Tuesday 7 May 2013

अविलम्ब रामसेतु को राष्ट्रीय धरोहर घोषित करो




 Published on 7 May, 2013 
 अनिल नरेन्द्र 
भगवान राम द्वारा बनाए गए सेतु को तोड़कर सेतुसमुद्रम परियोजना के निर्माण के लिए जहां केंद्र सरकार अडिग है, वहीं सुश्री जयललिता की अन्नाद्रमुक सरकार ने केंद्र की इस महत्वाकांक्षी परियोजना की पूरी तरह से खिलाफत की है। जयललिता के नेतृत्व वाली सरकार ने सर्वोच्च अदालत से कहा है कि रामसेतु को राष्ट्रीय धरोहर घोषित किया जाना चाहिए, क्योंकि केंद्रीय परियोजना सहित वैकल्पिक मार्गों को पर्यावरणविद् आरके पचौरी की समिति पहले ही नकार चुकी है। केंद्र सरकार ने पचौरी समिति को नकारते हुए अदालत से फरवरी में कहा था कि 829 करोड़ रुपए खर्च करने के बाद इस परियोजना को बन्द नहीं किया जा सकता। सर्वोच्च अदालत में तमिलनाडु सरकार की ओर से दाखिल किए गए हलफनामे में कहा गया है कि पचौरी समिति वैकल्पिक भाग एलाइनमेंट 4ए और 6ए को रिपोर्ट में नकार चुकी है। रिपोर्ट में समिति ने स्पष्ट कर दिया है कि सेतुसमुद्रम परियोजना और वैकल्पिक मार्ग स्वीकार्य नहीं है और यह जनहित में भी नहीं है। सेतुसमुद्रम परियोजना के हमेशा से खिलाफ रही जयललिता सरकार ने कहा है कि प्रोजेक्ट को छोड़ दिया जाना चाहिए और रामसेतु को राष्ट्रीय धरोहर घोषित किया जाना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई को अगस्त तक के लिए टाल दिया है। केंद्रीय जहाजरानी मंत्रालय की ओर से दायर हलफनामे पर जनता पार्टी अध्यक्ष डॉ. सुब्रह्मण्यम स्वामी सहित अन्य पक्षों ने कड़ी आपत्ति जताई थी। गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी सेतुसमुद्रम परियोजना के खिलाफ कई याचिकाएं दायर हैं। पहले केंद्र ने अदालत में दायर हलफनामे में भगवान राम के अस्तित्व पर सवाल उठाया था लेकिन देशभर में तीव्र प्रतिक्रिया के बाद सरकार को पीछे हटना पड़ा और संशोधित हलफनामा दायर करना पड़ा था। इसमें कहा गया था कि सरकार सभी धर्मों का सम्मान करती है। सरकार 829 करोड़ रुपए जो इस बेहूदा परियोजना पर खर्च हो चुकी है उसका रोना रो रही है। लाखों करोड़ों का घोटाला करने के  बाद बिल्ली हज को चली। अगर सरकार को 829 करोड़ रुपए की इतनी ही चिन्ता है तो क्यों नहीं इस 829 करोड़ रुपए का हिसाब मांग लेती? पता चलेगा कि इसमें करुणानिधि एण्ड कम्पनी की कम्पनियां हैं जिन्होंने भगवान राम को बेचकर अपनी जेब भर ली। पैसा खाने की नीयत से ही तो यह परियोजना बनाई गई। केंद्र में चूंकि नेतृत्व कमजोर है उसमें द्रमुक की खिलाफत करने का साहस नहीं है इसलिए वह ऊंट-पटांग हलफनामे दायर कर बेतुकी दलीलें पेश कर रही है। रामसेतु पूरी दुनिया के करोड़ों हिन्दुओं की आस्था से जुड़ा है। रामायण हर घर में पढ़ी जाती है और भगवान राम, हनुमान जी घर-घर में पूजे जाते हैं। उनके द्वारा बनाए गए सेतु को यह रावणवंश कैसे हटा सकते हैं? कोई भी सरकार नहीं हटा सकती। यह आस्था का प्रश्न है और आस्था से टकराना निहायत खतरनाक हो सकता है। अब भी केंद्र सरकार हिम्मत दिखा सकती है और रामसेतु को राष्ट्रीय धरोहर घोषित करके करोड़ों हिन्दुओं का दिल जीत सकती है। जिसकी उसे इस समय बहुत जरूरत है। जय श्रीराम, जय बजरंग बली।



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