Published on 2 October, 2012
अनिल नरेन्द्र
जम्मू-कश्मीर में एक बार फिर दहशतगर्दों ने अपनी गतिविधियां तेज कर दी हैं। एक बार फिर चुने हुए जन पतिनिधियों को निशाना बनाया जा रहा है। पिछले दो सप्ताह में आतंकियों ने दो सरपंचों को गोली से उड़ाकर एक बार फिर घाटी में अमन-चैन के माहौल को बिगाड़ने का पयास किया है। एक साल के दौरान कुल मिलाकर कोई आधा दर्जन पंच-सरपंच आतंकियों के हाथों मारे गए हैं। आतंकी संगठनों ने पिछले कई दिनों से विभिन्न इलाकों में पोस्टर-पर्चों के जरिए पंच-सरपंचों को इस्तीफा देने या फिर अंजाम भुगतने की धमकी दी है। इस सबका एक नतीजा यह हुआ है कि जिन लोगों ने पिछले साल बेखौफ होकर पंचायत चुनाव लड़ा था अब वे डर से इस्तीफा दे रहे हैं। बीते कुछ दिनों में 100 से ज्यादा पंचों-सरपंचों ने अपने पदों से इस्तीफा दे दिया है। 300 से ज्यादा ने अखबारों में इश्तेहारों के जरिए इस्तीफा देने का ऐलान किया है। दो दशक से भी ज्यादा समय तक आतंकवाद से जूझते देश के इस सीमावर्ती सूबे में पिछले साल हुए पंचायती चुनाव में जब आतंकियों की धमकियों को धता बताते हुए करीब 80 फीसदी मतदाताओं ने मतदान किया था तो इसे राज्य की एक बड़ी उपलब्धि व लोकतांत्रिक जीत माना गया था। करीब तीन दशक बाद हुए इन चुनावों में पंचायतों के लगभग 2000 जन पतिनिधि चुने गए थे और यह आतंकियों को बर्दाश्त नहीं था क्योंकि न सिर्प देश में बल्कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी कहा जाने लगा था कि आतंकवादी ताकतें पूर्व में अलग-थलग पड़ गई हैं। खून-खराबे की घटनाओं में भी काफी कमी आई थी। सुधरते माहौल के कारण ही पिछले दिनों शाहरुख खान ने घाटी में फिल्म की शूटिंग की थी। पर सीमा पार इन आतंकी संगठनों के माई-बापों को यह स्थिति स्वीकार नहीं थी और उन्होंने घाटी में अपने प्यादों को फिर से सकिय कर दिया है। एक बड़ी चिंता और जो पिछले दिनों उभर कर आई है वह है कश्मीर में आतंकी-पुलिस का गठजोड़। आतंकी-पुलिस गठजोड़ की कलई खुल जाने से आज असुरक्षा का माहौल बना हुआ है। अपने आपको सबसे अधिक असुरक्षित महसूस कर रहे मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने तो आतंकियों को चुनौती तक दे डाली है। वरिष्ठ पुलिस अधिकारी भी मुख्यमंत्री की सुरक्षा को लेकर चिंतित हैं। कुछ दिन पहले ही शाम पुलिस ने यह रहस्योद्घाटन किया था कि राज्य में आंतकी-पुलिस का गठजोड़ खतरनाक रूप धारण करता जा रहा है। ऐसे में मिलने वाले संकेतों पर विश्वास करें तो ऐसे गठजोड़ों से पर्दा उठाने की अनुमति पुलिस को दे दी गई है। इस कम में आने वाले दिनों में ऐसे पुलिस कर्मियों की गिरफ्तारी सम्भव है। बताया जा रहा है कि कुछ एक जवान भारत-तिब्बत पुलिस के भी इस गठबंधन में शामिल हैं, हालांकि उनकी गिनती नाम मात्र की है। आधिकारिक तौर पर मुहैया करवाए जाने वाले आंकड़ों के अनुसार तकरीबन साढ़े छह हजार पुलिस कर्मियों को आज राजनीतिज्ञों तथा वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों की सुरक्षा के लिए तैनात किया गया है। इनमें आतंकवादियों के कितने संपर्प सूत्र हैं पता लगाना सबसे टेड़ी खीर बन गया है। आप किसी पर सीधे शक की अंगुली भी नहीं उठा सकते क्योंकि जब तक पुख्ता सबूत न हों तो अंगुली उठाना भारी पड़ सकता है। जम्मू-कश्मीर में सरपंचों की सुरक्षा को लेकर व पंचायतों के सशक्तिकरण को लेकर सत्तारूढ़ नेशनल कांपेंस और कांग्रेस गठबंधन में भी खटास पैदा हो गई है। शुकवार को श्रीनगर में युवा कांग्रेस ने जमकर नारेबाजी की और उमर अब्दुल्ला और फारुख अब्दुल्ला पर निशाना साधा।
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