Published on 30 May,
2013
अनिल नरेन्द्र
अपनी-अपनी राय हो सकती है। आईपीएल खत्म हो गया है और
मुंबई इंडियंस आईपीएल-6 का विजेता रहा। दिलचस्प फाइनल में सचिन के जांबाजों ने धोनी
के धुरंधरों को धूल चटा दी। बेशक इस बार आईपीएल विवादों में समाप्त हुआ पर निश्चित
रूप से इस बार शानदार क्रिकेट देखने को मिली। कुछ नए स्टार उभर कर सामने आए। कुछ पुराने
दिग्गजों ने खुद को फिर स्थापित किया। एक बार फिर साबित हो गया कि क्रिकेट में विकेट
लेकर ही मैच जीते जा सकते हैं। लसिथ मलिंगा ने आईपीएल-6 में अपनी छाप छोड़ने के लिए
एकदम सही मंच चुना। फाइनल मैच का परिणाम तो लगभग तभी तय हो गया था जब मलिंगा ने हसी
को पवेलियन भेज दिया था। इसके बाद मलिंगा ने पहली ही गेंद पर खतरनाक बल्लेबाज सुरेश
रैना को भी पवेलियन शून्य स्कोर में वापस भेजकर धोनी के धुरंधरों के हौसले पस्त कर
दिए। हालांकि यह धोनी का अंदाजा ही है कि उनके मैदान में रहते हुए कोई भी टीम जीत के
प्रति पूरी तरह आश्वस्त नहीं हो सकती। चेन्नई कैम्प में पिछले कुछ दिनों से जो चला
उसका दुप्रभाव टीम परफार्मेंस पर जरूर नजर आया और टीम के कोच स्टीफन फ्लेमिंग ने इसे
स्वीकार भी किया। खट्टी और मीठी यादें लिए आईपीएल-6 समाप्त हो गया। इस बार गेंदबाजी
हो या बल्लेबाजी दोनों में ही विदेशी खिलाड़ी छाए रहे। बल्लेबाजी में आस्ट्रेलिया के
माइक हसी सर्वाधिक स्कोर 733 रन के साथ ऑरेंज केप धारी बने तो गेंदबाजी में वेस्टइंडीज
के ड्वेन ब्रावो 32 विकेट लेकर पर्पल केप धारी बने। बल्लेबाजी के टॉप-5 में दो ही भारतीय
विराट कोहली (634) और सुरेश रैना (548) जगह बना सके। गेंदबाजी में भी टॉप-5 में तीन
विदेशी रहे। ब्रावो (32 विकेट) मिशेल जॉनसन (24) और जेम्स धानकर (28) लेकर पहले तीन
गेंदबाज रहे। भज्जी (24) और विनय कुमार (23) विकेट लेकर तीसरे और पांचवें स्थान पर
रहे। सचिन तेंदुलकर की फाइनल जीतने के बाद आईपीएल से संन्यास लेने की घोषणा ने उनके
समर्थकों में निराशा की लहर पैदा कर दी। सचिन ने कहा कि समय आ गया है आईपीएल को विदा
करने का। मैंने विश्व कप के लिए 21 साल तक इंतजार किया था लेकिन आईपीएल छह साल में
मिल गया। एक और खिलाड़ी मिस्टर डिपेडेवल राहुल द्रविड़ का भी यह आखिरी सीजन रहा। आईपीएल-6
बहुचर्चित और ग्लेमर भरे टूर्नामेंट की साख पर गहरा बट्टा भी लगा है। अगर हर गेंद,
शॉट, पारी और मैच के परिणाम को संदेह से देखा जाने लगे तो उसकी लोकप्रियता और विश्वसनीयता
के भविष्य पर स्वाभाविक रूप से चिन्ता होती है। इस वाद में दो बातें गौरतलब हैंöपहली
यह कि आईपीएल पर विवादों का साया आरम्भ से ही रहा है पर फिर भी उसकी लोकप्रियता बढ़ी
ही है। दूसरी यह कि क्रिकेट में भ्रष्ट आचरण की मिसाल सिर्प इसी टूर्नामेंट के साथ
नहीं जुड़ी है बल्कि मैच या टेस्ट फिक्सिंग की घटनाएं वन डे और क्रिकेट के टेस्टों
में भी हुई हैं। कटु सत्य यह है कि भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड और आईपीएल के संचालकों
की तमाम गतिविधियों में पारदर्शिता का अभाव है, जबरदस्ती की राजनीति है। स्पॉट फिक्सिंग
के आरोप में अपने दामाद की गिरफ्तारी के बावजूद बीसीसीआई अध्यक्ष एन. श्रीनिवासन पद
से इस्तीफा देने के लिए तैयार नहीं हो रहे हैं। उसी से जुड़ा यह सवाल भी कम महत्वपूर्ण
नहीं कि क्रिकेट जगत से सीधे तौर पर जुड़े विभिन्न राजनेता भी इस मुद्दे पर चुप क्यों
हैं? यह पालिटिशियन पवन बंसल और अश्विनी कुमार के मुद्दे पर तो कई दिनों तक संसद ठप
कर देते हैं यहां पर 40,000 करोड़ रुपए का घपला है कोई एक शब्द नहीं बोल रहा। भाजपा
के नरेन्द्र मोदी, अरुण जेटली, अनुराग ठाकुर अपने-अपने राज्यों के कंट्रोल बोर्ड के
अध्यक्ष हैं। सीपी जोशी, मंत्री राजीव शुक्ला, फारुख अब्दुल्ला, ज्योतिरादित्य सिंधिया
यह भी अध्यक्ष हैं। बीसीसीआई के बोर्ड के कुल 30 मेम्बर हैं और ऊपर बताए गए महानुभाव
सभी इसके सदस्य हैं। इनमें से एक का भी श्रीनिवासन के खिलाफ इस्तीफे की मांग न करना
यही दर्शाता है कि इस हमाम में शायद सभी नंगे हैं। फिक्सिंग के बाद अब लीपापोती का
प्रयास किया जा रहा है। जांच के लिए कमेटी गठित करना तो मजाक से ज्यादा कुछ नहीं है।
क्योंकि इनमें अधिकांश तो उनके करीबी हैं। बोर्ड के जो सदस्य बहुमत के अभाव में श्रीनिवासन
को बीसीसीआई से बाहर नहीं कर पा रहे, क्या वे उनके दामाद के बारे में पूछताछ कर पाएंगे?
कुल मिलाकर मेरा तो यह मानना है कि आईपीएल तमाम विवादों के उपरांत एक अत्यंत सफल टूर्नामेंट
रहा जिसका लुत्फ सभी ने उठाया है। विवादों की वजह से इसकी लोकप्रियता में कमी आएगी,
मुझे ऐसा नहीं लगता। हां, इस बात का सभी स्तरों पर प्रयास होना चाहिए कि जहां तक सम्भव
हो सट्टेबाजी, फिक्सिंग से बचने के उपायों को क्रियान्वयन किया जाए।
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