Published on 16 May, 2013
अनिल नरेन्द्र
कड़कड़डूमा कोर्ट द्वारा पूर्व कांग्रेसी सांसद सज्जन
कुमार को रिहा करने के बाद दिल्ली सहित देशभर के सिखों में भारी गुस्सा है। सिख समुदाय
रोज राजधानी में धरना-प्रदर्शन करके न्याय की मांग कर रहा है। 1984 में सिख विरोधी
दंगों में पीड़ित अब सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दाखिल करके दोषियों को सजा दिलाने
की मांग कर रहे हैं। तीन दशक बाद भी सिख समुदाय को न्याय नहीं मिल पाया। सिख संगठनों
का कहना है कि अदालत से न्याय मिलने की उम्मीद में हम 29 साल तक इंतजार करते रहे। लेकिन
1984 में हजारों सिखों को मौत के घाट उतारने वाले खुलेआम बाहर घूम रहे हैं। अदालत साक्ष्यों
के अभाव में आरोपियों को रिहा कर रही है। तीन दशक से केंद्र सरकार और प्रशासन क्या
कर रहा है? वह दंगों में शामिल लोगों के खिलाफ सजा दिलाने लायक साक्ष्य क्यों नहीं
अदालत में प्रस्तुत कर पा रही है? ऑल इंडिया सिख कांफ्रेंस (बब्बर) के अध्यक्ष गुरचरन
सिंह बब्बर ने अपना आक्रोश और दर्द इन शब्दों में व्यक्त किया। बब्बर ने कहा कि इंसाफ
न मिलने तक सिख समाज चुप नहीं बैठेगा। सैकड़ों सिख राजघाट से सुप्रीम कोर्ट तक मार्च
करने जा रहे थे किन्तु भारी पुलिस बंदोबस्त की वजह से पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को
रास्ते में शहीद पार्प पर रोक लिया। फिर प्रदर्शनकारियों के एक प्रतिनिधिमंडल को पुलिस
अधिकारी अपनी गाड़ियों में बैठाकर सुप्रीम कोर्ट ले गए। प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व सरदार
गुरचरन सिंह बब्बर व दंगों की विधवा श्रीमती दर्शन कौर, श्रीमती गुरमीत कौर, श्रीमती
कोघी कौर ने किया। संगठन ने कहा कि हमारी भयानक त्रासदी और वेदना का मूल्यांकन करने
के बाद कृपया तुरन्त न्याय करें क्योंकि नवम्बर
1984 के हत्याकांड पर सुप्रीम कोर्ट के अब तक चुप रहने से देश की न्याय व्यवस्था के
प्रति एक पूरी कौम के विश्वास की चूलें हिल गई हैं। इस काम को अंजाम देने के लिए तत्कालीन
गृह सचिव एमके बल्ली, दिल्ली के राज्यपाल पीजी गंवई, दिल्ली के पुलिस कमिश्नर सुभाष
टंडन, पूर्व केंद्रीय मंत्री जगदीश टाइटलर व सांसद सज्जन कुमार ने मुख्य भूमिका निभाई
थी और इस भयानक कूर अमानवीय हत्याकांड की कमान दिल्ली के तत्कालीन पुलिस कमिश्नर सुभाष
टंडन ने अपने हाथ में ले रखी थी जिसने दिल्ली के सभी तत्कालीन बड़े पुलिस अधिकारियों
के साथ मिलकर दिल्ली में पांच हजार निर्दोष सिखों की लाशों को ठिकाने लगा दिया था।
ऑल इंडिया सिख कांफ्रेंस ने कहा है कि हमारा सुप्रीम कोर्ट से विनम्र निवेदन है कि
सुप्रीम कोर्ट तुरन्त न्याय करे। जहां हम सिख संगठनों की मांग का पूर्ण समर्थन करते
हैं, वहीं हम सुप्रीम कोर्ट से भी अनुरोध करते हैं कि वह खुद ही इस गम्भीर मसले का
संज्ञान ले। गुजरात दंगों में तो अदालत ने आधा दर्जन मामलों की जांच करा ली है तो उससे
कहीं बड़े दंगे में अब तक कोई संज्ञान नहीं लिया गया? अगर वहां भी अल्पसंख्यक थे तो
यहां भी तो अल्पसंख्यक हैं फिर भेदभाव क्यों?
आपकी यह पोस्ट आज के (०६ जून, २०१३) ब्लॉग बुलेटिन - ऑपरेशन ब्ल्यू स्टार पर प्रस्तुत की जा रही है | बधाई
ReplyDeletecongres walo ko maar do
ReplyDeletef**k themm all
29 saal baad bhi insaaf nai
kaisi sarkar hai
india me rehne me sharam ati hai