Wednesday 8 May 2013

मुकेश अम्बानी को सरकारी सुरक्षा देने पर सुप्रीम कोर्ट सख्त




 Published on 8 May, 2013 
 अनिल नरेन्द्र 
आम आदमी की सुरक्षा को भगवान भरोसे रखते हुए भारत के सबसे धनी व्यक्ति मुकेश अम्बानी को सुरक्षा मुहैया करवाने पर सुप्रीम कोर्ट ने बेहद नाराजगी जताते हुए केंद्र सरकार से जवाब-तलब किया है। जस्टिस जीएस सिंघवी की पीठ ने बुधवार को कहा कि यदि सुरक्षा पर्याप्त होती तो दिल्ली में पांच साल की बच्ची से दुष्कर्म न होता। धनी लोग तो निजी सुरक्षा वहन कर सकते हैं फिर भी उन्हें सरकारी सुरक्षा दी जा रही है। पिछले महीने गृह मंत्रालय ने मुकेश अम्बानी को जेड श्रेणी की सुरक्षा मुहैया कराई थी। पीठ ने मुकेश अम्बानी के नाम का जिक्र किए बगैर कहा कि हमने अखबारों में पढ़ा है कि गृह मंत्रालय ने एक व्यक्ति को सीआईएसएफ सुरक्षा मुहैया कराई है। पीठ ने कहा कि सरकार ऐसे लोगों को कैसे सुरक्षा मुहैया करा सकती है? अगर उन्हें किसी प्रकार की धमकी की आशंका थी तो वे निजी सुरक्षाकर्मी रख सकते थे। पीठ ने कहा कि पहले पंजाब में बिजनेसमैन को सिक्यूरिटी देने का प्रचलन था लेकिन यह अब मुंबई तक पहुंच गया है। हालांकि पीठ ने कहा कि हमें इस बात से कोई सरोकार नहीं है कि किस व्यक्ति को एक्स, वाई और जेड श्रेणी की सुरक्षा मुहैया कराई गई। हमें मतलब सिर्प और सिर्प आम आदमी की सुरक्षा से है। शीर्ष अदालत उत्तर प्रदेश के एक निवासी द्वारा दाखिल याचिका पर सुनवाई कर रही है। याचिका में कहा गया है कि सरकार द्वारा दी जाने वाली लालबत्ती का बेजा इस्तेमाल हो रहा है। पीठ ने कहा कि सरकार बिजनेसमैन को सुरक्षा मुहैया करा रही है लेकिन आम आदमी की सुरक्षा पर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है। मुकेश अम्बानी को जेड श्रेणी की सुरक्षा मुहैया कराने के सरकार के फैसले को लेकर वामपंथी दलों ने भी आलोचना की थी। हालांकि बाद में सरकार की ओर से सफाई दी गई कि मुकेश अम्बानी की सुरक्षा पर हर महीने होने वाले 15-16 लाख रुपए का खर्च मुकेश अम्बानी वहन करेंगे। सवाल यह उठता है कि जब 15-16 लाख रुपए प्रति माह के खर्चे की बात की जाती है तो इसमें क्या सारे तामझाम के खर्चे भी शामिल हैं (चार-चार कारें, कम्युनिकेशन सैटअप) जो जेड सुरक्षा पर आता है या यह खर्च सिर्प कर्मियों के वेतन का ही है और अगर मुकेश अम्बानी इतना खर्च खुद कर ही रहे हैं तो वह प्राइवेट सुरक्षा का प्रबंध क्यों नहीं करते? उन्हें सरकारी सुरक्षा ही क्यों चाहिए? पीठ ने वीआईपी को सुरक्षा मुहैया कराने पर नाराजगी जताते हुए कहा कि उनकी सुरक्षा सरकारी खजाने से की जा रही है। यह कैसी बकवास है। आम आदमी की सुरक्षा का क्या होगा। पीठ ने कहा कि जिन लोगों पर आपराधिक मुकदमा चल रहा है उनको मिली सुरक्षा वापस ली जानी चाहिए और सरकार को लालबत्ती का दुरुपयोग रोकना चाहिए। एक बार लालबत्ती रोक दीजिए उनकी आधी हैसियत खत्म हो जाएगी, इसका इस्तेमाल अब हैसियत, स्टेटस की पहचान बन गया है। यह ब्रिटिश काल जैसा है।

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