Published on 25 May,
2013
अनिल नरेन्द्र
दहेज मामलों में कानून सख्त बनाने के बावजूद दहेज हत्याओं
में कमी नहीं आ रही। इससे पति के परिवार वालों पर कभी-कभी गलत दबाव बनाने की रिपोर्टों
के बारे में अखबारों में पढ़ते हैं। कुछ लोगों के लिए यह एक ब्लैकमेलिंग का हथियार
बन गया है। आवश्यकता इस बात की है कि बहुओं को ससुराल में शुरू से ही वह इज्जत मिले
जिसकी वह हकदार है। अगर मियां-बीवी में कोई गम्भीर मतभेद हैं तो वर्षों से सुलट नहीं
सके तो कानून उन्हें तलाक की इजाजत देता है। उसकी कानूनी प्रक्रिया है जिसे दोनों को
मानना पड़ेगा पर जो बात काबिले बर्दाश्त नहीं है वह है रोज-रोज बहू को अपमानित करना,
प्रताड़ित करना। यह प्रसन्नता की बात है कि देश की सर्वोच्च अदालत ने इस मुद्दे को
गम्भीरता से लिया है। देश में बहुओं को जलाने, प्रताड़ित करने और आत्महत्या करने पर
मजबूर करने में वृद्धि से सुप्रीम कोर्ट चिंतित है। उच्चतम न्यायालय ने कहा कि बहू
से नौकरानी नहीं बल्कि परिवार के सदस्य के रूप में व्यवहार किया जाना चाहिए और उसे
किसी भी वक्त उसके वैवाहिक घर से बाहर नहीं निकाला जा सकता है। अदालत ने कहा है कि
बहू का ससुराल में सम्मान होना चाहिए क्योंकि वह सभ्य समाज की संवेदनाओं को परिलक्षित
करता है। न्यायमूर्ति एसके राधाकृष्णन और न्यायमूर्ति दीपक मिश्र की खंडपीठ ने कहा
कि बहू से एक अनजान व्यक्ति के रूप में बेरुखी की बजाय गर्मजोशी और स्नेह के साथ परिवार
के सदस्य के रूप में व्यवहार किया जाना चाहिए। न्यायालय ने कहा कि बहू से घर की नौकरानी
जैसा व्यवहार नहीं करना चाहिए। ऐसा आभास भी नहीं किया जाना चाहिए कि उसे किसी भी समय
ससुराल से बाहर निकाला जा सकता है। न्यायाधीशों ने कहा कि ससुराल में बहू के सम्मान
से विवाह की पवित्रता और धार्मिक क्रिया की
गरिमा बनी रही है, यह सभ्य समाज की संवेदनशीलता को परिलक्षित करती है जो अंतत उसके
मंगलमय जीवन का प्रतीक है। लेकिन कभी-कभी बहू
के प्रति घर में पति, ससुराल के सदस्यों और रिश्तेदारों का व्यवहार समाज में भावनाओं
को संज्ञाशून्यता का अहसास कराती है। शीर्ष अदालत ने पत्नी को प्रताड़ित करने के जुर्म
में पति को पांच साल की कैद की सजा सुनाते हुए यह टिप्पणियां कीं। पति की प्रताड़ना
से परेशान होकर पत्नी ने आत्महत्या कर ली थी। अदालत ने कहा, यह चिन्ता का विषय है कि
कई मामलों में बहुओं से बहुत बेरहमी का व्यवहार किया जाता है। जिसकी वजह से उनकी जीने
की इच्छा ही मर जाती है। जजों ने कहा, यह बेहद चिन्ता का विषय है कि कई मामलों में
दहेज की मांग और लोभ के कारण बहुओं को जला दिया जाता है या फिर शारीरिक और मानसिक यातनाओं
के कारण उसके जीवन की खुशियों को बुझा दिया जाता है। कई बार तो कूरता और यातनाओं के
कारण हताश होकर बहुएं आत्महत्या कर लेती हैं।
No comments:
Post a Comment