Wednesday, 1 May 2013

कर्नाटक विधानसभा चुनाव में कांग्रेस का पलड़ा भारी दिखता है




 Published on 1 May, 2013 
 अनिल नरेन्द्र 
 भाजपा अध्यक्ष राजनाथ सिंह और उनकी नई टीम के लिए पहली परीक्षा कर्नाटक विधानसभा चुनाव होगी जो 5 मई को होने जा रहे हैं। 224 सीटों वाली कर्नाटक विधानसभा चुनाव में हुए एक प्री पोल सर्वे के मुताबिक कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरती दिखाई दे रही है। सर्वेक्षण बताता है कि कांग्रेस को 117-129 सीटें मिलने की सम्भावना है जबकि भाजपा 39-49 सीटों तक ही सिमट जाएगी। जेडीएस 33-44 और अन्य 14-22 सीटें ले सकते हैं। सर्वेक्षण के अनुसार एचडी कुमारस्वामी को 18… मतदाता बतौर मुख्यमंत्री पसंद करते हैं, बीएस येदियुरप्पा को 10…, सिद्धरमैया को 9…, एसएम कृष्णा को 8… और जगदीश शेट्टार को 6…। आईबीएन-7 और सीएसडीएस का प्री पोल सर्वे यह दर्शा रहा है। कर्नाटक में सरकार व प्रतिष्ठा बचाने की जद्दोजहद में जुटी भारतीय जनता पार्टी को उम्मीद है कि नरेन्द्र मोदी के तूफानी भाषण और यात्रा के बाद पार्टी की हालत में सुधार आया है। पूर्व मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा की नई पार्टी केजीपी से भाजपा को नुकसान तो हो रहा है लेकिन उतना नहीं जितनी आशंका थी। पार्टी को लगता है कि अगर उसकी सरकार नहीं भी बन पाई तो वह नई सरकार के गठन में निर्णायक भूमिका में रह सकती है। पार्टी के नेता चाहते हैं कि एकाध दिन में नरेन्द्र मोदी फिर से कर्नाटक आ जाएं तो पार्टी को फायदा हो सकता है। दरअसल भाजपा नरेन्द्र मोदी को वहां के हालात में दांव पर नहीं लगाना चाहती है। मोदी खुद भी ऐसा नहीं चाहते। हालत यह बनी हुई है कि भाजपा नेताओं का मानना है कि सत्ता तक पहुंचने के लिए सब दलों के सामने बाधाएं हैं। आठ मई को नतीजे कुछ भी आएं लेकिन यह बात तय है कि भाजपा के लिए जिस राज्य ने दक्षिण भारत का द्वार खोला था, वह बन्द होने जा रहा है। हालांकि इसका कतई यह मतलब नहीं कि कांग्रेस की ही ताजपोशी होगी  क्योंकि किसी के पास जीत का आत्मविश्वास नहीं है। ऐसे में भाजपा के दो धड़े हों या कांग्रेस या फिर देवेगौड़ा की जेडीएस, दूसरों की राह में रोड़े ही अटका रही हैं। चार साल मुख्यमंत्री रहे बीएस येदियुरप्पा को भ्रष्टाचार के आरोप में इस्तीफा देना पड़ा था। भाजपा छोड़कर उन्होंने कर्नाटक जनता पार्टी (केजीपी) बना ली। बेल्लारी के खनन माफिया रेड्डी बंधु, जिन्होंने विपक्षी विधायकों को भाजपा के पाले में लाने के लिए खजाने खोले थे, इस बार मैदान से बाहर हैं। भले ही इस वक्त वे जेल में हों लेकिन उनके मुख्य सिपहसालार बीएस श्रीरायुलु ने जरूर अलग पार्टी बना ली हैöबीएसआर कांग्रेस, जनार्दन रेड्डी के एक भाई करुणाकर भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं। दूसरे भाई सोमशेखर श्रीरायुलु की पार्टी से मैदान में हैं। जनार्दन रेड्डी से जुड़ने के पहले श्रीरायुलु एक कांग्रेस नेता के ड्राइवर हुआ करते थे और येदियुरप्पा मुख्यमंत्री बनने से पहले राजनीति से संन्यास लेने का मन बना चुके थे। दोनों भले ही अपने बूते पर एक भी सीट न जीत पाए लेकिन भाजपा को कई सीटों पर नुकसान तो पहुंचा ही सकते हैं। भाजपा की बदहाली से कांग्रेस में उत्साह लाजिमी है। लेकिन पार्टी भी असमंजस में है। अभी तक कांग्रेस ने किसी को मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित नहीं किया है। सिद्धरमैया और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जी. परमेश्वर दोनों खुद को अगले मुख्यमंत्री की तरह पेश कर रहे हैं। दोनों धुआंधार रैलियां कर रहे हैं। पार्टी के इस अंदरुनी मुकाबले के मद्देनजर पूर्व मुख्यमंत्री एसएम कृष्णा प्रचार से दूर ही हैं। राहुल गांधी की चुनावी सभा में कृष्णा अनमने भाव से सामने आए। इस चुनावी समीकरण में एक नया कोण पूर्व मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी की जनता दल सेक्यूलर बना रही है। पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवेगौड़ा के  बेटे कुमारस्वामी बहुतायत वाली वोकालिंगा समुदाय के एक छात्र नेता हैं। लेकिन घोटालों की कालिख से वे भी मुक्त नहीं हैं। कुल मिलाकर चुनावी स्थिति स्पष्ट नहीं है।   परिस्थितियों को देखते हुए इतना जरूर कहा जा सकता है कि कांग्रेस और भाजपा के बीच पलड़ा कांग्रेस का भारी लगता है। बाकी चुनावों के बारे में कोई भविष्यवाणी नहीं कर सकते। ज्यादा दिन अब इंतजार नहीं करना होगा। 8 मई को नतीजे आ जाएंगे, तस्वीर साफ हो जाएगी।

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