कहकर हरियाणा के साथ-साथ केंद्र सरकार की परेशानी बढ़ा दी है कि उनके आदेशों को लेकर गठित कमेटी का मकसद भ्रष्टाचार को छिपाना और वाड्रा को बचाना है। अशोक खेमका के मुताबिक चकबंदी महानिदेशक के आदेशों के खिलाफ सिर्प हाई कोर्ट में सुनवाई हो सकती है, लेकिन ऐसा कुछ करने के बजाय एक कमेटी गठित कर दी गई है। एफटीवी चैनल से बात करते हुए खेमका ने कहा कि मुझे इस कमेटी के कार्यक्षेत्र के बारे में कुछ पता नहीं है, लेकिन इतना जानता हूं कि यह कमेटी हाई कोर्ट के अधिकार क्षेत्र का अतिकमण कर रही है। अशोक खेमका ने जाते-जाते ऐसा पेंच फंसा दिया है जो हरियाणा सरकार के लिए खोलना खतरे से खाली नहीं है।

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