Friday 26 October 2012

विवादों के चलते गडकरी को पद छोड़ पार्टी बचानी चाहिए


 Published on 26 October, 2012
 अनिल नरेन्द्र
भाजपा अध्यक्ष नितिन गडकरी की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं। गडकरी पर महाराष्ट्र में पीडब्ल्यूडी मंत्री रहते हुए खुद की कम्पनियों को आर्थिक फायदा पहुंचाने का नया आरोप सामने आया है। वह महाराष्ट्र की शिवसेना-भाजपा की तत्कालीन सरकार में 1995 से 1999 तक मंत्री थे। एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार गडकरी की कम्पनी पूर्ति पॉवर एण्ड शुगर लिमिटेड ने कई घपले किए। इनमें गलत तरीके से पैसा जमा करने से लेकर कम्पनी के बारे में दी गई जानकारी फर्जी होना शामिल है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक पूर्ति पावर के अधिकतर निवेश और कर्ज आईआरबी समूह की ओर से दिए गए। जब गडकरी महाराष्ट्र सरकार में पीडब्ल्यूडी मंत्री थे तब आईआरबी समूह को कई ठेके दिए गए थे। पूर्ति की शेयरधारक कम्पनियों के पते भी फर्जी हैं। इनमें से पांच कम्पनियों के पते दरअसल मुंबई की झुग्गी बस्तियों के हैं। नितिन गडकरी ने अपनी सफाई में कहा कि महाराष्ट्र सरकार में लोक निर्माण मंत्री रहते हुए निजी कम्पनियों को फायदा पहुंचाने की बात बेबुनियाद है। मैं खुद पर लगे इन आरोपों की किसी भी जांच के लिए तैयार हूं। केंद्रीय कारपोरेट मामलों के मंत्री वीरप्पा मोइली ने कहा है कि इस मामले की जांच कराई जाएगी। खुलासे के बाद भाजपा के सांसद राम जेठमलानी ने गडकरी से इस्तीफे की मांग की है। लेकिन राज्यसभा में विपक्ष के नेता अरुण जेटली गडकरी के बचाव में हैं। उन्होंने कहा कि सरकार चाहे तो जांच करवा ले। सामने आए नए तथ्यों के बाद यह संदेह गहराना मैं समझता हूं स्वाभाविक ही है कि कहीं कुछ तो गड़बड़ है। यह सहज सामान्य नहीं जान पड़ता कि किसी कम्पनी के निवेशक झुग्गी बस्तियों में रह रहे हों? नितिन गडकरी का यह कहना कि जिस पूर्ति समूह के निवेशकों के पते फर्जी पाए गए हैं वह उसे 14 माह पहले छोड़ चुके हैं उनकी सफाई का पर्याप्त जवाब नहीं कहा जा सकता। इसलिए और भी नहीं, क्योंकि अब उन फैसलों पर भी सवाल उठ रहे हैं जो गडकरी ने महाराष्ट्र के लोकनिर्माण मंत्री रहते समय लिए थे। कोई भी यह कैसे मान सकता है कि उन्होंने बतौर लोक निर्माण मंत्री जिस कम्पनी को तमाम ठेके दिए उसी ने उन्हें बाद में करोड़ों का कर्ज दिया? यह अच्छी बात है कि खुद गडकरी अपने पर लगे आरोपों की जांच की मांग कर रहे हैं लेकिन यदि ऐसा होता है तो क्या उन्हें  अपने पद पर बना रहना चाहिए? आखिर यही तो मांग भाजपा कांग्रेसी नेताओं पर लगे आरोपों के लिए कर रही है। अब भाजपा अध्यक्ष पर भी उसी ढंग के आरोप लगे हैं जैसे कांग्रेसी नेताओं, मंत्रियों पर लगे हैं। भाजपा इसकी भी अनदेखी नहीं कर सकती कि राजनीति में उतर चुकी टीम केजरीवाल तो यही साबित करने पर उतारू है कि सियासी हमाम में सभी नंगे हैं, कांग्रेस -भाजपा दोनों चट्टे-बट्टे हैं। बेशक भाजपा का शीर्ष नेतृत्व गडकरी के बचाव में उतर आया है पर हमें इसमें संदेह है कि वह आम जनता को यह समझाने में सफल होंगे कि गडकरी पर लगे आरोपों के पीछे कांग्रेस है और यह भाजपा को बदनाम करने के लिए एक सियासी चाल है। जनता अब जागरुक हो चुकी है। वह बड़े गौर से देख रही है कि राजनीतिक दल किस तरह भ्रष्टाचार से लड़ने का दिखावा कर रहे हैं। राजनीतिक दलों के इस व्यवहार से जनता में सियासी दलों के प्रति मोहभंग हो रहा है। नितिन गडकरी के पीछे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पूरी तरह खड़ा हुआ है। दुख से कहना पड़ता है कि संघ अपने आदर्शों को भूल चुका है और अब उसके लिए भी व्यवसायी स्वार्थ ज्यादा महत्वपूर्ण हो चुका है। बतौर अध्यक्ष नितिन गडकरी को कभी भी भाजपा में स्वीकार नहीं किया गया और अब तो रही-सही कसर भी पूरी हो चुकी है। आखिर कब तक संघ द्वारा लादे गए इस बोझ को भाजपा उठाती फिरेगी। स्वयं नितिन गडकरी को चाहिए कि वह अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दें और यह कहें कि वह किसी भी स्वतंत्र जांच के लिए तैयार हैं और जब तक जांच पूरी नहीं होती तब तक वह अध्यक्ष पद पर नहीं रहेंगे। इससे कांग्रेस पर भी दबाव पड़ेगा और तब भाजपा कह सकती है कि देखो हमने तो यह कर दिखाया अब आपकी बारी है। तभी भाजपा पार्टी विद ए डिफरेंस साबित होगी।


No comments:

Post a Comment