Saturday 11 May 2013

संसद में वन्दे मातरम का खुला अपमान




 Published on 11 May, 2013 
 अनिल नरेन्द्र 
लोकतंत्र का मंदिर माने जाने वाले संसद भवन में मर्यादाएं लांघने का एक और मामला बुधवार को हमें देखने को मिला। बुधवार को बहुजन समाज पार्टी के एक सांसद ने राष्ट्र गीत वन्दे मातरम का ही अपमान कर डाला। उत्तर प्रदेश के सम्भल से सांसद शफीकुर्रहमान बर्प सत्रावसान के दौरान सदन में बजने वाले वन्दे मातरम की धुन के बीच ही उठकर बाहर चले गए। अपने कृत्य को सही ठहराते हुए उन्होंने कहा कि उनका धर्म इस्लाम खुदा के अलावा किसी अन्य की इबादत की इजाजत नहीं देता, इसलिए भविष्य में भी ऐसी स्थिति आने पर वही करेंगे जो सदन में बुधवार को किया। हालांकि बर्प के इस बर्ताव की लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार ने तीखी निन्दा करते हुए उन्हें सख्त चेतावनी दी और कहा कि भविष्य में ऐसा कभी नहीं होना चाहिए। भाजपा ने राष्ट्रीय गीत के अपमान पर बर्प के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है। सदस्यों के अपनी सीट पर पहुंचते ही परम्परा के अनुसार सत्रावसान के लिए वन्दे मातरम की धुन बजने लगी। तमाम सांसद सदन में राष्ट्रीय गीत के प्रति सम्मान में खड़े हो गए। इस बीच अचानक शफीकुर्रहमान बर्प बाहर निकलकर जाने लगे। उनके बगल में ही खड़े सांसद विजय बहादुर सिंह ने उन्हें रोका। लेकिन बर्प उनका हाथ झटकते हुए बाहर निकल गए। इस दौरान धुन शुरू होने से पहले सदन में नहीं पहुंच पाए प्रधानमंत्री कारिडोर में ही सावधान की मुद्रा में खड़े रहे।  लोकसभा सचिवालय के सूत्रों का कहना है कि इस घटना से बेहद नाराज मीरा कुमार बसपा सांसद बर्प को नोटिस भेजने पर गौर कर रही हैं। उधर संसद भवन परिसर में भाजपा नेता शाहनवाज हुसैन ने भी मीरा की नाराजगी और सख्त टिप्पणी को उचित बताते हुए बर्प के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की है। हालांकि मीरा कुमार की चेतावनी का बर्प पर कोई असर नहीं पड़ा। उन्होंने कहा कि वह जानबूझ कर सदन से बाहर गए थे। बर्प ने कहा कि इस्लाम के लिहाज से मैं वन्दे मातरम में शामिल नहीं हो सकता। हमारा धर्म सिर्प खुदा की इबादत की आज्ञा देता है, इसलिए इससे पहले वन्दे मातरम की धुन शुरू होने से पहले ही वह सदन से बाहर चले जाते थे। चूंकि बुधवार को सब कुछ अचानक हुआ, इसलिए वह समझ नहीं पाए कि राष्ट्रीय गीत की धुन बजने वाली है। लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि एक सदस्य राष्ट्रीय गीत की धुन बजने के दौरान सदन से बाहर चले गए, मैंने इसका गम्भीरता से संज्ञान लिया है। मैं जानना चाहूंगी कि ऐसा क्यों किया गया। उन्होंने चेतावनी देते हुए बेहद सख्त लहजे में कहा कि सदस्य ध्यान रखें कि ऐसा आगे से कभी भी नहीं होना चाहिए। उधर बर्प साहब का जवाब था कि मैं अपनी कौम के लिए जान दे सकता हूं, लेकिन वन्दे मातरम के लिए नहीं। यह हमारे धर्म के खिलाफ है, इसलिए अगर भविष्य में भी ऐसी स्थिति आती है तो मैं ऐसा ही करूंगा। सबसे दुःखद पहलू तो यह है कि वन्दे मातरम के अपमान को लेकर देश में कोई नियम-कानून नहीं है। यह अलग बात है कि इस राष्ट्रीय गीत को राष्ट्र गान जन-गण-मन की तरह सम्मान और संवैधानिक दर्जा हासिल है, लेकिन इसके लिए कोई प्रोटोकॉल, दिशा-निर्देश नहीं है।

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